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सचिन को आराम देना टीम इंडिया के लिए महंगा

१० फ़रवरी २०१२

भारतीय क्रिकेट टीम में तीन ओपनरों को बारी बारी से आराम देने के फैसले के तहत रविवार वाले मैच में सचिन तेंदुलकर को नहीं खिलाया जाना चाहिए. लेकिन सीरीज और ऑस्ट्रेलिया में उनके रिकॉर्ड को देखते हुए यह महंगा साबित हो सकता है.

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तस्वीर: AP

पिछले 22 साल में भारत सिर्फ पांच बार मेजबान देश के खिलाफ जीत हासिल कर पाया है और हर बार की जीत में सचिन तेंदुलकर की खास भूमिका रही है. 1991-92 में भारत ने वाका ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलिया को 107 रन के बड़े अंतर से हराया था और सचिन ने उसमें 36 महत्वपूर्ण रन बनाए थे. मैच में उनसे ज्यादा सिर्फ श्रीकांत ने 60 रन बनाए थे.

इसके बाद भारत को ऑस्ट्रेलिया में मेजबान को हराने में 12 साल का वक्त लग गया. 2003-04 की सीरीज में भारत ने गाबा ग्राउंड पर उसे 19 रन से हराया. इस दौरान सचिन ने शानदार 86 रन बनाए. इसके बाद भारत ने 2007-08 की सीरीज में तीन जीत हासिल की. इस दौरान मेलबर्न में सचिन ने 44, सिडनी में शानदार 117 और एडिलेड में 91 रन की पारी खेली.

आंकड़े साबित कर रहे हैं कि भारत को ऑस्ट्रेलिया की धरती पर जीत दिलाने में सचिन तेंदुलकर ने हमेशा बड़ी भूमिका निभाई है. ऐसे में उन्हें मेजबान टीम के खिलाफ मैच में बिठाना सही साबित नहीं हो सकता है. हो सकता है कि टीम इंडिया उन्हें रविवार वाले मैच में शामिल कर ले और बाद के किसी मैच में आराम दे. ऐसी स्थिति में वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर में से किसी एक को दोबारा बैठना पड़ सकता है. धोनी कह चुके हैं कि वह शीर्ष पर किसी को आराम देकर रोहित शर्मा को ज्यादा मौका देना चाहते हैं.

वैसे ऑस्ट्रेलिया के ग्राउंड भारत के विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग को रास नहीं आते. उन्होंने 10 मैच खेले हैं, जिनमें सबसे बेहतर स्कोर 37 रन रहा है और उन्होंने कुल 180 रन ही बनाए हैं. इस तरह उनका औसत मात्र 18 रन का रहा है.

उनके मुकाबले गौतम गंभीर की स्थिति बेहतर है. गंभीर ने सात मैचों में 230 रन बनाए हैं और उनका औसत 32 से ज्यादा है. खब्बू बल्लेबाज ने एक सैकड़ा भी जड़ा है.

भारतीय क्रिकेट टीम बुजुर्ग खिलाड़ियों को धीरे धीरे हटाने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है ताकि युवा खिलाड़ियों को जगह मिल सके. विराट कोहली ने टीम इंडिया में अपनी जगह लगभग पक्की कर ली है, जबकि रोहित शर्मा भी शानदार छाप छोड़ चुके हैं. सुरेश रैना और मनोज तिवारी जैसे खिलाड़ी भी लाइन में लगे हैं.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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