संसद सत्र में विपक्ष उठाएगा दिल्ली दंगों का मुद्दा
२ मार्च २०२०कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में दिल्ली हिंसा को लेकर स्थगन प्रस्ताव दिया है. वहीं तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, एनसीपी, डीएमके ने भी लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है. पिछले दिनों कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली हिंसा पर गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा भी मांगा था. विपक्षी पार्टियों का हमला उस वक्त से तेज हो गया है जब सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी और उनसे अपील की थी कि 'राजधर्म का पालन' न करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा लिया जाए.
राज्य सभा में कांग्रेस ने दिल्ली दंगों पर बहस कराने की मांग की है. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "कांग्रेस पार्टी सभी मुद्दे उठाएगी. दिल्ली दंगों का मुद्दा भी हम उठाएंगे. हम इन लोगों को बेनकाब करेंगे. कांग्रेस पार्टी अमित शाह का इस्तीफा मांग रही है.” अधीर रंजन चौधरी का कहना है, "यह सरकार कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर बुरी तरह से विफल हो गई है. मुझे लगता है कि हिंसा करने वालों और पुलिस अधिकारियों के एक सेक्शन के बीच किसी तरह की साठ-गांठ रही होगी, इसकी वजह से हत्याएं हुई, आगजनी हुई और दुनिया भर में हमारी छवि खराब हुई, ये हमारे लिए बहुत चिंता की बात है."
बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 11 फरवरी तक चला था और मौजूदा सत्र 3 अप्रैल तक चलेगा. इस सत्र में जिन विधेयकों पर चर्चा होगी उनमें सहायक प्रजनन तकनीक नियमन विधेयक, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी विधेयक और सरोगेसी विनियमन विधेयक 2020 विधेयक शामिल हैं. सरोगेसी विधेयक 2020 को पेश करने के लिए सरकार संसद में लंबित सरोगेसी विधेयक 2019 को वापस लेगी. इसके साथ सरकार बजट सत्र के पहले चरण में पेश किए गए एक दर्जन से अधिक विधेयकों को पारित कराने की कोशिश करेगी.
मोदी सरकार की यह भी कोशिश है कि इस सत्र में लंबित विघेयकों को पारित कराया जा सके.इनमें आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान विधेयक, डायरेक्ट टैक्स से जुड़े विवाद को लेकर विवाद से विश्वास विधेयक, संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक प्रमुख हैं. इसके साथ ही सरकार को मिनरल कानून संशोधन अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए भी विधेयक पेश करना होगा.
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