शक के दायरे में एडाथी
११ फ़रवरी २०१४एडाथी को सोशल डेमोक्रेट पार्टी एसपीडी का स्टार माना जाता है. पिछले सालों में उन्होंने जर्मनी के नवनाजी गुट एनएसयू की जांच करने वाली संसदीय आयोग की अध्यक्षता की थी. एनएसयू के नस्लवादी हमलों में 1990 और 2001 के बीच 10 लोग मारे गए थे. एडाथी की अगुवाई में आयोग ने पता किया कि इन कत्लों की जांच में क्या परेशानियां आईं और किस तरह की गलतियां हुईं. एडाथी की भूमिका को सराहा गया और पिछले साल हुए संसदीय चुनावों में वे लगातार चौथी बार हनोवर के पास स्थित अपने चुनाव क्षेत्र से चुने गये.
बर्नआउट या कुछ और
लेकिन पिछले वीकएंड उन्होंने अचानक अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया. एसपीडी के नेता कहते हैं कि एडाथी को बर्नआउट हो गया है. एडाथी अपने बिगड़ते स्वास्थ्य को कारण बताकर पीछे हट गए लेकिन फिर खबर आई कि जर्मन पुलिस ने उनके घर और दफ्तर पर छापा मारा है.
हनोवर के सरकारी वकील ने इस मामले में कोई भी बयान देने से इनकार किया है और एडाथी के दफ्तर से भी इस सिलसिले में कोई जवाब नहीं आया है. स्थानीय अखबार मिटेलडॉयचे साइटुंग के मुताबिक पुलिस को शक है कि एडाथी के पास बाल पोर्नोग्राफी से संबंधित पत्रिकाएं थीं. छापे में एडाथी के घर और दफ्तर से कंप्यूटर और फाइलें जब्त की गईं हैं.
लेकिन एडाथी ने बाल पोर्नोग्राफी के इल्जाम को खारिज किया है, "आम सोच यह है कि मेरे पास बाल पोर्नोग्राफी वाली पत्रिकाएं हैं, लेकिन यह गलत हैं. " अपने फेसबुक पेज पर उन्होंने बताया, "मेरे घर पर छापे का आधार कुछ अटकलें थीं. स्थानीय प्रेस ने जिस तरह इस बारे में रिपोर्ट किया है, मैं उन पर मामला दर्ज करूंगा."
एक अच्छी छवि
एडाथी की मां जर्मन हैं और उनके पिता भारत से हैं. 1960 के दशक में एडाथी के पिता जर्मनी आए थे. जर्मन संसद के मुताबिक एडाथी जर्मन भारत संसदीय दल के अंतरिम प्रमुख भी थे. 2013 में जर्मन संसद के चुनावों के लिए प्रचार के दौरान डॉयचे वेले से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वह अपने क्षेत्र में विदेशियों के लिए भी काम करते हैं और कोशिश करते हैं कि उनका भारतीय मूल उनके और उनके मतदाताओं के बीच दीवार न बने. एडाथी की सार्वजनिक छवि भी अब तक काफी अच्छी रही है. उनके चुनाव प्रचार में अकसर उनका कुत्ता फेलिक्स साथ रहता था.
एसपीडी के नेताओं ने अब तक एडाथी का साथ दिया है और कहा है कि वह उनके इस्तीफे से बहुत दुखी हैं. अब तक एडाथी के सहयोगी और समर्थकों का मानना है कि उन्हें बर्नआउट हो गया है, उनके काम और जिम्मेदारियों ने उन्हें पूरी तरह थका दिया है. लेकिन पुलिस के छापे ने नए सवाल खड़े कर दिये हैं. आने वाले दिन एडाथी और एसपीडी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं.
एमजी/एमजे(डपीए)