वेनेजुएला के शरणार्थियों का बढ़ता जा रहा है संकट
२२ अगस्त २०१८पिछले दिनों ब्राजील के पकाराएमा शहर में वेनेजुएला से आए शरणार्थियों के टेंट और उनके समान को आग के हवाले कर दिया गया. आरोप है कि शरणार्थियों को धमकी दी गई कि वे अपने देश वापस चले जाएं. एडसन सानशेज भी इन कैंपों को आग लगाने वालों में से एक थे. उन्हें ऐसा करने के बाद कोई अफसोस नहीं हुआ. वह कहते हैं, ''भीड़ ने वहीं किया, जो करना चाहिए था.''
पिछले 4 वर्षों में वेनेजुएला के बिगड़े आर्थिक और सामाजिक हालात के बाद ब्राजील समेत कई देशों ने वहां के लोगों को पनाह दी है. लेकिन एक दिन पकाराएमा शहर के लोगों के सब्र का बांध टूट गया और गुस्साई भीड़ ने शरणार्थियों के टेंट को आग लगाकर करीब 1200 लोगों को सड़क पर ला दिया.
स्थानीय लोगों की अपनी राय
टीवी फुटेज में आगजनी और हिंसा को देखकर ब्राजीलवासी हैरान हैं. स्थानीय लोग चाहते हैं कि उनके पक्ष को भी मीडिया में दिखाया जाए. हिंसा का तत्काल कारण एक स्थानीय दुकानदार पर हुआ हमला था जिसका आरोप वेनेजुएला के शरणार्थियों पर लगा था.
इस घटना से पहले तनाव का माहौल लगातार बना हुआ था. इस छोटे से शहर में वेनेजुएला से आए शरणार्थियों की संख्या 12 हजार पहुंच गई जो कुल आबादी का 10 फीसदी है. सानशेज कहते हैं, ''शरणार्थियों ने शहर की शक्ल बदल दी है. हमें विदेशियों से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अब हम थक चुके हैं.''
स्थानीय निवासी क्रिस्टीना गोम्स सहमति जताते हुए कहती हैं, ''हम कब तक सरकार और प्रशासन के कदम उठाने का इंतजार करते रहेंगे. वे कुछ नहीं करते हैं. हम ही सरकार हैं.''
वेनेजुएला के शरणार्थी कैंपों में अब सिर्फ मलबा बचा है. यहां टूटी साइकिलें, बच्चों के खिलौने और खाना बिखरा हुआ है. फिलहाल ब्राजील की सेना लोगों की रखवाली कर रही हैं. आगजनी का शिकार हुई एक साल के बच्चे की मां नायेलिस गार्सिया कहती है, ''हमलावर बोतलों और डंडों के साथ आए और बाहर भगाने के लिए चिल्लाने लगे. हमें अपने बच्चों को लेकर पहाड़ों पर भागना पड़ा.'' एक और पीड़ित ने बताया कि शरणार्थियों ने दो रातें बिना खाना और पानी के गुजारीं.
ब्राजील के चुनाव नजदीक
स्थानीय संत जीसस लोपेज दे बोबाडिला (77) चिंतित हैं कि ब्राजील के राजनीतिक दल ऐसी परिस्थिति पैदा कर रहे हैं. अक्टूबर में राष्ट्रपति पद और कांग्रेस के चुनाव होने हैं जिसे लेकर वह कहते हैं, ''चुनाव से पहले ब्राजील बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है. यह हिंसा सुनियोजित तरीके से की गई थी.''
हालांकि स्थानीय दुकानदार फैबियो क्यिंको की राय कुछ अलग है. खुद को हिंसा विरोध बताते हुए उनका कहना है कि लोगों का गुस्सा जमीनी स्तर से निकला है. वह आगे कहते हैं, ''स्थानीय लोगों का गुस्सा इसलिए फट पड़ा क्योंकि उन्हें लगने लगा था कि वेनेजुएला के शरणार्थियों की तुलना में उनका ख्याल कम रखा जा रहा है.''
इस घटना के बाद भी उम्मीद कायम है. पिछले दिनों 30 गाड़ियों में सवार होकर प्रशासन ने शहर के मुख्य इलाकों का दौरा किया और सफेद गुब्बारे उड़ाए. उन्होंने शांति बरकरार रखने की उम्मीद जताई.
लैटिन अमेरिकी देश होंगे एक
वेनेजुएला के शरणार्थी संकट को इक्वाडोर सुलझाना चाहता है जिसके लिए जल्द ही 13 लैटिन अमेरिकी देशों की बैठक आयोजित की जाएगी. इक्वाडोर ने और पेरू ने वेनेजुएला के शरणार्थियों की एंट्री पर नियम सख्त कर दिए हैं और पासपोर्ट अनिवार्य कर दिया है.
आप्रवासी मामलों के प्रबंधक क्रिस्ट्रीयन क्रूगर का कहना है कि आधे से अधिक शरणार्थी पासपोर्ट नहीं बल्कि आईडी कार्डों के साथ कोलंबिया आ रहे हैं. ऐसे में उन्हें रोकने से चिंताजनक नतीजे सामने आएंगे.
उन्होंने एक स्थानीय रेडियो चैनल को कहा कि पेरू, इक्वाडोर ने और कोलंबिया के लिए अप्रवासियों को मुद्दा अलग-अलग नहीं है. इस पर तीनों को एक राय बनानी चाहिए.
पिछले 16 महीनों में कोलंबिया में 10 लाख से अधिक शरणार्थी आ चुके हैं. यूएन की रिफ्यूजी एजेंसी बताती है कि इस साल करीब 5.5 लाख वेनेजुएला के शरणार्थी इक्वाडोर में प्रवेश कर गए और सिर्फ 20 फीसदी यहां रह गए और बाकि पेरू या चिली की तरफ बढ़ गए. पेरू और इक्वाडोर के नियम सख्त करने पर क्रूगर को कड़ा ऐतराज है. उनका कहना है, ''पासपोर्ट की अनिवार्यता से प्रवास रुकने वाला नहीं है क्योंकि लोग अपनी मर्जी नहीं बल्कि मजबूरी में देश छोड़ रहे हैं. " क्रूगर चाहते हैं कि लोगों का प्रवास शांति और नियमों के दायरे में हो जिससे आबादी का सही आंकड़ा मालूम चल सके.
वीसी/एनआर (एएएफपी)
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