विज्ञापन विवाद में मोदी सरकार की मुंह छिपाने की कोशिश
१३ जून २०१०लेकिन बाद में पता चला कि यह तस्वीर गुजरात की नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ की है. इस पर बवाल खड़ा होने के बाद मोदी सरकार का कहना है कि इस तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ "सांकेतिक तौर" पर किया गया है.
गुजरात के सूचना कमिश्नर वी तिरुपुगाज ने कहा कि राज्य सरकार ने एक विज्ञापन एजेंसी को इश्तेहार तैयार करने के लिए ठेका दिया था. उसी एजेंसी ने बिहार के अखबारों के लिए विज्ञापन तैयार किया. उन्होंने कहा कि अब सरकार इस बात की जांच करेगी कि कहीं एजेंसी ने तस्वीर छांटने में कोई गलती तो नहीं की.
उन्होंने कहा, "इस विवाद के बारे में हमें सिर्फ अखबारों से ही पता चला. किसी ने इस सिलसिले में तस्वीर या विज्ञापन को लेकर गुजरात सरकार से संपर्क नहीं किया है. कहीं भी इस बात का दावा नहीं किया गया है कि तस्वीर गुजरात की है. यह तो सिर्फ सांकेतिक है." हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि अगर वाकई गुजरात में मुस्लिम महिलाओं की स्थिति बेहतर हुई है, तो सांकेतिक तौर पर ही सही, तस्वीर किसी और राज्य से लेने की क्या जरूरत पड़ी.
गुजरात सरकार ने बिहार के अखबारों में जो इश्तेहार दिया था, उसमें एक मुस्लिम महिला को कंप्यूटर पर काम करते दिखाया गया. मीडिया की रिपोर्टों में बताया गया है कि यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में कंप्यूटर सीख रही लड़कियों की है और इसे एक अमेरिकी वेबसाइट से उड़ाया गया है. यह तस्वीर गुजरात की नहीं है.
बिहार के अखबारों में इस विज्ञापन को ऐसे वक्त प्रकाशित कराया गया, जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार का दौरा करने वाले थे. वह बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे. इस दौरान उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात करनी थी. लेकिन विज्ञापन विवाद के बाद नीतीश ने अपनी डिनर पार्टी को रद्द कर दिया.
नीतीश कुमार की बिहार सरकार बीजेपी के समर्थन से चल रही है. हालांकि नरेंद्र मोदी को लेकर नीतिश पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. वह खुद भी 2002 के गुजरात दंगों के मुख्य आरोपी नरेंद्र मोदी से बचने की कोशिश करते हैं. नीतीश ने पहले कहा था कि वह कभी भी मोदी के साथ एक मंच पर नहीं आएंगे. लेकिन फिर पिछले साल लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान दोनों मुख्यमंत्री पंजाब में एक ही स्टेज पर पहुंचे. इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एम गोपालकृष्णन