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"विज्ञान में चीन भारत से आगे निकल गया"

३ जनवरी २०१२

विज्ञान में चीन के हाथों अपनी जगह गंवाने का अहसास भारत की सरकार को भी हुआ है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस ओर ध्यान दिलाते कहा है कि आने वाले सालों में भारत जीडीपी का कम से कम 2 फीसदी विज्ञान की खोजों पर खर्च करेगा.

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तस्वीर: AP

सिर्फ इतना ही नहीं वैज्ञानिक खोज में उद्योग जगत की भागीदारी बढ़ाने के लिए भी भरपूर कोशिश की जाएगी. उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में 99वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "जहां तक संसाधन का सवाल है तो शोध और विकास में जीडीपी का जितना हिस्सा खर्च होता है वह कई सालों से स्थिर है." कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रीयल टेक्नोलॉजी के परिसर में सालाना कांग्रेस शुरु हुआ है.

विज्ञान की दुनिया में भारत की कमजोर स्थिति की ओर ध्यान दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "पिछले कुछ दशकों में विज्ञान की दुनिया में भारत पीछे रह गया है और चीन जैसे देश उससे आगे निकल गए हैं. चीजें बदल रही हैं लेकिन हमने जो हासिल किया है सिर्फ उससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता. भारतीय विज्ञान की तकदीर बदलने के लिए हमें बहुत कुछ करने की जरूरत है."

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खास क्षेत्रों में शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सुपरकंप्यूटिंग के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नई सुविधा और दक्षता हासिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. बैंगलोर का इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ साइंस इस पर काम करेगा जिस पर करीब 5000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के थेनी में न्यूट्रिनो ऑब्जर्वेटरी बनाने के प्रस्ताव का भी जिक्र किया. करीब 1350 करोड़ रुपये के खर्च से बनने वाले इस संस्थान में ब्रह्मांड के मूल कणों पर शोध किया जाएगा.

प्रधानमंत्री ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि सरकारी खर्च से होने वाले शोध और विकास का झुकाव व्यावहारिक शोध की बजाए बुनियादी शोध की तरफ ज्यादा है. मनमोहन सिंह ने कहा, "उद्योग जगत से व्यावहारिक शोध के लिए पैसा जुटाना आसान होता है और इस तरह के कामों के लिए पैसा जुटाने की खातिर कुछ सिद्धांत तय होने चाहिए. इसके साथ ही शोध और विकास के लिए निजी और सार्वजनिक भागीदारी को भी बढ़ावा देना होगा." उन्होंने कहा, "जहां शोध से नई जानकारी मिलती है वहीं उसको इस्तेमाल करने के लिए नए खोज करने की भी जरूरत है जिससे इसका सामाजिक रूप से फायदा मिल सके. इसके साथ ही खोजों को व्यावहारिक अर्थ भी देना होगा जिससे कि यह बस शोरशराबा बन कर न रह जाए."

साइंस कांग्रेस को उसकी उपलब्धियों के लिए बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने महिला वैज्ञानिकों की भी तारीफ की और कहा कि पुरुषों के एकाधिकार वाले इस क्षेत्र में उन्होंने अपने कदमों के धमक से दायरे तोड़े हैं. प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि अग्नि मिसाइल कार्यक्रम से टेसी थॉमस का जुड़ना एक बड़ी उपलब्धि रही है. सिर्फ इतना ही नहीं पिछले साल तीन महिलाओं को विज्ञान में उनके योगदान के लिए शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए भी चुना गया. 1958 में शुरू होने के बाद अब तक केवल 11 महिलाओं को यह पुरस्कार मिला है.

प्रधानमंत्री ने ध्यान दिलाया कि विज्ञान में पीएचडी करने वाली 2000 महिलाओं में से 60 फीसदी बेरोजगार हैं और इसके पीछे बड़ी वजह नौकरियों की कमी है. पारिवारिक वजहों से नौकरी न कर पाने वाली महिलाओं की संख्या अब बहुत कम रह गई है.

रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन

संपादनः ए जमाल

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