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वर्ल्ड कप में सचिन व पोंटिंग का आखिरी सामना

२४ मार्च २०११

वर्ल्ड कप क्वार्टर फाइनल में आज भारत का मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से होना है, जो टीम हारेगी वो बाहर हो जाएगी. टीम के साथ क्रिकेट जगत के कुछ योद्धा खिलाड़ी भी वर्ल्ड कप से हमेशा के लिए विदा हो जाएंगे. इनमें सचिन, पोंटिंग भी हैं

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तस्वीर: AP

एक तरफ 1992 से वर्ल्ड कप खेल रहे क्रिकेट जगत के महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर हैं तो दूसरी तरफ आंकड़ों में सचिन का पीछा करते रहे ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग हैं. दोनों की उम्र अब ढल चुकी है. इसमें भी शक नहीं है कि दोनों का यह आखिरी वर्ल्ड कप है. यानी वर्ल्ड कप में आखिरी बार दो दिग्गज योद्धा आमने सामने हैं. अहमदाबाद में का नतीजा सचिन, पोंटिंग, ब्रेट ली और माइकल हसी जैसे खिलाड़ियों के लिए वर्ल्ड कप के सफर का पड़ाव साबित होने सकता है.

जीत का सपना

मास्टर ब्लास्टर 1992 से वर्ल्ड कप खेल रहे हैं. उनका यह पांचवां वर्ल्ड कप है. उम्र 38 साल हो चुकी है. सचिन का बल्ला कीर्तिमान और रनों का पहाड़ खड़ा कर चुका है. लेकिन वर्ल्ड कप जीतने का सपना अधूरा है. सचिन अब तक वर्ल्ड कप के 42 मैच खेल चुके हैं. टीम और देश की उम्मीदों से न्याय करता आया यह बल्लेबाज इस बार खुद के लिए वर्ल्ड कप चाहता है.

Indien Cricket Ricky Ponting
रिटायरमेंट से इनकार करते रहे हैं पोंटिंगतस्वीर: UNI

वहीं पोंटिंग 1996 से लगातार वर्ल्ड कप फाइनल खेलते आ रहे हैं. 96 में उन्हें श्रीलंका ने हरा दिया. लेकिन 1999, 2003 और 2007 में वर्ल्ड कप पीले रंग की जर्सी में खेलने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम के हाथ ही लगा. हेडेन, गिलक्रिस्ट, साइमंड्स, मैक्ग्रा, शेन वॉर्न, गिलेस्पी और माइकल बेवन के बिना टीम कमजोर पड़ चुकी है. पुराने योद्धा के रूप में पोंटिंग अकेले खड़े हैं, लेकिन वह भी क्या करें और आखिर कब तक करें. गुरुवार को पोंटिंग वर्ल्ड कप का अपना 46वां मैच खेलेंगे.

Brett Lee
ली चोटों से परेशानतस्वीर: AP

चोटों से परेशान ली

कुछ ऐसी ही स्थिति तूफानी गेंदबाज ब्रेट ली की भी है. 34 साल के ब्रेट ली दो बार वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा रहे हैं. लेकिन चोटें और उम्र अब उनकी रफ्तार को बांधने लगी है. ली जानते हैं कि क्वार्टर फाइनल के इस मैच में उनकी क्या अहमियत है. लिहाजा ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण की धार वही होंगे.

36 साल के हसी ने ऑस्ट्रेलिया को माइकल बेवन की कमी नहीं खलने दी. वो टीम में बहुत देर से आए लेकिन ऐसे आए कि अपना लोहा मनवा दिया. हसी ने 2004 में भारत के खिलाफ ही अपने वनडे करियर की शुरुआत की. अब 2011 में वर्ल्ड कप ने उन्हें भारत के खिलाफ निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा किया है. जीते तो वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल तक पहुंचेगे. हारे तो अगली बार से वर्ल्ड कप के दर्शक बन जाएंगे.

इस तरह के भावुक समीकरणों के बीच अहमदाबाद का मैदान सजा हुआ. क्रिकेट और व्यक्तिगत प्रदर्शन का एक बड़ा मुकाबला होना जा रहा है. एक ऐसा मुकाबला जिसकी हार जीत सपने बुनेगी या तोड़ेगी. अच्छे या खराब अंत के साथ क्रिकेट करियर पर पूर्ण विराम लगाएगी.

रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी

संपादन: आभा एम

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