लेबनान चुनाव में कट्टरपंथियों की करारी हार
९ जून २००९लेबनान में अमेरिका समर्थित 14 मार्च गठबंधन ने कट्टपंथी पार्टियों हिज़बुल्लाह गठबंधन को करारी शिकस्त दी है. 14 मार्च गठबंधन के अध्यक्ष साद हरीरी ने सोमवार को जीत का ऐलान करते हुए देश की जनता को बधाई दी और इसे लोकतंत्र की जीत बताया.
नतीजों के बाद हिज़बुल्लाह समर्थित क्रिस्चियन पार्टी ने हार मान ली है. इस पार्टी का समर्थन ईरान और सिरिया दोनों कर रहे थे. लेबनान की संसद में कुल मिलाकर 128 सीट हैं जिनमे 64 मुसलमानों के लिए और 64 ईसाइयों के लिए हैं. 14 मार्च गठबंधन को 71 सीटें मिली है.
वोट देने वाले अहमद कहते हैं, "लेबनान के लोग बदलाव चाहते हैं, इन लोगो के सामने दो विकल्प हैं, पहला, गर्व के साथ अपने देश में जीवन जीना और दूसरा, विदेशी ताकतों पर यकीन कर अपने ही देश के खिलाफ काम करना. मुझे लगता है आधे से ज़्यादा लोग अब समझ चुके हैं की विदेशी ताकतों का समर्थन करना उनके हित में नहीं है."
सत्तारूढ़ 14 मार्च गठबंधन ने 2005 में बड़ी जीत के साथ सरकार बनाई थी. साद हरीरी लेबनान के पूर्व प्रधानमंत्री रफ़ीक हरीरी के बेटे हैं. 2005 में रफीक हरीरी की एक कार बम धमाके में हत्या कर दी गई थी. रफ़ीक हरीरी की मौत के बाद सीरिया विरोधी पार्टियों ने मिलकर 14 मार्च गठबंधन का ऐलान किया था.
इस गठबंधन का एजेंडा लेबनान की सरकार में सीरिया के हितों के लिए काम कर रहे तत्वों को ख़त्म करना और लेबनान में तैनात सीरिया के सैनिकों को वापस भेजना था.
पूर्व अमेरीकी राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर लेबनान में चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद थे, उन्होने कहा,
"चुनाव में हिस्सा लेने वाली पार्टियों को चुनावी नतीजे मान लेने चाहिए चाहे वो हारें या जीतें. मैं आशा करता हूं कि अमेरीका, ईरान और सऊदी अरब लेबनान के चुनावी नतीजों को मान लेंगे और इसमे हस्तक्षेप नहीं करेंगे."
सीरिया ने 1976 में लेबनान में चल रहे गृह युद्ध को ख़त्म करने के लिए वहां अपने 40,000 सैनिक तैनात किए थे. लेकिन गृह युद्ध ख़त्म होने के बाद भी सीरिया के सैनिक लेबनान में ही रहे. रफ़ीक हरीरी की मौत के बाद बने दबाव के चलते सीरिया ने 2005 में अपने सारे सैनिकों को वापस बुला लिया था.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ पी चौधरी
संपादन: मानसी गोपालकृष्णन