लुफ़्तहांसा पायलटों की हड़ताल शुरू
२२ फ़रवरी २०१०लुफ़्तहांसा ने कहा है कि इन चार दिनों में केवल वही पायलट विमान उड़ाएंगे जो हड़ताल कर रही पाइलटों की यूनियन 'कॉकपिट' में शामिल नहीं हैं. जर्मन सरकार के परिवहन मंत्री पेटर रामज़ावर ने विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की है लेकिन पायलट इसके बावजूद हड़ताल पर अड़े हुए हैं.
लुफ़्तहांसा के इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल है. अगर पायलटों की हड़ताल कामयाब हुई तो फ़्रैंकफर्ट से दुनिया के अलग अलग कोनों तक जाने वाली लगभग 3,200 फ़्लाइटों को रद्द करना पड़ेगा. इनमें लुफ़्तहांसा की सहयोगी कंपनी जर्मनविंग्स और लुफ़्तहांसा कार्गो भी शामिल हैं. सोमवार से लेकर गुरुवार तक स्विस और पोलैंड की 'लोट एयरलाइंस' लुफ़्तहांसा की मदद करने को तैयार हो गए हैं. हड़ताल से भारत जाने वाली उड़ानें भी प्रभावित होंगी.
लुफ़्तहांसा में काम करे पायलट मांग कर रहे हैं कि उनकी तन्ख्वाह को बढ़ाया जाए, नौकरियों को पक्का किया जाए और उनके सहयोगी कंपनियों में काम कर रहे पायलटों के वेतन को लुफ़्तहांसा में काम कर रहे पायलटों के बराबर लाया जाए. लुफ़्तहांसा के पायलटों का वार्षिक वेतन औसतन एक लाख 10 हज़ार यूरो और दो लाख 50 हज़ार यूरो के बीच होता है. जर्मन चांसलर का वेतन भी क़रीब दो लाख 50 हज़ार है.
हालांकि पायलटों को इस बात का भी डर है कि सस्ती सहयोगी कंपनियां लुफ़्तहांसा के हवाई रास्तों पर काम करने लगेंगी और लुफ़्तहांसा में काम कर रहे पायलटों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ेगा. लुफ़्तहांसा प्रबंधन का कहना है कि वे पायलट से बात करने को तैयार हैं लेकिन पायलटों को वेतन में बढ़ोतरी की मांग को पूरा नहीं किया जा सकता.
लुफ़्तहांसा से रोज़ाना करीब एक लाख 50 हज़ार लोग यात्रा करते हैं. यानी साल में लगभग पांच करोड़ 50 लाख लोग. सोमवार से शुरू हो रहे हड़ताल से लगभग 4000 पायलट काम पर नहीं आएंगे.
रिपोर्टः डीपीए/एम गोपालकृष्णन
संपादनः महेश झा