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कानून और न्यायब्रिटेन

लंदन पुलिस से डरती हैं महिलाएं

२१ मार्च २०२३

लंदन पुलिस जनता का भरोसा खो चुकी है. एक स्वतंत्र समीक्षा आयोग की जांच में लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस पर बेहद संगीन आरोप लगाए गए हैं.

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लंदन में पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन
तस्वीर: Adrian Dennis/AFP/Getty Images

लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस में 34,000 से ज्यादा अधिकारी हैं. लेकिन ब्रिटेन की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स पर नस्लभेद, महिलाओं के प्रति दुर्भावना और होमोफोबिया जैसे गंभीर आरोप लग रहे हैं. एक युवती से बलात्कार और फिर उसकी हत्या के बाद आई स्वतंत्र समीक्षा आयोग की रिपोर्ट में ये दावे किए गए हैं.

मंगलवार को जारी हुई आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि लंदन पुलिस को "खुद को बदलना होगा" या टूटने का जोखिम उठाना होगा. आयोग की अगुवाई करने वाली लुइजे कैसी कहती हैं, "जनता होने के नाते खुद को पुलिस से सुरक्षित रखना हमारा काम नहीं है. आम जनता के तौर पर हमें सुरक्षित रखना पुलिस का काम है."

लुइजे कैसी, पीड़ितों के अधिकार और समाज कल्याण की एक्सपर्ट हैं. उनके मुताबिक, "बहुत ज्यादा लंदनवासी पुलिसिंग पर भरोसा खो चुके हैं."

इस रिपोर्ट के बाद मेट्रोपॉलिटन पुलिस में बड़े और व्यापक सुधार करने का दबाव बन रहा है. बीते बरसों में ऐसे कई मामले आए हैं, जहां महिलाओं और अल्पसंख्यकों के प्रति पुलिस का बेहद बुरा रवैया सामने आया. अक्टूबर 2022 में आयोग की प्राथमिक रिपोर्ट आई थी. उसमें भी कहा गया था कि पुलिस, अपने अधिकारियों को अच्छी तरह प्रशिक्षित करने में नाकाम रही है. घरेलू हिंसा और नस्लभेदी शोषण का आरोप झेलने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करने के बजाए, उन्हें सर्विस में बनाए रखा गया. रिव्यू में कहा गया कि मेट्रोपॉलिटन पुलिस में खुद पर लगे आरोपों को नकारने की संस्कृति पसरी है. पुलिस हमेशा "हमें सब मालूम है" जैसी मानसिकता में जीती है.

सारा एवरार्ड
सारा एवरार्डतस्वीर: Dan Kitwood/Getty Images

पुलिस पर लगे संगीन आरोप

मार्च 2021 में लंदन में एक युवती सारा एवरार्ड की हत्या हुई. मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव की जॉब करने वाली सारा, साउथ लंदन में अपने दोस्त के घर से पैदल लौट रही थी. तभी रास्ते में एक पुलिस अधिकारी ने उसे अगवा किया और शहर से बाहर ग्रामीण इलाके में सारा से बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर शव को वहीं दफना दिया. सीसीटीवी कैमरों के फुटेज से मामले की परतें खुलने लगीं. इस वारदात के बाद लोगों का गुस्सा भड़क उठा. देश भर में प्रदर्शन होने लगे. कई महिलाएं सामने आईं जिन्होंने पुलिस अधिकारियों पर इससे मिलते जुलते आरोप लगाए. 

कुछ ही महीने बाद दिसंबर 2021 में दो पुलिस अधिकारियों को दो ब्लैक महिलाओं की आपत्तिजनक तस्वीरें लेने और शेयर करने के लिए जेल की सजा हुई. फिर एक पुलिस अधिकारी को 48 बलात्कारों का दोषी करार दिया गया. उस पर 17 साल तक कई महिलाओं से बलात्कार करने के आरोप सिद्ध हुए.

मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अधिकारियों पर समलैंगिकों और अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत भरा रुख अपनाने के आरोप भी लगते रहे हैं. एक मामले में जांच अधिकारी ने चार समलैंगिक युवाओं की हत्या करने वाले सीरियल किलर को ढील दी.

ब्रिटेन की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स है मेट्रोपॉलिटन पुलिस
ब्रिटेन की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स है मेट्रोपॉलिटन पुलिसतस्वीर: Mateusz Slodkowski/Zumapress/picture alliance

पुलिस की मुश्किलें

आयोग की 363 पेज की विस्तृत रिपोर्ट में कहा गया है कि फंडिंग में कटौती, स्थानीय पुलिस स्टेशनों को बंद करने के फैसले और असरदार तरीके से कम्युनिटी पुलिसिंग को खत्म करने से भी हालात खराब हुए हैं. रिपोर्ट का एक अंश कहता है कि मेट्रोपॉलिटन पुलिस में कोई तालमेल नहीं दिखाई पड़ता है और उसकी कई पहलें बहुत कम समय तक चलती हैं.

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि किस तरह ट्रेनिंग, पैसे और सुविधाओं की कमी से पुलिसिंग का काम प्रभावित हुआ है. जांच में ऐसे कई मामले सामने आए जब पुलिस के पास फॉरेसिंग सबूत जुटाने के न तो साधन थे और ना ही क्षमता. रेप के कई मामलों में कामचलाऊ तरीके से सबूत जमा किए गए. बाद में ऐसे सबूत खराब हो गए और उन्हें कोर्ट में भी पेश नहीं किया गया. 

ब्रिटेन में पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन
ब्रिटेन में पुलिस के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: Adrian Dennis/AFP/Getty Images

पुलिस अधिकारी भी भेदभाव का शिकार

लंदन की आबादी में काले, एशियाई और मिश्रित नस्ल वाले लोगों की संख्या 40 फीसदी है, लेकिन पुलिस फोर्स व्हाइट मर्दों से भरी पड़ी है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने 31 फीसदी महिलाएं काम कर रही है. स्वतंत्र समीक्षा आयोग की रिपोर्ट कहती है, "महिला अधिकारी और स्टाफ, रूटीन की तरह सेक्सिज्म और महिलाओं के प्रति दुर्भावना का सामना करती हैं."

ओएसजे/सीके (एपी)