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रेफरी की आत्महत्या की कोशिश से जर्मनी सन्न

२० नवम्बर २०११

लीग मैच से ठीक पहले जर्मनी के एक वरिष्ठ रेफरी ने आत्महत्या की कोशिश की. रेफरी की आत्महत्या की कोशिश ने जर्मन फुटबॉल जगत को एक बार फिर हिला दिया है. शीर्ष अधिकारी ने माना कि रेफरी बेहद दवाब में रहते हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

शनिवार को जर्मन फुटबॉल लीग बुंडेसलीगा में कोलोन को माइंज का सामना करना था. मैच कोलोन में खेला जाना था. कड़कड़ाती ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में दर्शक स्टेडियम पहुंचे. मैच शुरू होने में देरी होती रही और फिर मैच टाल दिया गया.

इसी बीच खबर आई कि मैच के लिए तय किए गए मुख्य रेफरी बबाक रफाती ने आत्महत्या करने की कोशिश की है. मैच से ठीक पहले 41 साल के बबाक रफाती ने होटल के कमरे में अपनी नसें काट ली. सहायक जब रफाती के कमरे में पहुंचे तो देखा कि वह बाथटब में बेसुध पड़े थे.

Babak Rafati
तस्वीर: picture alliance/ZB

जर्मन फुटबॉल फेडरेशन (डीएफबी) के अध्यक्ष थिओ ज्वाजिगर के मुताबिक पुलिस को रफाती के कमरे से सुसाइड नोट मिला है. ज्वाजिगर ने कहा, "बबाक ने नाश्ता नहीं किया. खेल के बारे में बातचीत करने के लिए वह बैठक में भी नहीं आए. उनके सहायक ने उनका कमरा खोला और देखा कि वह बाथटब पर पड़े हुए हैं. काफी खून बह चुका था. मैं कहना चाहता हूं कि तीन सहायकों ने बबाक की जान बचाई." अस्पताल में कई घंटों बाद बबाक की हालत कुछ बेहतर हुई.

जिंदगी पर भारी पड़ता खेल का दबाव

रेफरी की आत्महत्या की कोशिश ने जर्मन फुटबॉल जगत को एक बार फिर हिला दिया है. करीब दो साल पहले जर्मनी के एक गोलकीपर रॉबर्ट आंके ने ट्रेन के नीचे आकर खुदकुशी कर ली थी. आंके लंबे समय से तनाव और अवसाद में थे.

डीएफबी अध्यक्ष ज्वाजिगर भी रेफरी की आत्महत्या की कोशिश से सन्न हैं. ज्वाजिगर ने साफ शब्दों में कहा, "यह यह कह सकता हूं कि कई कारणों के चलते हमारे रेफरी बहुत ज्यादा दवाब में रहते हैं. हम इस संबंध में अभी कोई संतुलित हल नहीं निकाल पाए हैं. यह अजीब सी स्थिति है कि हमारे शीर्ष रेफरियों में से एक ने आत्महत्या की कोशिश की है. यह दुखद है कि युवा लोग हल के नाम पर सिर्फ इसी एक रास्ते को देख रहे हैं." डीएफबी ने बबाक को हर तरह की मदद देने की बात कही है.

Fußball Schiedsrichter Babak Rafati
तस्वीर: picture-alliance/augenklick/firo Sportphoto

बबाक की खबर सुनने के बाद बुंडेसलीगा की एक अन्य टीम शाल्के के कोच हूब स्टीफंस भी असहज महसूस कर रहे हैं. वह कहते हैं, "यह यकीन करना मुश्किल है कि ऐसा भी कुछ हो सकता है. मेरे शब्द खो गए हैं. स्वास्थ सबसे अहम बात है, इसके सामने फुटबॉल भी एक छोटी सी बात है."

ईरानी मूल के रफाती छह साल से बुंडेसलीगा में रेफरी हैं. हैरानी की बात है कि रफाती ने रेफरी के तौर पर अपने करियर की शुरूआत कोलोन और माइंज के मैच से ही की. और शनिवार को इन्हीं दोनों टीमों के मुकाबले से पहले उन्होंने अपने आप को मिटा देने का प्रयास किया. बुंड़ेसलीगा के 84 बड़े मैचों में रेफरी की भूमिका निभा चुके बबाक के लिए हाल के कुछ साल मुश्किलों भरे रहे. बबाक 2008 से फीफा के रेफरी पैनल में थे. लेकिन इस साल डीएफबी ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर के रेफरी के लिए नामांकित नहीं किया. बबाक अक्सर बुंडेसलीगा के कई खिलाड़ियों की आलोचना भी झेलते रहे. फुटबॉल की जर्मन पत्रिका किकर ने उन्हें कुछ मौकों पर सबसे खराब रेफरी तक करार दिया.

रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

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