1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

रेतीले बवंडर से लाल हुआ ऑस्ट्रेलिया

२३ सितम्बर २००९

ऑस्ट्रेलिया के सिडनी और दूसरे पूर्वी इलाक़ों में रेतीले बवंडर का ज़बरदस्त क़हर छा गया. तू़फ़ान ने हल्के लाल रंग का एक चादर बिछा दिया. लोगों को घरों में रुक जाना पड़ा, गाड़ियां थम गईं और यातायात रुक गया.

https://p.dw.com/p/JnD2
रेतीले तूफ़ान के बाद सिडनीतस्वीर: AP

बवंडर की वजह से टनों उपजाऊ मिट्टी भी उड़ गई. अनुमान है कि बुधवार दोपहर तक क़रीब 50 लाख टन धूल और मिट्टी ऑस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैंड इलाक़े में छा गया और इससे पूरा वातावरण ढंग गया. सिडनी कई किलोमीटर तक लाल रंग की चादर ओढ़े दिख रहा था.

ऑस्ट्रेलिया में रेतीला तूफ़ान आम तौर पर आता रहता है लेकिन यह पहला मौक़ा है, जब अंदरूनी हिस्से में भी इसका असर दिख रहा है. ऑस्ट्रेलिया दुनिया के सबसे सूखे क्षेत्रों में आता है और सिर्फ़ अंटार्कटिका को इससे ज़्यादा सूखा माना जाता है. इसी साल के शुरू में ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में भयंकर आग लगी थी.

Staubsturm Sydney Australien
हर जगह धूल की चादरतस्वीर: AP

ऑस्ट्रेलिया सूखे की स्थिति से निपट रहा है और मौसम विभाग का अनुमान है कि अल नीनो तूफ़ान प्रशांत महासागर के ऊपर बनता दिख रहा है, जिससे इलाक़े में और सूखापन आ सकता है.

जलवायु परिवर्तन का असर ऑस्ट्रेलिया पर काफ़ी देखा जाता है और यह प्रति व्यक्ति ग्रीन हाउस का सबसे ज़्यादा उत्सर्जन करने वाले देशों में भी शामिल है. यह बिजली के लिए ज़्यादातर कोयला संयंत्र पर निर्भर है.

पर्यावरण के लिए काम कर रहे ग़ैरसरकारी संगठनों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया में यह सब मौसमी बदलाव की वजह से हो रहा है. हालांकि वैज्ञानिक खुल कर इसे नहीं मानते. उनका कहना है कि कई बार पर्यावरण की परिस्थितियों की वजह से भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है.

तूफ़ान की वजह से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को सिडनी की जगह किसी और शहर में उतारा गया. पानी के जहाज़ सिडनी बंदरगाह पर लंगर नहीं डाल पाए और ड्राइवरों को संभल कर गाड़ी चलाने को कहा गया है. रेतीले बवंडर की वजह से कई इमारतों में धुएं का अलार्म बज उठा.

मेडिकल एक्सपर्ट ने लोगों को चेतावनी दी है कि वे ज़्यादातर घरों में ही रहें क्योंकि तूफ़ान गुरुवार को भी फैल सकता है. कई लोगों ने सांस लेने में परेशानी के बाद मेडिकल टीम को फ़ोन किया.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः महेश झा