रूस के पायलटों ने चमत्कार किया
९ सितम्बर २०१०72 यात्रियों और चालक दल के नौ सदस्यों के साथ रूसी विमान तुपोलेव ने सर्बिया के पोल्यार्नी से मॉस्को के लिए उड़ान भरी. लेकिन सर्बिया के उपर से उड़ते वक्त विमान के सभी इंजन अचानक बंद हो गए. रास्ते की जानकारी देने वाला नेवीगेशन सिस्टम बेकार हो गया और विमान को बाएं दाएं मोड़ने वाले विंग फ्लैप भी फेल हो गए.
भारी इमरजेंसी की इस स्थिति के बावजूद पायलट ने विमान पर नियंत्रण बनाए रखा. करीब 11 किलोमीटर की ऊंचाई से वह विमान को ग्लाइडर की तरह हवा में फिसलाता हुआ नीचे लाया. आखिरकार सर्बिया में हैलीकॉप्टरों के लिए बनी एक टूटी फूटी हवाई पट्टी पर उसने बड़े यात्री विमान को किसी चमत्कार की तरह उतार दिया.
लैंडिंग के वक्त विमान छोटी सी हवाई पट्टी को पार करता हुआ 200 मीटर आगे झाड़ियों में घुस गया. लेकिन पायलट की कोशिशें कामयाब रही. यात्रियों का डर, सदमा और रोना अचानक नई जिंदगी में बदल गया. किसी को मामूली खरोंच भी नहीं आई. विमान को भी बहुत कम नुकसान पहुंचा. मामले का पता चलने के बाद रूसी मीडिया में इस लैंडिंग को चमत्कार और पायलट को हीरो कहा जा रहा है.
इस बीच सभी यात्रियों को मॉस्को भेज दिया गया है. ज्यादातर को फ्लाइट से मॉस्को भेजा गया, जबकि कुछ यात्रियों की तो दोबारा विमान में चढ़ने की हिम्मत ही नहीं हुई, उन्हें ट्रेन से रवाना किया गया. रूसी अधिकारियों ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.
इस मामले ने एक बार फिर कुशल पालयटों की साहसिक दास्तां बयान की है. इसी से मिलता जुलता मामला अमेरिका में जनवरी 2009 में सामने आया था. न्यूयॉर्क से उड़ान भरते ही यूएस एयरवेज के एक यात्री विमान के दोनों इंजन बेकार हो गए. लेकिन उम्रदराज अनुभवी पायलट कैप्टन चेस्ले सुलेनबर्गर ने विमान को न्यूयॉर्क की हडसन नदी पर सकुशल उतार दिया. विमान पर सवार सभी लोगों की जान बच गई.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ ओ सिंह
संपादन: एन रंजन