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रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाने पर जर्मनी फ्रांस एकजुट

८ अक्टूबर २०२०

रूस के विपक्षी नेता अलेक्सी नावाल्नी को जहर देने के मामले में जर्मनी और फ्रांस ने रूस के खिलाफ यूरोपीय संघ के प्रतिबंध लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. ब्रिटेन ने इसका समर्थन किया है जबकि रूस ने इसे "ब्लैकमेल" कहा है.

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Alexej Nawalny
तस्वीर: YouTube - vDud/Reuters

जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ने अलेक्सी नावाल्नी को जहर दिए जाने के मामले में रूस को सीधे तौर पर "शामिल और जिम्मेदार" मानते हुए यूरोपीय संघ के प्रतिबंध की मांग की है. रुस ने इन आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे "अस्वीकार्य" बताया है और इसे "ब्लैकमेल" माना है. यूरोपीय देश रूस से नावाल्नी को जहर देने के मामले में लगातार पक्की जानकारी की मांग कर रहे हैं. यूरोपीय देशों का कहना है कि रूस या तो जांच में सहयोग कर पक्की जानकारी दे या फिर प्रतिबंध का सामना करे.

जर्मनी और फ्रांस के विदेश मंत्रियों की तरफ से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, "अब तक, रूस ने कोई भरोसेमंद ब्यौरा नहीं दिया है. इस संदर्भ में हम मानते हैं कि नावल्नी को जहर देने के मामले में रूस की संलिप्तता और जिम्मेदारी पर उसके पास कहने को कुछ नहीं है." ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने भी इस मामले में रूस के शामिल होने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि ब्रिटेन अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ, "रूसी अधिकारियों को और दूसरे लोगों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने" पर काम करेगा.

रूस ने इन बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने फ्रांस और जर्मनी पर "धमकी देने और ब्लैकमेल" करने का आरोप लगाया है. जाखारोवा ने अपने बयान में कहा है, "दोनों मंत्रियों की घोषणा उसमें कही गई बातों और लहजे के कारण अस्वीकार्य है और बर्लिन खासतौर से सच्चाई को स्वीकार करने से कतरा रहा है."

Alexej Nawalny mit Frau und Sohn in Berlin
पत्नी ओर बेटे के साथ नावाल्नीतस्वीर: Instagram @Navalny/Reuters

यूरोप के ताकतवर देशों का यह कड़ा रुख नावाल्नी को जहर दिए जाने के मामले में रासायनिक हथियारों नजर रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ओपीसीडब्ल्यू की पुष्टि के बाद सामने आया है. ओपीसीडब्ल्यू ने जर्मनी, फ्रांस और स्वीडन के इस बात की पुष्टि की है कि नावल्नी को नोविचोक ग्रुप का नर्व एजेंट दिया गया.

कैसा प्रतिबंध

फ्रांस और जर्मनी ने कहा है कि वो उन लोगों के खिलाफ यूरोपीय संघ के प्रतिबंध के लिए दबाव बनाएंगे जो इस अपराध में जिम्मेदार हो सकते हैं और जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है. यह उनके आधिकारिक कामकाज के आधार पर होगा साथ ही वो लोग भी इसमें शामिल किए जाएंगे जो नोविचोक प्रोग्राम में शामिल रहे हैं.

बुधवार को जर्मनी के विदेश मंत्री हाईको मास ने इस कदम के लिए तैयारी शुरू कर दी है. उन्होंने सांसदों को बताया कि रूस के खिलाफ प्रतिबंध अब "अनिवार्य" है जब तक कि रूस इस मामले को सुलझा नहीं लेता. नावाल्नी ने भी यूरोपीय संघ से देश के कुछ प्रमुख लोगों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने की मांग की है जो सरकार में या तो शामिल हैं या फिर पुतिन सरकार को समर्थन दे रहे हैं.

जर्मन अखबार बिल्ड को दिए इंटरव्यू में नावाल्नी ने सीधे वालेरी गेर्गीव का नाम लिया. गेर्गीव म्यूनिख फिलहार्मोनीक के चीफ कंडक्टर हैं. नावाल्नी ने कहा कि इस संगीतकार को पुतिन का समर्थन करने की ढिठाई के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.  नावाल्नी ने कहा है, "वह पक्के उदाहरण हैं. ऐसे लोगों पर दबाव बनाया जाना चाहिए. उन जैसे लोगों पर इंट्री बैन लगाया जाना चाहिए और क्या आप जानते हैं कि 99 फीसदी रूसी लोग इसका स्वागत करेंगे."  नावाल्नी ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे आम रूसी लोगों को परेशानी हो बल्कि, "सबसे जरूरी है कि उन लोगों के खिलाफ एंट्री बैन लगाई जाए और उनकी संपत्ति जब्त की जाए जो सरकार से फायदा उठा रहे हैं, कुलीन लोग, ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी और पुतिन के करीबी."

जर्मनी का भरोसा टूटा

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रूसी गैस पाइपलाइन पर सवाल उठे.तस्वीर: Tobias Schwarz/AFP

अगस्त के आखिर में नावाल्नी एक विमान में अचानक बीमार हो गए. इसके बाद उन्हें साइबेरिया के एक अस्पताल में भर्ती किया गया. इसके बाद वो इलाज के लिए बर्लिन लाए गए जहां करीब एक महीने शारिटे अस्पताल में उनका इलाज करने के बाद पूरी तरह ठीक हो कर बाहर निकले हैं.

रूस इस पूरे मामले को अपने खिलाफ एक साजिश करार दे रहा है और उसका कहना है कि इसकी योजना पहले से ही बनाई गई थी. इस मामले के सामने आने के बाद रूस और जर्मनी के रिश्ते खराब हो गए हैं. एक साल पहले ही बर्लिन के पार्क में एक हत्या हुई थी और इसके लिए अभियोजकों ने रूस को जिम्मेदार ठहराया था. इस मामले में रुसी संदिग्ध के खिलाफ बुधवार से सुनवाई शुरू हुई. इस घटना के बाद से जर्मनी का रुस पर से भरोसा उठ गया. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल हमेशा से पुतिन के साथ बातचीत जारी रखने को महत्व देती रही हैं. हालांकि बीते कुछ महीनों से अब उन्होंने भी कड़ा रुख अपना लिया है. तनाव बढ़ने के साथ मांग उठ रही है कि जर्मनी रूस के साथ 10 अरब यूरो के पाइपलाइन प्रोजेक्ट को रद्द कर दे. इस पाइपलाइन के शुरू होने पर रूस से जर्मनी को गैस की सप्लाई दोगुनी हो जाएगी.

जर्मन संसद में जब विदेश मंत्री से पूछा गया कि क्या इस परियोजना को रद्द किया जा सकता है? जवाब में हाइको मास ने कहा," यूरोपीय संघ में बातचीत के बाद उम्मीद की जा रही है कि ऐसे लोगों की सूची पर सहमति बन जाएगी जिन पर प्रतिबंध लगाया जाएगा."

सवालों के घेरे में पूर्व जर्मन चांसलर

नावाल्नी मामले के छींटे अब पूर्व जर्मन चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर पर भी पड़ रहे हैं जो रूसी ऊर्जा कंपनी के लिए काम करते हैं. जर्मन संसद की विदेश नीति समिति के प्रमुख और चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी के सांसद नॉर्बर्ट रोएटगेन नॉर्थ स्ट्रीम पाइपलाइन का काम रोके जाने की मांग करते रहे हैं. उन्होंने श्रोएडर पर आरोप लगाया है कि पूर्व चांसलर रूसी रेल और ऊर्जा उद्योग के पे लिस्ट पर हैं और नावाल्नी के मामले में हिस्सा ले रहे हैं. रोएटगेन सीडीयू पार्टी की अध्यक्षता के भी उम्मीदवार हैं. उन्होंने कहा कि श्रोएडर का रवैया बहुत से जर्मनों को शर्मिंदगी दे रहा है.  
फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी ने तो गेरहार्ड श्रेएडर को पूर्व चांसलर के रूप में मिलने वाली सरकारी सुविधाओं पर ही सवाल उठा दिया है. पार्टी ने कहा है कि पूर्व चांसलरों को मिलने वाले पेंशन की एक वजह ये है कि वह आर्थिक मुश्किल में ना पड़ें और उन्हें दूसरों पर निर्भर ना होना पड़े. पार्टी के बजट विशेषज्ञ ऑटो फ्रीके ने कहा, "यदि कोई पूर्व चांसलर ऐसी स्थिति में दूसरे के हितों का प्रतिनिधित्व करे, तो इस बात की जांच होनी चाहिए कि कहीं पेंशन देने की वजहें निरस्त तो नहीं हो गईं."

Russland Moskau Eröffnung Fußball WM 2018 | Gerhard Schröder und Wladimir Putin
पुतिन से गले मिलते गेरहार्ड श्रोएडर(फाइल)तस्वीर: A. Druzhinin/TASS/dpa/picture-alliance

नावाल्नी ने भी पूर्व जर्मन चांसलर श्रोएडर की आलोचना की है और उन्हें रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का ऑफिस ब्यॉय बताया था. उन्होंने श्रोएडर पर पुतिन से गोपनीय भुगतान लेने का भी आरोप लगाया, "मुझे पता नहीं कि उन्हें पुतिन से कौन सा गोपनीय भुगतान मिलता है. एक तो औपचारिक भुगतान है और मुझे संदेह नहीं कि गोपनीय भुगतान भी होता है." ये वकील के रूप में मेरी अपनी राय है जिसने रोजनेफ्ट और गासप्रोम की सालों तक जांच की है.
जर्मनी में पूर्व चांसलरों को आजीवन कर्मचारियों सहित दफ्तर, ड्राइवर सहित सरकारी गाड़ी, सुरक्षा और दूसरी सुविधाएं मिलती हैं. चांसलर दफ्तर के अनुसार 2017 में श्रोएडर को बर्लिन वाले दफ्तर और कर्मचारियों पर खर्च के लिए 561,000 यूरो मिला. सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के श्रोएडर विवादास्पद नॉर्थ स्ट्रीम 2 पाइपलाइन प्रोजेक्ट के एडमिनिस्ट्रेटिव बोर्ड के अध्यक्ष हैं. इस प्रोजेक्ट का औपचारिक रूप से अकेला शेयरहोल्डर रूसी ऊर्जा कंपनी गासप्रोम है. इसके अलावा गेरहार्ड श्रोएडर पिछले तीन साल से रूसी तेल कंपनी रोजनेफ्ट के निगरानी बोर्ड के भी अध्यक्ष हैं. श्रोएडर ने नावाल्नी पर जहर हमले के लिए रूस के जिम्मेदार होने को अटकल बताया था.

कब तक लगेगा प्रतिबंध

प्रतिबंधों पर जर्मनी और फ्रांस के साथ आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि प्रतिबंध जल्दी ही लग जाएंगे हालांकि यूरोपीय संघ के सभी देशों को साथ लाने में थोड़ा वक्त लगेगा. 2018 में जब  ब्रिटेन में एक रूसी जासूस पर नर्व एजेंट से हमला हुआ तो रूसी नागरिकों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के लिए यूरोपीय देशों की सहमति हासिल करने में एक साल से ज्यादा वक्त लगेगा. उसकी तुलना में इस बार सहमति जल्दी बनती दिख रही है.

एनआर/एमजे(एएफपी)

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