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रूस और चीन ने ज़िम्बाब्वे प्रस्ताव रोका

महेश झा१२ जुलाई २००८

ज़िम्बाब्वे की रॉबर्ट मुगाबे सरकार के ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबंध लगाकर उस पर दबाव डालने का पश्चिमी प्रयास विफल हो गया है. पश्चिमी देशों द्वारा समर्थित प्रस्ताव को आज रूस और चीन ने वीटो कर दिया.

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तस्वीर: AP

 प्रस्ताव में ज़िम्बाब्वे पर हथियारों की ख़रीद पर प्रतिबंध लगाने के अलावा राष्ट्रपति मुगाबे और 13 अन्य अधिकारियों की यात्राओं पर प्रतिबंध लगाया जाता. साथ ही उसमें ज़िम्बाब्वे के लिए एक विशेष संयुक्त राष्ट्र दूत नियुक्त करने की मांग थी.

पंद्रह सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव के समर्थन में 9 देशों ने वोट डाले जबकि रूस और चीन सहित पाँच देशों ने उसका विरोध किया. एक सदस्य तटस्थ रहा.

मतदान का परिणाम दिखाता है कि पश्चिमी देश रूस और चीन को प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट देने से रोकने में विफल रहे, हालांकि रूस ने इसी सप्ताह जी-8 शिखर भेंट में ज़िम्बाब्वे पर आर्थिक प्रतिबंधों का समर्थन किया था. अमेरिकी राजदूत ज़ालमाय ख़लीलज़ाद ने क्रुद्ध प्रतिक्रिया में कहा कि रूसी प्रदर्शन जी-8 पार्टनर के रूप में उसकी विश्‍वसनीयता पर सवाल खड़े करता है.

दक्षिण अफ़्रीका, वियतनाम और लीबिया जैसे प्रस्ताव के विरोधियों का कहना था कि ज़िम्बाब्वे विश्‍व शांति और सुरक्षा के लिए ऐसा ख़तरा नहीं है कि सुरक्षा परिषद को प्रस्ताव पास करना पड़े. चीन के राजदूत का कहना था कि सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव ज़िम्बाब्वे में चल रही वार्ता की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाएगा.

ब्रिटेन के राजदूत जॉन सावर्स इस बात पर हैरान दिखे कि रूस ने मंगलवार को जी-8 की बैठक के बाद से शुक्रवार को सुरक्षा परिषद की बैठक तक अपना मन बदल लिया. रूसी राजदूत विताली चुरकिन ने ज़िम्बाब्वे-प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के मुद्दों से बाहर ले जाने का प्रयास बताया.

अमेरिका और यूरोपीय संघ ने ज़िम्बाब्वे पर प्रतिबंध लगा रखे हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का यह प्रस्ताव उस पर और अधिक दबाव डालने के उद्देश्य से लाया गया था. विपक्षी कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ हिंसा के बाद राष्ट्रपति पद के तगड़े दावेदार और एमडीसी नेता मॉर्गन च्वंगिराई अपने समर्थकों को हिंसा से बचाने के लिए चुनाव मैदान से हट गए थे.  संयुक्त राष्ट्र और कुछ अन्य देशों ने रॉबर्ट मुगाबे से 27 जून को राष्ट्रपति चुनाव न कराने की अपील की थी लेकिन ज़िम्बाब्वे ने यह अपील ठुकरा दी थी.