राजनीतिज्ञ नहीं चाहता अपने आसपास ईमानदार
२ अप्रैल २०१५विज्ञापन
अशोक खेमका ने अपने अचानक तबादले पर दुख व्यक्त किया है और कहा है कि वे परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार कम करने की कोशिश कर रहे थे तो कवि ज्ञानेंद्र ने अशोक खेमका के तबादले पर एक छोटी कविता ट्वीट की है.
नीलेश मिश्रा का कहना है कि कोई राजनीतिज्ञ अपने आसपास ईमानदार अधिकारी नहीं चाहता.
तो यश सहगल की राय है कि अशोक खेमका का तबादला दिखाता है कि ईमानदार लोग कहीं नहीं चाहे जाते.
पत्रकार दिबांग जैसे लोग अशोक खेमका के साथ हुए व्यवहार पर खफा हैं.
शुताप पॉल की राय है कि भारत सरकार ईमानदार अधिकारियों को पत्थर बना रही है.
नई दिल्ली के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की मुख्यमंत्री की उम्मीदवार रहीं किरण बेदी ने भी सवाल किया है कि आखिर माजरा क्या है.
पत्रकार रवीश कुमार ने अशोक खेमका के तबादले पर अपने उद्गार इस तरह व्यक्त किए.