यौन उत्पीड़न के मामले में मलेशियाई नेता अदालत में
३ फ़रवरी २०१०सैफ़ुल ने आरोप लगाया है कि इब्राहिम के साथ राजनैतिक सहयोगी के रूप में काम करते हुए उनके साथ ये दुर्व्यवहार किया गया. हालांकि इब्राहिम ने इसे साज़िश करार दिया है.
मलेशिया के इस बहुचर्चित मुकदमें के दूसरे दिन 24 वर्षीय युवक सैफ़ुल की गवाही केस को एक नया मोड़ दे सकती है. सैफ़ुल ने अदालत के सामने बताया कि 26 जून 2008 को इब्राहीम ने कुआलालंपुर में अपने घर पर बुलाकर उनका यौन शोषण किया.
उधर मामले की कार्यवाही का सामने कर रहे इब्राहीम ने इसे राजनीतिक साज़िश करार दिया है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नजीब रज्ज़ाक उन्हें फंसाने के लिए ये आरोप लगवा रहे हैं. इब्राहीम का कहना है कि मलेशिया में उनके नेतृत्व में बना तीन पार्टियों का गठबंधन सरकार के लिए ख़तरा बनता जा रहा है जिसे कमज़ोर करने के लिए उन पर ऐसे मुकदमे चलाए जा रहे हैं. हालांकि मलेशिया की मौजूदा सरकार ने इस ख़बर का सिरे से खंडन किया है.
इब्राहीम ने ये भी दावा किया है कि अभियोक्ता सैफ़ुल सुनवाई से कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नाजिब से मिलने भी गया था. नाजिब अभियोक्ता से मिलने की बात क़बूल चुके हैं. लेकिन उन्होंने इस साज़िश का हिस्सा होने से साफ इनकार किया है.
इस सिलसिले में सिंगापोर के इंस्टिट्यूट ऑफ साउथ इस्ट एशियन स्टडीज़ के उई की बेंग का कहना है कि "हमें याद रखना चाहिए की ये वही इंसान है जो दस साल पहले भी इसी तरह के मुकदमे में जूझ चुका है. इसलिए मलेशिया में कई लोग मानते हैं कि ये मुक़दमा इब्राहीम की पार्टी को कमज़ोर करने की राजनैतिक साज़िश है."
62 साल के अनवर इब्राहीम के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न का ये दूसरा मामला है. इससे पहले 1998 में उन पर अपने पुराने ड्राइवर के यौन शोषण का आरोप था. इसके लिए उन्हें सज़ा भी सुनाई गयी थी. लेकिन माना जाता है कि उस समय उप-प्रधानमंत्री का पद संभाल रहे इब्राहीम ने अपने ओहदे के प्रभाव से कोर्ट को फैसला बदलने पर मजबूर किया था. 2004 में उन्हें रिहा कर दिया गया था जब संघीय अदालत ने अपना फैसला बदल दिया.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे
संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य