ये हैं लियोनार्डो दा विंची की सबसे जानी-मानी पेंटिंग
दुनिया के सबसे मशहूर पेंटर का नाम पूछा जाएगा तो आप लियोनार्डो दा विंची का नाम जरूर लेंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दा विंची की बनाई महज 15 पेंटिंग ही मौजूद हैं. जानिए क्या क्या बनाया था दा विंची ने.
मोना लिसा
शायद ही कोई हो जिसने मोना लिसा के बारे में ना सुना हो. कहते हैं मोना लिसा की मुस्कान में कई राज छिपे हैं जिन्हें आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है. ये पेंटिंग फ्रांस की राजधानी पेरिस के लूव्र म्यूजियम में टंगी है. हर साल इसे देखने लाखों लोग लूव्र पहुंचते हैं. आज तक ना तो यह पता है कि मोना लिसा असल जिंदगी में कौन थी और ना ही ठीक तरह से यह पता चल पाया है कि यह पेंटिंग कब बनाई गई थी.
द लास्ट सपर
मोना लिसा के बाद दा विंची की सबसे जानी मानी पेंटिंग है द लास्ट सपर. इटली के मिलान में मौजूद यह पेंटिंग किसी फ्रेम में लटका कर नहीं रखी गई है, बल्कि यह एक फ्रेस्को है यानी ऐसी पेंटिंग जिसे सीधे दीवार पर बनाया गया. यह यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में शामिल है और कई बार इसे रिस्टोर किया जा चुका है. ईसा मसीह और उनके अनुयायियों को दिखाती यह तस्वीर 15वीं सदी में बनाई गई थी.
द विट्रूवियन मैन
अगर किसी ने डैन ब्राउन की किताब "द दा विंची कोड" पढ़ी है या उस पर आधारित टॉम हैंक्स वाली फिल्म देखी है, तो वह द विट्रूवियन मैन से भली भांति परिचित होगा. एक सुडौल व्यक्ति की यह तस्वीर समरूपता को दर्शाती है. इसे खूबसूरती का प्रतीक भी माना जाता है और सिमिट्री के लिहाज से लाजवाब. "द दा विंची कोड" में रहस्यों और गुत्थियों की शुरुआत इसी तस्वीर से होती है.
सेंट जॉन द बैप्टिस्ट
मोना लिसा की तरह यह पेंटिंग भी लूव्र में मौजूद है. लियोनार्डो दा विंची ने अपने जीवन में बहुत सारी पेंटिंग नहीं बनाईं. माना जाता है कि यह उनकी आखिरी पेंटिंग है. दरअसल 1513 से 1515 के बीच दा विंची वैटिकन में काम करते थे. माना जाता है कि इस दौरान पोप लियो दसवें ने उनसे यह पेंटिंग बनाने को कहा था. जॉन द बैप्टिस्ट वह संत थे जिन्होंने न्यू टेस्टामेंट में ईसा को ईश्वर का मसीहा बताया था.
मडोना ऑफ द यार्नवाइंडर
इस पेंटिंग की दो कृतियां हैं और दोनों ही असली नहीं हैं. लेकिन बावजूद इसके दोनों की कीमत करोड़ों में है. एक कृति न्यूयॉर्क में किसी कला प्रेमी के निजी कलेक्शन का हिस्सा है और दूसरी स्कॉटिश नेशनल गैलरी में मौजूद है. इसकी कीमत चार करोड़ यूरो आंकी गई है. 2003 में स्कॉटलैंड के ड्रमलैनरिग कासल से इसे चुराया गया था. चार साल बाद पुलिस की एक रेड में यह हासिल हुई.
पोर्ट्रेट ऑफ अ मैन इन रेड चॉक
जब कलाकृति 500 साल से भी पुरानी हो तो उसकी विश्वसनीयता को साबित करना मुश्किल होता है. कला जगत में लोग इस पोर्ट्रेट को ले कर बंटे हुए हैं. अधिकतर लोगों का मानना है कि दा विंची ने खुद अपना पोर्ट्रेट तैयार किया और उस दौरान उनकी उम्र करीब 50 साल थी. वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि इसे दा विंची की मौत के बाद उनके किसी शिष्य ने बनाया. दा विंची का यह चित्र इटली के तुरीन की रॉयल लाइब्रेरी में रखा गया है.
साल्वाटोर मुंडी
लातिन में साल्वाटोर मुंडी का मतलब होता है दुनिया का रखवाला. यहां दा विंची ने ईसा मसीह को पुनर्जागरण काल वाली पोशाक में दर्शाया है. आज इसे लंदन की नेशनल गैलरी में रखा गया है. साल 1500 के आसपास कभी बनी इस पेंटिंग को इतनी बार रिस्टोर और दोबारा पेंट किया जा चुका है कि जानकारों के लिए असली पेंटिंग का आकलन करना और दा विंची की तकनीक को समझना मुश्किल हो गया है.
एरियल स्क्रू
पुनर्जागरण काल में लोगों की विज्ञान में बहुत रुचि थी. दा विंची ने केवल पेंटिंग ही नहीं बनाईं, बल्कि आर्किटेक्चर, जीव विज्ञान और शरीर की रचना के विज्ञान पर भी खूब जानकारी जमा की. यह स्केच उड़ने वाली एक मशीन का है. शायद इससे हेलीकॉप्टर बन सकता था लेकिन कभी बना नहीं क्योंकि दा विंची के पास इसके लिए जरूरी साधनों की कमी थी. अपनी इस खोज को उन्होंने नाम दिया था हेलिक्स प्टेरन.