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यूपीए सरकार के ये विवादवीर मंत्री

१५ जनवरी २०१०

भारतीय विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर ने ट्विटर पर जिस तरह एक के बाद एक विवादास्पद बातें लिखीं, उससे ख़ुद कांग्रेस पार्टी हैरान हैं. पर थरूर की तरह कुछ और भी मंत्रीं हैं जो सरकार और कांग्रेस को हैरत में डालते रहे हैं.

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विवादों में रहते हैं थरूरतस्वीर: Fotoagentur UNI

कभी संयुक्त राष्ट्र महासचिव बनने की रेस में शामिल रहे 53 साल के थरूर को पिछले साल यूपीए की दोबारा सरकार बनने पर विदेश राज्यमंत्री का पद दिया गया. लेकिन इस नवेले राजनेता ने हाईटैक अंदाज़ को राजनीतिक पारी का मूलमंत्र बनाया हुआ है. जब सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर उन्होंने वीज़ा नियमों को सख़्त करने की सरकार की योजना पर तंज़ किया तो उनके बॉस विदेश मंत्री एसएम कृष्णा को ग़ुस्सा आ गया. उन्होंने कहा कि नीतिगत विषयों की चर्चा सार्वजनिक मंचों पर नहीं करनी चाहिए.

इससे पहले ट्विटर पर ही विमान की इकॉनमी क्लास को मवेशियों का क्लास कहे जाने वाले थरूर के बयान पर भी ख़ूब विवाद हुआ. आम आदमी की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी अपनी सरकार के एक ज़िम्मेदार मंत्री के इस बयान पर हैरान थी. जैसे तैसे मामला सुलटा, लेकिन हाल में जब थरूर ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की विदेश नीति का आलोचना कर डाली तो कांग्रेस को मानो सदमा ही लगा गया. पार्टी की तरफ़ से बढ़ते दबाव के बाद थरूर ने यह कहते हुए मामले की ज़िम्मेदारी मीडिया पर डाल दी कि उनकी बात को ग़लत तरीक़े से पेश किया गया.

Hillary Clinton in Indien
क्लिंटन के साथ रमेशतस्वीर: AP

यूपीए की नई सरकार में थरूर के अलावा कुछ और भी मंत्री हैं जिन्होंने अपने बयानों से लोगों को ही नहीं बल्कि कांग्रेस को भी हैरान किया है. पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश की भी ख़ूब आलोचना हुआ जब उन्होंने कोपेनहेगन बैठक से पहले कह दिया कि भारत अधिक लचीला रूख़ अपना सकता है. कांग्रेस में उनके इस बयान को कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी. विवाद के बाद रमेश ने कहा, "हमारे देश में अगर कोई डिब्बे (दायरे) से बाहर निकलकर सोचने की कोशिश करता है तो उसे स्वीकार नहीं किया जाता. आपको एक डिब्बे में ही रहना होगा. आप कभी कभी उस डिब्बे से बाहर जा सकते हैं लेकिन जल्द ही उसमें लौटना होता है."

इसी तरह पिछले साल आम चुनाव के बाद जब वाणिज्य मंत्री का पद आनंद शर्मा को दिया गया तो उन्होंने विश्व व्यापार संगठन में गतिरोध टूटने की बात कह कर ऐसा इशारा दिया जैसे भारत को लचीले रूख़ की ज़रूरत हो. लेकिन उन्हें तुरंत अपना बयान वापस लेना पड़ गया.

Indien Außenstaatssekretär Anand Sharma
आनंद शर्मातस्वीर: UNI

लेकिन इन सब में सबसे ज़्यादा नज़र थरूर पर ही है क्योंकि सबसे सनसनीखेज़ विवाद भी तो उन्हीं के नाम रहे हैं. हालांकि अभी तक वह राजनीतिक रूप से बचते रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के "वरिष्ठों" की नज़र उनके हर क़दम पर है. नेहरू की आलोचना के मुद्दे पर इंडिया टुडे पत्रिका के साथ बातचीत में एक कांग्रेसी नेता ने कहा, "यह मामला फ़िलहाल बंद हो गया है. लेकिन कब तक. अगले ट्विट तक."

रिपोर्टः रॉयटर्स/ए कुमार

संपादनः एम गोपालकृष्णन