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यूपी में दलितों पर हो रहे हमलों पर राजनीति

१२ जून २०२०

उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ समय से दलित उत्पीड़न और दलितों की हत्याओं की लगातार खबरें आ रही हैं. कई मामले आपसी विवाद से संबंधित हैं लेकिन इन घटनाओं को राजनीतिक शक्ल देने की कोशिशें भी की जा रही हैं.

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दलित प्रदर्शन
तस्वीर: Reuters/A. Verma

छह जून को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा और आठ जून को बिजनौर में दलित समुदाय के दो लोगों की हत्या का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि नौ जून को पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर में दलितों के घर जला देने और उन्हें मारने-पीटने की घटना सामने आ गई. इसके अलावा भी पिछले कुछ दिनों में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं और अकेले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल में पिछले दो हफ्तों में दलितों की हत्या की छह घटनाएं सामने आई हैं.

जौनपुर जिले में आम तोड़ने को लेकर बच्चों के बीच हुआ विवाद तो सांप्रदायिक संघर्ष में तब्दील हो गया. यहां सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के भदेठी गांव में मंगलवार को दलित और मुस्लिम समुदाय के कुछ बच्चों में मारपीट हुई जिसमें दोनों पक्षों के कई लोग घायल हुए. लेकिन रात को कथित तौर पर दलितों के कई घर जला दिए गए जिसमें कई मवेशी भी मारे गए. जौनपुर के पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने बताया, "दो पक्षों के बच्चों में विवाद हुआ था और बाद में समझौता भी हो गया था लेकिन एक पक्ष के लोगों ने दूसरे पक्ष की कुछ झोपड़ियों में रात में आग लगा दी जिसमें कुछ मवेशी भी जलकर मर गए. 58 नामजद और कई अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. 35 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं.”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथतस्वीर: Imago/Hindustan Times/A. Yadav

मंगलवार शाम हुई इस घटना में करीब एक दर्जन लोग घायल हुए हैं. गांव में अभी भी तनाव बना हुआ है जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लेते हुए दोषियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवारों के सामान की भरपाई करने और उन्हें मुआवजा देने के भी निर्देश दिए हैं. गिरफ्तार लोगों में गांव के प्रधान आफताब अहमद और समाजवादी पार्टी से जुड़े कुछ नेता भी शामिल हैं. वहीं दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष के लोग इसे इकतरफा कार्रवाई बता रहे हैं. गांव के ही एक व्यक्ति जावेद का कहना है कि घटना के कुछ वीडियो सामने आए हैं जिनसे साफ पता चल रहा है कि झोंपड़ियों में आग दलितों ने खुद ही लगाई लेकिन पुलिस हमारी तहरीर तक नहीं ले रही है.

मंदिर में प्रवेश को लेकर विवाद के आरोप

इससे पहले अमरोहा में हसनपुर इलाके के डोमखेड़ा गांव के एक दलित युवक विकास जाटव की हत्या कर दी गई. परिजनों का आरोप है कि उसकी हत्या मंदिर में प्रवेश को लेकर हुए विवाद के कारण हुई जबकि पुलिस इसे पैसों के लेन-देन का विवाद बता रही है. अमरोहा के पुलिस अधीक्षक विपिन ताड़ा कहते हैं, "घटना में जातीय संघर्ष का कोई एंगल नहीं है. इस बात के तमाम सबूत मौजूद हैं कि दलित उस मंदिर में दशकों से जा रहे हैं. विकास और मुख्य अभियुक्त होरम में पैसे को लेकर कुछ आपसी विवाद था. विकास और उसके परिवार वालों को अभियुक्तों को पांच हजार रुपये देने थे. विवाद इसी को लेकर हुआ था.”

लेकिन विकास जाटव के पिता ओमप्रकाश कहते हैं कि लड़ाई मंदिर में प्रवेश को लेकर ही हुई थी और हमने इस बारे में पुलिस में तहरीर भी दी थी. वो कहते हैं, "हमने पुलिस में शिकायत की थी कि हमें मंदिर में जाने नहीं दिया जा रहा है और धमकी भी दी जा रही है. लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. आखिरकार एक हफ्ते के भीतर उन लोगों ने मेरे बेटे की हत्या कर दी और हमें भी धमकी दी है कि यदि चुप नहीं बैठे तो मार देंगे.” इस मामले में पुलिस ने ओमप्रकाश की तहरीर पर चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. ओमप्रकाश ने जिन लोगों को अभियुक्त बनाया है, वो गांव के ही लोग हैं. गांव वालों का कहना है कि मंदिर में प्रवेश को लेकर इससे पहले कोई विवाद नहीं हुआ है लेकिन अचानक यह विवाद कैसे सामने आ गया, इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है.

अब शुरू हुआ राजनीतिक विवाद

इस मामले को लेकर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में जमकर चर्चा है. यही नहीं, अमरोहा और जौनपुर की घटनाओं को लेकर बीजेपी और अन्य विपक्षी दल एक-दूसरे पर हमलावर हैं. अमरोहा में विकास जाटव की हत्या को लेकर बहुजन समाज पार्टी के अलावा भीम आर्मी ने भी सरकार पर निशाना साधा है, जबकि जौनपुर की घटना पर इन दोनों का अब तक कोई बयान नहीं आया है. राज्य एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष और पूर्व डीजीपी बृजलाल ने ट्वीट करके आरोप लगाया है कि जौनपुर में विपक्षी दल इसलिए चुप हैं क्योंकि वहां अभियुक्त मुस्लिम हैं.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलितों की हत्याओं के और भी कई मामले पिछले कुछ दिनों में सामने आए हैं. बिजनौर जिले के लाडनपुर गांव में सोमवार दोपहर नरदेव नाम के एक व्यक्ति की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने अभियुक्तों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हंगामा किया और कई घंटे तक शव नहीं उठने दिया. पुलिस अधिकारियों के कार्रवाई के आश्वासन पर हंगामा शांत हुआ. गांव में तनाव को देखते हुए पुलिस तैनात कर दी गई है. नरदेव गांव के ही देवेंद्र सिंह के यहां खेती का काम देखता था और उन्हीं के परिजनों पर हत्या का आरोप लगाया गया है. पुलिस ने दोनों ही पक्षों की ओर से एफआईआर दर्ज की है.

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने इन घटनाओं को लेकर यूपी सरकार को जमकर कोसा है. उन्होंने कहा है, "देश में कोरोना महामारी के समय में भी खासकर यूपी में दलितों की आए दिन हो रही हत्या व उनका उत्पीड़न अति-दुखद व अति-गंभीर बात है. पहले अमरोहा के डोमखेड़ा और अब बिजनौर के लाडनपुर गांव में सामंती तत्वों द्वारा दलित की हत्या अति-निंदनीय है. यूपी सरकार इन मामलों को अति-गंभीरता से लेकर पीड़ित परिवार की पूरी मदद करे व इनके दोषियों के विरूद्ध सख्त कदम उठाए ताकि ऐसी दर्दनाक घटनाएं आगे न हों.” पिछले महीने संभल जिले में एक गांव के प्रधान को कुछ लोगों ने बातचीत के दौरान ही गोली मार दी थी. इन सभी घटनाओं में पीड़ित दलित हैं और आरोप ऊंची जाति के लोगों पर लगा है. लेकिन पुलिस का कहना है कि ऐसी घटनाओं को जातीय संघर्ष बताना ठीक नहीं क्योंकि ये विवाद आपसी हैं न कि किन्हीं दो समुदायों के बीच.

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