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सीधे पुतिन पर प्रतिबंध लगा सकता है अमेरिका

२६ जनवरी २०२२

यूक्रेन पर रूसी हमले की आशंकाओं के बीच नाटो जवाबी प्रतिक्रिया का खाका बना रहा है. इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यह भी कहा कि वह सीधे पुतिन पर भी प्रतिबंध लगा सकते हैं.

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USA Washington | Pressekonferenz Präsident Joe Biden nach einem Jahr im Amt
तस्वीर: Oliver Contreras/ZUMA Wire/imago images

यूक्रेन पर रूस के हमले की स्थिति में अमेरिका रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन पर आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यह चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि रूसी हमले की स्थिति में वह पुतिन पर प्रतिबंध लगाने के विकल्प पर विचार कर सकते हैं.

यूक्रेन में सेना नहीं भेजेगा अमेरिका

25 जनवरी को बाइडेन ने यूक्रेन मसले पर पत्रकारों से बात की. उन्होंने कहा कि अगर रूस सीमा के पास तैनात किए गए अपने अनुमानित एक लाख सैनिकों के साथ यूक्रेन पर हमला करता है, तो यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अब तक का सबसे बड़ा सैन्य आक्रमण होगा. बाइडेन ने कहा कि अगर रूस ऐसा करता है, तो इससे दुनिया बदल जाएगी. बाइडेन ने यह भी कहा, "अमेरिकी सेनाएं यूक्रेन नहीं जाएंगी."

प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार ने बाइडेन से पूछा कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है, तो क्या वह पुतिन पर भी सीधे-सीधे प्रतिबंध लगाएंगे. इसके जवाब में बाइडेन ने कहा, "हां, मैं इसपर विचार करूंगा." यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पश्चिमी देश यूक्रेन तनाव के बीच रूस के हमले की आशंका के मद्देनजर अपनी तैयारियों और जवाबी कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने में लगे हैं.

पहले किन राष्ट्राध्यक्षों पर लगाया प्रतिबंध?

अमेरिका पहले भी क्राइमिया पर कब्जे के बाद रूस पर प्रतिबंध लगा चुका है. यूक्रेन पर बढ़ते तनाव के बीच भी अमेरिका ने कई बार रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी. बाइडेन ने यह भी कहा कि इस बार के प्रतिबंध पहले से ज्यादा विस्तृत और गंभीर होंगे.

Russland Moskau | Präsident | Vladimir Putin
व्लादीमिर पुतिन तस्वीर: Russian President Press Office/dpa/picture alliance

मगर अब रूस पर प्रतिबंध लगाने के अलावा अमेरिका ने सीधे पुतिन के ऊपर भी निजी आर्थिक प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है. अमेरिका का विदेशी राष्ट्राध्यक्षों पर ऐसे प्रतिबंध लगाना आम नहीं है, लेकिन ऐसा पहले हो चुका है. इससे पहले वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो, सीरिया के तानाशाह बशर अल-असद और लीबिया के मुअम्मर गद्दाफी पर अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है.

नाटो की तैयारियां

उधर रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने की आशंकाओं के बीच नाटो ने भी सैन्य सक्रियता बढ़ा दी है. नाटो ने फौज को तैयार रहने के लिए कहा है.  पूर्वी यूरोप में भी सुरक्षा और सैन्य ताकत बढ़ाई जा रही है. अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने अमेरिका और यूरोप में मौजूद अपने करीब 8,500 सैनिकों को अलर्ट पर रखा है.

अगर जरूरत पड़ी, तो इन्हें नाटो की पूर्वी यूरोपीय सीमा पर तैनात किया जाएगा. इस तरफ एस्टोनिया, लातीविया, लिथुआनिया, पोलैंड, चेक रिपब्लिक, हंगरी, रोमानिया और बुल्गारिया आते हैं. ये वो देश हैं, जो 1989 के बाद नाटो में शामिल हुए.

रूस की शर्त

रूस हमला करने की योजना से इनकार कर रहा है. वह नाटो और अमेरिका की गतिविधियों को मौजूदा तनाव का कारण बताता है. रूस ने नाटो पर विस्तारवादी रुख अपनाने का आरोप लगाते हुए उससे कुछ ठोस आश्वासन मांगे हैं.

इनमें यूक्रेन और जॉर्जिया को कभी भी नाटो सदस्यता ना देने की गारंटी शामिल है. रूस अपने पूर्व सोवियत संघ सहयोगी यूक्रेन को अपने भूभाग और नाटो देशों के बीच का बफर समझता है. रूस का कहना है कि वह पश्चिमी देशों की मौजूदा सैन्य तैयारियों पर नजर रखे है.

Ukraine | Konflikt in der Ostukraine
सीमा पर गश्त लगाते यूक्रेन के सैनिक.तस्वीर: Maksim Levin/REUTERS

रूस ने चेतावनियों पर क्या कहा?

यूक्रेन तनाव घटाने और उसकी सीमाओं के पास रूस की तरफ से की गई सैन्य तैनाती को हटाने के लिए पश्चिमी देशों की रूस के साथ हुई वार्ताएं अब तक बेनतीजा रही हैं. इस मसले पर अमेरिका और रूस के बीच कई दौर की वार्ता का भी कोई परिणाम नहीं निकला. बाइडेन ने रूस को गंभीर आर्थिक परिणाम भुगतने की जो चेतावनी दी थी, उसका भी कोई विशेष असर नहीं दिखा.

इन चेतावनियों पर रूस की ओर से कहा गया कि वह इनका सामना करने को तैयार है. ऐसे में बाइडेन का यह कहना कि पुतिन को निजी तौर पर आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है, अमेरिका द्वारा संभावित कार्रवाई को और केंद्रित करने की भी कोशिश मानी जा रही है.

बातचीत की कोशिश अब भी जारी

इस समय नाटो के करीब 4,000 सैनिक एस्टोनिया, लिथुआनिया, लातिविया और पोलैंड में मौजूद हैं. इनके पास तोप, एयर डिफेंस सिस्टम, इंटेलिजेंस और सर्विलांस यूनिट भी हैं. हालांकि जवाबी कार्रवाई कैसी हो, इसे लेकर नाटो सदस्यों के बीच मतभेद भी हैं. मौजूदा तनाव के बावजूद 26 जनवरी को पुतिन की इटली की कुछ सबसे बड़ी कंपनियों के प्रमुखों से मुलाकात होने वाली है.

इटली और रूस के बीच नजदीकी व्यापारिक संबंध हैं. रूस, इटली का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है. 26 जनवरी को ही रूस, यूक्रेन, जर्मनी और फ्रांस के प्रतिनिधियों के बीच पैरिस में भी एक वार्ता होनी है.

स्विफ्ट नेटवर्क से रूस को बैन करने पर विचार

मतभेदों के बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पश्चिमी देशों से एकता बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा, "अभी बहुत जरूरी है कि पश्चिमी देशों में एका बना रहे. रूसी आक्रामकता से निपटने में हमारी एकता बहुत प्रभावी साबित होगी." जॉनसन ने यह भी कहा कि वह रूस को अंतरराष्ट्रीय भुगतान व्यवस्था 'स्विफ्ट' से प्रतिबंधित करने के विकल्प पर अमेरिका के साथ बातचीत कर रहे हैं.

उधर फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कहा कि वह 28 जनवरी को पुतिन के साथ टेलिफोन पर बात करेंगे. माक्रों ने कहा कि इस प्रस्तावित बातचीत के दौरान पुतिन से यूक्रेन पर उनके रुख को लेकर स्पष्टीकरण मांगेंगे. इन सारी गतिविधियों और सक्रियताओं के बीच यूक्रेन का राजनैतिक नेतृत्व अभी अपने नागरिकों से शांति बनाए रखने और परेशान न होने की अपील कर रहा है.

25 जनवरी को टीवी पर प्रसारित अपने संबोधन में राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने नागरिकों से कहा, "चीजें ठीक नहीं हैं और हम भी किसी गलतफहमी में हैं. हालात सामान्य नहीं हैं, लेकिन अभी उम्मीद बची है. अपने शरीर को कोरोना से बचाइए, दिमाग को झूठ से बचाइए और अपने दिल को दहशत से बचाइए."

एसएम/एनआर (रॉयटर्स)

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