युवाओं में टेस्ट की भूख नहीं: द्रविड़
२३ फ़रवरी २०१०भारत के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ कहते हैं कि वैसे तो युवा खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट की तारीफ़ करते हैं लेकिन उन्हें यह डर भी सताता है कि कि उनमें टेस्ट के प्रति अपने सीनियर खिलाड़ियों जैसी दीवानगी नहीं है. "मुझे लगता है कि वे कहने के लिए सही बात कहते हैं. वो सिर्फ़ बोलते हैं. लेकिन मेरी पीढ़ी के खिलाड़ियों में टेस्ट में अच्छा खेलने की जैसी भूख थी आज वो नदारद है."
पुराने दिनों को याद करते हुए द्रविड़ बताते हैं कि उनके समय में सिर्फ़ फ़र्स्ट क्लास और टेस्ट क्रिकेट था. अब कई और विकल्प सामने आ गए हैं. भविष्य के प्रति आशंका जताते हुए द्रविड़ कहते हैं कि अगर समय रहते टेस्ट क्रिकेट को संवारने के प्रयास नहीं किए गए तो आने वाले दिनों में स्थिति और ख़राब हो सकती है.
"मैं सुरेश रैना या रोहित शर्मा के बारे में चिंतित नहीं हूं. वे फिर भी ऐसे समय में बड़े हुए जब टेस्ट क्रिकेट की अहमियत थी. लेकिन 15-16 साल के खिलाड़ियों को देखकर मैं सोचने लगता हूं कि वो क्या सोच रहे हैं. मैं सोचता हूं कि अगले पांच सालों में क्या होने जा रहा है. इसलिए मुझे लगता है कि टेस्ट मैच बढ़ाए जाने चाहिएं."
बीसीसीआई को सुझाव देते हुए द्रविड़ कहते हैं कि 6 महीने वाला एक घरेलू कैलेंडर होना चाहिए जिसमें हमें 6 टेस्ट और कुछ वनडे मैच खेलने चाहिए. द्रविड़ मानते हैं कि बीसीसीआई को अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अन्य देशों के क्रिकेट बोर्ड को इस बात के लिए मनाना चाहिए.
"दुनिया भर में लोगों को यह समझने की ज़रुरत है कि टेस्ट क्रिकेट को भारत में फलना फूलना होगा. क्योंकि अगर दुनिया में टेस्ट क्रिकेट को बचाना है तो फिर पहले भारत में इसे नया जीवनदान देना होगा."
द्रविड़ ने ज़ोर देकर कहा है कि अगर भारत किसी देश के साथ टेस्ट सिरीज़ खेलता है तो उसमें दो के बजाए तीन टेस्ट कराए जाने चाहिए. द्रविड़ का इशारा दक्षिण अफ़्रीका के साथ खेली गई श्रृंखला की ओर था जिसमें दो टेस्ट मैच हुए थे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़