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म्योंचेनग्लाडबाख की साख

२१ अगस्त २००९

कोलोन के नज़दीक राइन घाटी के क्षेत्र का लंबी परंपरा का एक और फ़ुटबॉल क्लब है बोरोसिया म्योंचेनग्लाडबाख. अपने 41,450 सदस्यों के साथ यह इस इलाके का सबसे बड़ा और देश का छठा सबसे बड़ा क्लब है.

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क्लब के कोच मिषाएल फ़्रोंत्सेकतस्वीर: picture-alliance/ dpa

छोटे से शहर म्योंचेनग्लाडबाख के इस क्लब का स्टेडियम बोरुसिया पार्क इस वक्त बन रहा है. इसलिए उसके घरेलू खेल ड्युसेलडोर्फ़ के स्टेडियम में खेले जाते हैं.

1900 में स्थापित इस क्लब को बुंडेसलीगा चैंपियन बनने के लिए 70 साल इंतज़ार करना पड़ा था. लेकिन 1970 में पहली बार चैंपियन बनने के बाद उस दशक में वह पांच बार बुंडेसलीगा चैंपियन व दो बार वाइस चैंपियन बना. इसी दशक में 1975 और 79 में वह उएफ़ा कप विजेता भी रहा.

इसके अलावा वह तीन बार डीएफ़बी कप विजेता रहा है, आखिरी बार 1995 में. सत्तर के दशक में इस कामयाबी के पीछे जांबाज़ खिलाड़ियों की विशेष भूमिका रही है, जो अपने आक्रामक खेल के लिए सारे देश में मशहूर थे. इसी वजह से इस बछेड़ों की टीम भी कहा जाता था.

लेकिन क्लब के वे सुनहरे दिन अब नहीं रहे. पिछले सत्र में वह बुंडेसलीगा तालिका में 15वें स्थान पर था, और इस तरह दूसरी लीग में गिरने से बाल-बाल बच गया. लेकिन 31 अंकों के साथ क्लब ने लीग में सबसे कम अंक पाकर बुंडेसलीगा में टिके रहने का रेकार्ड बनाया.

वैसे इस सत्र के दो खेलों के बाद उसकी हालत काफ़ी अच्छी है. एक ड्रॉ व एक जीत के साथ वह चौथे स्थान पर है. और सबसे बड़ी बात कि उसके खेल का चरित्र अब भी नहीं बदला है.

लेखक: उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: एस जोशी