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मोदी सरकार ने एक और संस्थान से कांग्रेस की छुट्टी की

चारु कार्तिकेय
२० नवम्बर २०१९

जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष की सदस्यता खत्म कर दी गई है. एनडीए सरकार पर राजनीतिक प्रतिद्वंदिता से प्रेरित कदम उठाने के आरोप लगे हैं.

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Indien Sonia Gandhi in Neu-Delhi
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Das

एनडीए सरकार ने एक और संस्थान से कांग्रेस पार्टी के संबंध को खत्म कर दिया है. मंगलवार को राज्य सभा से अनुमोदन प्राप्त होने के बाद जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन विधेयक संसद से पारित हो गया. इस संशोधन के जरिये स्मारक को चलाने वाले ट्रस्ट से कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की सदस्यता खत्म कर दी गई है. 

स्मारक और ट्रस्ट 1951 में बने थे और उसके सदस्यों में प्रधानमंत्री (बतौर अध्यक्ष), कांग्रेस अध्यक्ष, केंद्रीय संस्कृति मंत्री, लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष, पंजाब के राज्यपाल, पंजाब के मुख्यमंत्री और 5 साल के कार्यकाल के लिए मनोनीत तीन ट्रस्टी को शामिल किया गया था. यह जानकारी संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई है. हालांकि राज्य सभा में इस विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि इन पदों की ट्रस्ट की सदस्यता के रिकॉर्ड में कोई चर्चा नहीं है, बल्कि उस समय इन पदों पर जो लोग थे उनका जिक्र है. 

नए संशोधन के माध्यम से ट्रस्ट की सदस्यता में तीन बड़े बदलाव किए गए हैं. पहला, कांग्रेस अध्यक्ष की सदस्यता खत्म कर दी गई है; दूसरा, लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष ना होने की सूरत में सबसे बड़े दल के नेता को बतौर स्थायी सदस्य शामिल कर लेने का प्रावधान बना दिया गया है; और तीसरा, मनोनीत सदस्यों के कार्यकाल को 5 साल से पहले भी बिना कोई कारण बताये खत्म किया जा सकता है. 

Indien Gedenkfeiern zum 100. Jahrestag des Jallianwala Bagh Massakers
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/P. Gill

लोक सभा ने इस विधेयक को पिछले सत्र में ही दो अगस्त को पारित कर दिया था. राज्य सभा से अनुमोदन बाकी था जो मंगलवार को ध्वनि-मत से मिल गया. 

सरकार ये विधेयक पिछली ही लोक सभा में लाई थी और पारित करवा लिया था. राज्य सभा में कांग्रेस ने इसका विरोध किया था जिसकी वजह से यह उस सदन से पारित नहीं हो पाया था. नई लोक सभा में सरकार एक बार फिर इसे ले आई और पारित करवा लिया. 

विपक्ष के कई सदस्यों ने सरकार पर एक राष्ट्रीय स्मारक की आड़ में राजनीति करने का आरोप लगाया. हालांकि राज्य सभा में संस्कृति मंत्री ने कहा कि ये जलियांवाला बाग हत्याकांड का सौंवा वर्ष है और इस मौके पर इन संशोधनों के माध्यम से ट्रस्ट को अराजनीतिक बनाया जा रहा है. 

नेहरू स्मारक संग्रहालय में नाममात्र की उपस्थिति 

यह पहली बार नहीं है जब एनडीए सरकार पर राजनितिक प्रतिद्वंदिता से प्रेरित कदम उठाने का आरोप लगा है. इससे पहले भी सरकार ने एक और संस्थान से कांग्रेस पार्टी के सभी संबंधों को खत्म किया है. नई दिल्ली के नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) से भी धीरे धीरे सरकार ने कांग्रेस का रिश्ता खत्म कर दिया है.

Jawaharlal Nehru 1960
तस्वीर: Getty Images

एनएमएमएल देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जीवन और कार्यकाल को समर्पित संग्रहालय और शोध संस्थान है. एनडीए सरकार ने अपने पहले ही कार्यकाल में घोषणा की थी कि एनएमएमएल के स्वरूप को बदल कर इसे सिर्फ नेहरू की जगह सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संस्थान के रूप में विकसित किया जाएगा. 

इसके बाद यूपीए सरकार द्वारा नियुक्त किये गए 4 सदस्यों को हटाकर बीजेपी और आरएसएस के करीबी लोगों को नियुक्त करने का आरोप एनडीए सरकार पर लगा . 

कुछ ही दिन पहले एनएमएमएल के बोर्ड से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और कर्ण सिंह को हटा दिया गया. कांग्रेस की अब बोर्ड में सिर्फ नाममात्र की उपस्थिति रह गई है. जवाहरलाल नेहरू स्मारक फंड की तरफ से एक प्रतिनिधि अभी भी बोर्ड का सदस्य है. बोर्ड की बैठकों में फंड की तरफ से कौन शामिल होगा इसका फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी. 

गांधी परिवार का सुरक्षा कवच हटाना 

बीते कुछ दिनों से एक और मसला है जिसे लेकर कांग्रेस पार्टी सरकार पर पक्षपात का आरोप लगा रही है और विरोध कर रही है. सरकार ने हाल ही में सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और उनकी बेटी प्रियंका गांधी को मिलने वाली एसपीजी सुरक्षा कवच वापस ले ली है. एसपीजी का गठन प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए हुआ था. 

गांधी परिवार के दो सदस्यों पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री राजिव गांधी की आतंकवादियों के हाथों हत्या हो चुकी है इसीलिए परिवार के सदस्यों को अभी तक विशेष सुरक्षा प्राप्त थी. सरकार ने ताजा मूल्यांकन के बाद इस सुरक्षा को हटा लिया. अब उन्हें जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिल रही है.

कांग्रेस सरकार पर पक्षपात करने का और पार्टी के नेताओं की जान जोखिम में डालने का आरोप लगा रही है और संसद में भी विरोध कर रही है. हालांकि राज्यसभा में बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सुरक्षा की समीक्षा सरकार या सरकार के मंत्री नहीं बल्कि गृह मंत्रालय करता है.

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