मोदी को भारी पड़ेगी बलात्कार पर लोगों की नाराजगी?
१९ अप्रैल २०१८उत्तर प्रदेश के उन्नाव और जम्मू के कठुआ में हुए बलात्कार के दो मामलों को लेकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी चौतरफा आलोचनाओं में घिरी है. कठुआ में आठ साल की एक बच्ची का अपहरण हुआ, कई दिनों तक उसका सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर बर्बर तरीके से हत्या कर दी गई. जम्मू कश्मीर सरकार में शामिल बीजेपी के दो मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि वे बलात्कार के आरोपियों के समर्थन में हुए प्रदर्शन में शामिल हुए. इस मामले में आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और उनके खिलाफ मुकदमा शुरू हो गया है. लेकिन इस घटना को लेकर देश भर में रोष दिख रहा है.
दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक किशोरी का बलात्कार करने के आरोप खुद एक बीजेपी विधायक पर लगे हैं. जब मोदी 2014 में केंद्र की सत्ता में आए तो उन्होंने नारा दिया था, "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ." लेकिन अब एक के बाद एक बलात्कार की घटनाओं के मद्देनजर यह नारा खोखला नजर आता है. कठुआ और उन्नाव रेप को लेकर जारी बहस के बीच रविवार को प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में भी पुलिस को एक बच्ची का शव मिला है. उसकी हत्या करने से पहले उसका बलात्कार किया गया था.
भारत में बलात्कार पीड़ितों में 40 फीसदी बच्चे होते हैं. 2016 में देश भर में बलात्कार के 40 हजार मामले दर्ज किए गए जो 2012 के मुकाबले 60 प्रतिशत ज्यादा हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों कहा कि जो भी दोषी होंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. कई दिनों की चुप्पी के बाद उन्होंने उन्नाव और कठुआ के मामलों पर अपना यह बयान दिया था.
अगले साल भारत में आम चुनाव होने हैं. अर्थव्यवस्था और धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति असहिष्णुता निश्चित तौर पर बड़े मुद्दे होंगे. लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि बलात्कार के मामलों को लेकर बीजेपी के ढुलमुल रवैये को भी विपक्षी पार्टियां मुद्दा बनाना चाहेंगी. एक राजनीतिक विश्लेषक नीरा चौधरी कहती हैं, "इसका राजनीतिक परिणाम तो होगा. हर पार्टी इसे मुद्दा बनाएगी." उनका मानना है कि ऐसे मामलों पर प्रधानमंत्री मोदी की हिचकिचाहट सवाल खड़े करती हैं जिनमें खुद उनकी पार्टी के सदस्य शामिल हों.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मोदी के आलोचक समझे जाने वाले यशवंत सिन्हा ने एक खुल पत्र लिख कर प्रधानमंत्री से जवाब तलब किया है. पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने लिखा, "महिला जितनी असुरक्षित आज हैं, उतनी कभी नहीं थीं. बलात्कार रोजमर्रा की बात हो गए हैं और बलात्कारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बजाय हम उनकी ढाल बन रहे हैं. बहुत मामलों में, खुद हमारे लोग घिनौने अपराधों में शामिल हैं."
इससे पहले 50 पूर्व नौकरशाहों ने भी बीजेपी सरकार के खिलाफ इसी तरह का रुख अपनाया. इनमें पूर्व राजदूत, पुलिस प्रमुख और अन्य पूर्व अफसर शामिल हैं. महाराष्ट्र में पूर्व पुलिस प्रमुख रहे वाप्पाला बालचंद्रन ने कहा, "हर सरकार के शासनकाल में बलात्कार हुए हैं और होते रहेंगे लेकिन आप अपने नेता से उम्मीद करते हैं कि वह इस बारे में कुछ बोले."
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को मोदी सरकार को घेरने के लिए महिला सुरक्षा का एक और मु्द्दा मिल गया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इंडिया गेट पर कैंडल मार्च निकाला. यहीं 2012 में निर्भया मामले पर भारी जनसैलाब जमा हुआ था. नीरा चौधरी कहती हैं कि इस बार उतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन नहीं हुआ और उसकी वजह है ऐसे लोगों की गैर मौजूदगी जो भारतीय जनता पार्टी के समर्थक हैं. वह कहती हैं, "यह अजीब है और जिज्ञासा भी जगाता है कि अकसर झंडा उठाने वाली और महिला के मुद्दों पर सक्रिय भारतीय जनता पार्टी की महिला नेता क्यों चुप हैं. क्या इसलिए कि कठुआ में बलात्कार की शिकार हुई बच्ची मुसलमान थी?"
भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर क्या विशेष कदम उठाएगी, यह तो साफ नहीं है लेकिन महिला और बाल अधिकार मंत्री मेनका गांधी ने 12 साल की कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों को मौत की सजा देने की वकालत की है. अभी ऐसे जघन्य अपराधों में फांसी की सजा देने का अधिकार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के पास है.
एके/ओएसजे (रॉयटर्स)