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मैराथन बैठक के बाद ईयू में रिफ्यूजी डील पर सहमति

२९ जून २०१८

ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नेताओं की 12 घंटे चली बैठक एक रिफ्यूजी डील के साथ खत्म हो गई. जर्मन चांसलर मैर्केल की सरकार का भविष्य इस बात पर टिका है कि क्या वह ऐसी डील करने में कामयाब होंगी जो देश में सबको स्वीकार्य हो.

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Migration aus Afrika in der Nähe der Stadt Gohneima, Lybien
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/Küstenwache Lybien

यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डॉनल्ड टुस्क ने कहा है कि रात भर चली बैठक के बाद यूरोपीय नेताओं के बीच आखिरकार आप्रवासी डील को लेकर सहमति बन गई.

जर्मनी चांसलर के लिए यह डील बहुत अहम है क्योंकि उनकी सरकार का भविष्य इस पर टिका है. उनकी सरकार में सहयोगी सीएसयू पार्टी के नेता और गृह मंत्री हॉर्स्ट जेहोफर शरणार्थियों के मुद्दे पर मनमाफिक समझौता न होने पर जर्मन सीमा पर शरणार्थियों को लौटाने की धमकी दी है. चांसलर मैर्केल समस्या का यूरोपीय समाधान चाहती हैं.

चांसलर मैर्केल ने 2015 में दस लाख से ज्यादा शरणार्थियों को जर्मनी में आने दिया. लेकिन अब उनकी सरकार में सहयोगी और गृह मंत्री जेहोफर तथाकथित 'सेकेंडरी माइग्रेशन' पर पाबंदी लगाने के लिए जोर डाल रहे हैं.

जो लोग जर्मनी में आ चुके हैं, उनके परिवारों को अब यहां लाने की प्रक्रिया को सेकंडरी माइग्रेशन का नाम दिया जा रहा है.

अब यूरोपीय संघ की डील पर सीएसयू पार्टी के एक नेता हांस मिशेलबाख ने संतोष जताया है. उन्होंने जर्मन टीवी चैनल एआरडी को दिए इंटरव्यू में कहा, "यह साझा यूरोपीय शरणार्थी रणनीति की दिशा में एक सही कदम है."

शरणार्थी मुद्दे पर क्या हैं गभीर मतभेद, जानिए

मैर्केल ने कहा, "यूरोपीय संघ के सामने मौजूद शायद इस सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दे पर सघन बातचीत के बाद यह अच्छी बात है कि हमने एक साझा मसौदा अपनाया है." शिखर बैठक में सदस्य देशों से कहा गया है कि वे इटली और ग्रीस जैसे देशों में आने वाले और फिर जर्मनी की तरफ रुख करने वाले शरणार्थियों को रोकने के लिए "हर संभव" कदम उठाएं. 

डील के तहत यूरोपीय संघ के 28 सदस्य देशों के नेता उन देशों में कदम उठाने के लिए सहमत हुए हैं जहां से शरणार्थी नौकाओं में सवार होकर यूरोप की तरफ आते हैं. इनमें खासकर उत्तरी अफ्रीका के देश शामिल हैं, जहां अब यूरोपीय संघ की तरफ से ऐसे कदम उठाए जाएंगे कि वहां से यूरोप की तरफ लोगों का आना रोका जा सके. 

इसके अलावा, यूरोपीय संघ के सदस्य अपने यहां माइग्रेशन प्रोसेसिंग सेंटर कायम कर सकते हैं जिसके जरिए वे यह तय कर सकते हैं कि आने वाले लोगों को आर्थिक आप्रवासी मान कर वापस उनके देश वापस भेजा जाए या फिर उन्हें शरणार्थी के तौर पर वे अपने यहां जगह दें. लेकिन यह सब स्वेच्छा के आधार पर होगा. 

शरणार्थियों के लिए नरक बना लीबिया

शिखर सम्मेलन में इटली का रुख सबकी चर्चा के केंद्र में था जहां महीने भर पहले ही शरणार्थियों का विरोध करने वाली दो पार्टियों के गठबंधन ने सत्ता संभाली है. शुक्रवार तड़के जब तक इटली के प्रधानमंत्री जुसेप कोंते की सारी मांगें नहीं मान ली गईं, वे यूरोपीय संघ के सभी निष्कर्षों पर वीटो करते रहे.

हाल के हफ्तों में इटली की सरकार ने अपने तटों पर पहुंचने वाली शरणार्थियों की कई नौकाओं को वापस लौटाया है. डील पर अब इटली के प्रधानमंत्री ने संतोष जताया है. उन्होंने कहा, "आज इटली अकेला नहीं है. हम संतुष्ट हैं." डील होने पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कहा, "यूरोपीय आपसी सहयोग से ऐसा हो पाया."

एके/एमजे (एएफपी, डीपीए)

रोहिंग्या शरणार्थियों के घाव

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