'मुझसे होगी शुरुआत'
१२ अप्रैल २०१४चाहे "यूथ की आवाज" हो, "जनाग्रह" या फिर "वोट फॉर इंडिया" भारत में कई गैरसरकारी संगठन युवाओं को मतदान, चुनाव और सरकार के कामकाज के बारे में जागरूक करने में लगे हैं. जनाग्रह के सह संस्थापक स्वाति और रमेश रामनाथन वेबसाइट पर वीडियो में कहते हैं, "जब हमने सवाल करने शुरू किए कि कचरा क्यों नहीं उठाया गया, सड़कें सुधरती क्यों नहीं.. और भी कई सवाल, जो हमारी रोजमर्रा से जुड़े हैं. सरकार और उसका तंत्र, स्थानीय प्रशासन कैसे काम करता है. कैसे और कितने गहरे सब एक दूसरे पर निर्भर हैं."
क्या चुनाव में वोट दे देना और फिर राजनीति से अलग हो जाना, सरकार के किसी फैसले पर कोई आवाज नहीं उठाना, क्या एक नागरिक का इतना ही कर्तव्य है. इन सवालों पर काम करने वाले एक एनजीओ प्रवाह के अनमेनिफेस्टो अभियान पिछले साल से चर्चित हो रहा है. पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश में कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों और किशोरों को राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल करने और उनसे इनपुट ले नेताओं तक पहुंचाने का अभियान जोरों पर चल रहा था.
अनमेनिफेस्टो कैंपेन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली टीम की सदस्य महामाया नवलखा ने बताया, "ये ठीक उसी तरह है, जैसे वंडरलैंड में एलिस थी. वो अनबर्थडे मनाती थी, यानी हर रोज जन्मदिन. इसी तर्ज पर हमने अनमेनिफेस्टो प्रोग्राम बनाया है, पूरे साल सरकारी या लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी. हमारा अभियान राजनीति को उस कोण से देखता है, जहां युवा भी प्रक्रिया में शामिल हों, उसे सिर्फ नाम न रखें. जो सवाल हमने खुद से भी पूछा कि क्या हमें सरकार की पूरी अवधि में राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं होना चाहिए."
अक्सर भारत में लोग ये कहते मिल जाएंगे कि सरकार ने कुछ नहीं किया, सड़कें नहीं बनीं, रोजगार नहीं मिल रहे, रिश्वत की मारामार है. लेकिन लोग राजनीतिक प्रक्रिया के बारे में कितने जागरूक हैं और कितनी बार उन्होंने सरकार के काम पर सवाल उठाए... महामाया ने कहा, "हम चाहते थे कि युवाओं के लिए ऐसी जगह बनाई जाए जहां वे पूरा साल राजनीति में सक्रिय रह सकें. उसके हर बदलाव में शामिल हों, सिर्फ चुनाव के दिन ही नहीं. आरोप लगाने की बजाए हम चाहते हैं कि वो लोकतंत्र में खुद की जगह बनाएं."
विधानसभा चुनावों से शुरू हुआ यह अभियान फिलहाल देश के 20 राज्यों और चार केंद्रशासित प्रदेशों में चल रहा है और इसमें अलग अलग 45 पार्टनर शामिल हैं. ये सिर्फ इंटरनेट कैंपेन या वोट करने की मुहिम नहीं है. बल्कि शहरों, गांवों, स्कूल और कॉलेजों से करीब 80,000 युवाओं के मत अनमेनिफेस्टो के तहत इकट्ठा किए गए हैं.
कम्यूनिटी- द यूथ कलेक्टिव और यूएनएफपीए के समर्थन वाले इस अभियान में राजनीतिक प्रक्रिया में युवाओं के सतत और सक्रिय योगदान को सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है. छह महीने से इस अभियान का राष्ट्रीय नेतृत्व कर रही महामाया ने बताया, "कम्यूनिटी के लोग हमारे साथ हैं और कैंपेन चलाने के लिए हमने एक हब बनाया. जिसके तहत देश भर में 45 पार्टनरों का गठबंधन है जो इस काम में लगा है."
2014 के लोकसभा चुनावों में दो करोड़ 30 लाख युवा पहली बार मत देने वाले हैं और कुल वोटरों की संख्या 80 करोड़ से ज्यादा है. ऐसे देश में युवाओं पर कुछ नहीं करने का आरोप लगाने वालों के लिए यह अभियान करारा जवाब है, "ये अभियान दिखाता है कि युवा बदलाव करना चाहते हैं और अगर उन्हें सही मंच दिया गया तो वो सिस्टम का हिस्सा बन कर इसे बदलने के लिए भी तैयार हैं. और ये सिर्फ एलीट क्लास के युवा नहीं समाज के हर तबके के युवा हैं."
रिपोर्टः आभा मोंढे
संपादनः अनवर जे अशरफ