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समाज

मीट के शौकीनों से छूटी अस्सी साल की विरासत

प्रभाकर मणि तिवारी
१८ जनवरी २०१९

मांसाहार के शौकीन लोगों के बीच आठ दशक से भी लंबे अरसे से लोकप्रिय रहा कोलकाता का कैलमैन कोल्ड स्टोरेज हाउस बंद करना पड़ा है. इसके बंद होने में बदलते सांप्रदायिक माहौल ने निभाई है अहम भूमिका.

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Indien Kalkutta Kalman Cold Storage meat shop
तस्वीर: DW/P. Mani

कई बार नाम और चेहरे भ्रामक होते हैं. उससे उस व्यक्ति या जगह की असली पहचान और विरासत का पता नहीं चल पाता. वैसे भी शेक्सपियर कह ही चुके हैं कि नाम में क्या रखा है.

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के पार्क स्ट्रीट से सटे मिर्जा गालिब स्ट्रीट की एक संकरी दुकान कैलमैन कोल्ड स्टोरेज हाउस को देख कर भी इसकी आठ दशक से पुरानी विरासत का अनुमान लगाना मुश्किल है.

यह दुकान इतनी छोटी है कि शायद ही इस पर किसी की निगाह जाती है. लेकिन मांसाहार के शौकीन लोगों के लिए आठ दशक से भी लंबे अरसे से किसी तीर्थ की तरह रही यह विरासत अब इसी सप्ताह बंद हो गई है. 1930 के दशक में हंगरी के कैलमैन गोहरी की ओर से स्थापित इस दुकान में एक ही छत के नीचे गाय-भैंस, सूअर और मुर्गे का कच्चा मांस, हैम और सासेज वगैरह बिकता था. लेकिन अब यह सब इतिहास बन चुका है.

देश में बढ़ती सांप्रदायिक असहिष्णुता ने इस दुकान को बंद करने में अहम भूमिका निभाई है. बीते साल से दुकान में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारी सुअर को हाथ नहीं लगाते थे और हिंदू कर्मचारी गाय-भैंस को.

कैसा रहा है इतिहास

वर्ष 1930 के दशक के उत्तरार्ध में सुभाष चंद्र बोस के कोलकाता नगर निगम के मेयर रहते निगम ने कैलमैन गोहरी नामक एक हंगेरियन को कोलकाता में एक ही छत के नीचे सूअर, मुर्गे और बीफ यानी गाय का मांस बेचने का लाइसेंस दिया था. गोहरी ने वर्ष 1937 में मांस की यह दुकान कोली थी. वह तीन दशक तक इसे खुद चलाते रहे. उनके निधन से कुछ समय पहले वर्ष 1969 में दुकान के सबसे पुराने कर्मचारी विष्णुपद धर ने यह दुकान खरीद ली थी और अब तक इसे चलाते रहे थे.

Indien Kalkutta Kalman Cold Storage meat shop
इस संकरी सी दुकान की लंबा रहा है इतिहास.तस्वीर: DW/P. Mani

लेकिन हाल ही में इसके मालिक ने पुराने सामान की जगह अब यहां कपड़े बेचने का फैसला किया है. इससे इस दुकान के स्थायी ग्राहकों में भारी निराशा है. अभी बीते क्रिसमस और नए साल के मौके पर भी इस दुकान के सामने ग्राहकों की लंबी कतारें लगी थीं.

कैलमैन में जिस क्वालिटी का बीफ, चिकेन, पोर्क या डक एक ही छत के नीचे मिलता था, वैसा पूरे कोलकाता महानगर में कहीं और नहीं मिलता. एक ही दुकान में सब कुछ मिलने की वजह से इसके ग्राहकों में हिंदू, चीनी, ईसाई और बंगाली विभिन्न तबकों के लोग शामिल थे. इस दुकान के पुराने ग्राहक रहे अभिनेता अंजन दत्त कहते हैं कि समय के साथ बहुत सी चीजें बदलती हैं लेकिन कुछ दुकानों और मोहल्लों के साथ इतिहास जुड़ा रहता है.

Symbolbild | rotes Fleisch
तस्वीर: Colourbox

बंद करने की वजह क्या

आखिर ग्राहकों में भारी लोकप्रियता के बावजूद अचानक इस दुकान को बंद करने का फैसला क्यों किया गया? इसकी मालकिन आगमनी धर बताती हैं, "हमारे ग्राहकों की तादाद भी ठीक थी और मुनाफा भी बढ़िया था. लेकिन बीते साल से एक नई व अनूठी समस्या सामने आ गई थी. दुकान के हिंदू कर्मचारी गाय को छूने से मना कर रहे थे और मुस्लिम कर्मचारी सुअर को छूने से. बीते आठ दशकों के दौरान कभी ऐसा नहीं हुआ था.”

दुकान के मैनेजर रहे जय घोष बताते हैं, "बीते साल अक्तूबर से यह समस्या काफी गंभीर हो गई थी. पुराने कर्मचारी रिटायर हो रहे थे और नए लोग मांस छूने से इंकार कर रहे थे. मांस को प्रोसेस कर ग्राहकों की मर्जी के मुताबिक बनाने के लिए एक्सपर्ट कर्मचारी नहीं मिल रहे थे.” वह बताते हैं कि ग्राहकों का ध्यान रखते हुए किसी तरह क्रिसमस और नए साल तक दुकान चलाई गई. लेकिन अब आगे ऐसा करना संभव नहीं है.

कैलमैन महानगर के कई प्रमुख क्लबों और जानी-मानी हस्तियों को भी तरह तरह के मांस की सप्लाई करता था. दुकान के सबसे पुराने कर्मचारी निखिल चंद्र लोध कहते हैं, "यह दुकान चलाई जा सकती थी. लेकिन सांप्रदायिकता और धार्मिक असहिष्णुता के जहर ने इसे असमय ही मार दिया.”

कैलमैन के ग्राहक सिर्फ कोलकाता और आस पास के जिलों में ही नहीं बल्कि कश्मीर से लेकर पड़ोसी बांग्लादेश तक फैले थे. इसी गली में हर साल कश्मीर से आकर शाल बेचने वाले अली मोहम्मद और उनके साथी तो घर लौटते समय यहां से प्रोसेस्ड बीफ पैक करा कर ले जाते थे. कई बांग्लादेशी भी ऐसा ही करते थे.

कैलमैन के पुरानी ग्राहक रहे अनिंद्य जाना कहते हैं, "यह दुकान विविधता में एकता की मिसाल थी. दुकान के बाहर अपनी बारी का इंतजार करने वाले ग्राहकों में थामस और डिसूजा से लेकर बनर्जी, चटर्जी, हुसैन और खान तक शामिल थे. सब लोग बेहद धैर्य के साथ अपनी बारी का इंतजार करते रहते थे.” जाना कहते हैं कि जिसने एक बार कैलमेन का मांस चख लिया वह हमेशा के लिए उसका मुरीद हो जाता था.

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