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मारे गए प्रभाकरणः श्रीलंका में संघर्ष ख़त्म

१८ मई २००९

तमिल छापामारों के प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरण को मार गिराया गया है. श्रीलंका सेना ने दावा किया कि इसके साथ ही उन्होंने 25 साल पुरानी लड़ाई जीत ली है.

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जीत के बाद जश्नतस्वीर: AP

श्रीलंका में लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण के मारे जाने के साथ ही सरकार ने 25 साल पुरानी लड़ाई जीत लेने का दावा किया है. सेना का कहना है कि 1983 के बाद पहली बार पूरे देश पर सरकार का नियंत्रण हो गया है.

श्रीलंका के राष्ट्रीय टेलीविज़न चैनल ने बताया कि सोमवार तड़के लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरण एक एंबुलेंस में भागने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन उन्हें संघर्ष के क्षेत्र में ही घेर लिया गया और उसे मार गिराया. इसके साथ ही श्रीलंका की सेना ने अब तक के सबसे मुश्किल अभियान में सबसे बड़ी कामयाबी हासिल करने का दावा किया है.

Srilankische Soldaten neben einem Flugabwehrgeschütz der Tamil Tiger
लिट्टे के गढ़ में पहुंची सेनातस्वीर: AP

तमिलों की आज़ादी के संघर्ष के रूप में ख़ुद को स्थापित करने वाली लिट्टे के ख़ुफिया प्रमुख पोट्टू अम्मान और इसके नौसैनिक विभाग के कर्ता धर्ता सूसई के भी मारे जाने की रिपोर्ट है. लिट्टे का नौसैनिक विभाग सी आर्मी के नाम से ख्याति हासिल कर चुका था.

समझा जाता है कि प्रभाकरण के पास आत्मघाती हमलावरों का दुनिया का सबसे बड़ा बेड़ा था, जिसके आधार पर उन्होंने श्रीलंका सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला था. प्रभाकरण कई बार दावा कर चुके थे कि उन्हें कभी भी ज़िन्दा नहीं पकड़ा जा सकता है.

श्रीलंका की सेना के कमांडर लेफ़्टिनेंट जनरल सराथ फ़ोन्सेका ने बताया कि तीन साल पहले राष्ट्रपति महेंदा राजपक्षे ने सेना को जो ज़िम्मेदारी दी थी, वह पूरी कर ली गई है.

फ़ोन्सेका ने राष्ट्रीय टेलीविज़न पर कहा, "हमने उत्तरी क्षेत्र को आतंकवादियों से मुक्त करा लिया है और इसके साथ ही पूरा देश आज़ाद हो गया है. हमने लिट्टे के क्षेत्र पर पूरी तरह कब्ज़ा कर लिया है."

राष्ट्रपति राजपक्षे ने शनिवार को ही जीत का दावा कर दिया था, जब आधुनिक एशिया की सबसे लंबी जंग अपने चरम पर पहुंच चुकी थी.

Staatsrpräsident Rajapakse feiert Sieg gegen Rebellen
राजपक्षे की विजयतस्वीर: AP

श्रीलंका की सेना ने बताया कि आख़िरी लड़ाई एक रेतीली जगह पर हुई. सेना का कहना है कि मुट्ठी भर तमिल लड़ाकों ने ख़ुद को बंकरों में छिपा लिया था और अपने चारों तरफ़ बारूद बिछा ली थी.

तमाम अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद श्रीलंका की सेना ने इस बार आर पार की लड़ाई छेड़ रखी थी. श्रीलंका सरकार का कहना था कि वह इस बार इस जंग को ख़त्म करके ही दम लेगी. लगभग 25 साल पुरानी लड़ाई के आख़िरी चरण में सेना ने 15,000 वर्ग किलोमीटर का इलाक़ा घेर लिया और लिट्टे पर चारों तरफ़ से हमला कर दिया.

लिट्टे और श्रीलंका सरकार में कई बार संघर्ष विराम हुआ था, जो टूट जाता था. सबसे बड़ा विराम 2002 में किया गया था, जो तीन साल पहले ख़त्म हो गया और दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर हमले तेज़ कर दिए.

सरकारी मीडिया संस्था का कहना है कि अंतिम संघर्ष में लगभग 250 लिट्टे सदस्यों को मार गिराया गया. शनिवार को यह संघर्ष सबसे ख़तरनाक मोड़ पर पहुंच गया. सेना का कहना है कि यहां फंसे 7200 आम शहरियों को निकाल लिया गया है.

राष्ट्रीय टेलीविज़न चैनल ने पहली बार प्रभाकरण के बेटे और उनके वारिस चार्ल्स एंथनी के शवों की तस्वीरें टेलीकास्ट कीं. हालांकि प्रभाकरण का शव अब तक सामने नहीं आया है.

सेना का कहना है कि रात भर चली लड़ाई में प्रभाकरण के बेटे की मौत हो गई, जबकि लिट्टे के राजनीतिक मामलों के प्रमुख बी नादेसन और प्रवक्ता सीवारत्नम पुलिदेवन भी इसी दौरान मारे गए.

उधर, श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में प्रदर्शनकारियों ने ब्रिटिश हाई कमीशन के बाहर इंग्लैंड के विदेश मंत्री डेविड मिलीबैंड का पुतला फूंका. ग़ुस्साए लोगों ने इमारत के बाहर 'लिट्टे मुख्यालय' लिख डाला. ब्रिटेन ने हाल के दिनों में श्रीलंका के सैनिक हमलों का विरोध किया था.

रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः अशोक कुमार