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समाज

महिलाओं ने संभाला स्टेशन, हुई रिकॉर्ड कमाई

१५ अक्टूबर २०१८

जैसे ही ट्रेन का हॉर्न बजता है, चंद्रकला की रफ्तार बढ़ जाती है. वह गेंहू का एक बोरा, एक सूटकेस और एक बैग उठाए हुए है. आड़े तिरछे कदमों और अपनी कोहनियों से भीड़ को चीरते हुए वह ट्रेन के डिब्बे में दाखिल हो जाती है.

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Indien Jaipur Berufstätige Frauen
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain

चंद्रकला एक कुली है और जयपुर शहर के गांधी नगर स्टेशन पर काम करती है. यह भारत का पहला ऐसा रेलवे स्टेशन है, जिसकी कमान पूरी तरह महिलाओं के हाथ में है. टिकट काटने से लेकर कंडक्टर, स्टेशन मैनेजरों से लेकर सफाई कर्मचारी और कुली तक, सब काम यहां महिलाएं ही संभाल रही हैं.

इस स्टेशन पर चंद्रकला जैसी 40 महिला कुली काम करती हैं. आम तौर पर इस पेशे को पुरुषों से जोड़कर देखा जाता है. लेकिन ये महिलाएं अपने काम से लोगों की सोच बदल रही हैं. हालांकि चंद्रकला का कहना है कि शुरू शुरू में उसे कई परेशानियां आईं. वह बताती है, "शुरू में बहुत शर्म आती थी. लगता था कि कैसे यात्रियों से बात करेंगे और कैसे उनका सामान उठाएंगे."

पति की मौत के बाद चंद्रकला के सामने अपने परिवार को चलाने की चुनौती थी. उसे अपने दो बच्चों की परवरिश करनी थी. अब चंद्रकला एक हफ्ते में लगभग तीन हजार रुपये कमाती है और अब उसे यह काम करने में कोई झिझक भी नहीं है. वह बताती है, "अब अजीब नहीं लगता है, अब अच्छा लगता है."

भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. लेकिन देश में कामकाजी महिलाओं की संख्या अब भी बहुत कम है. कई जगहों पर घर से बाहर महिलाओं के काम करने को अच्छा नहीं माना जाता. करियर और कामकाजी दुनिया में अपनी जगह बनाने के लिए महिलाओं को कई सामाजिक मुश्किलों को पार करना पड़ता है.

भारत में कामकाजी महिलाओं का आंकड़ा सिर्फ 27 प्रतिशत के आसपास है. विश्व बैंक के आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में 2005 से कम से कम दो करोड़ महिलाओं को काम छोड़ना पड़ा है. ऐसे में, जयपुर का गांधी नगर स्टेशन महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण है. गांधी नगर स्टेशन भारतीय रेलवे की महिला सशक्तिकरण पहल का हिस्सा है जो 13 लाख कर्मचारियों के साथ भारत का सबसे बड़ा एंप्लॉयर है.

भारतीय रेल मंत्रालय के एक प्रवक्ता तरुण जैन कहते हैं कि वह गांधी नगर स्टेशन की तरह देश में और भी स्टेशन बनाना चाहते हैं. वह बताते हैं कि जब से गांधी नगर स्टेशन का जिम्मा महिलाओं ने संभाला है, वहां होने वाली कमाई में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी देखी गई है. वह बताते हैं, "जहां तक टिकट चेकिंग का सवाल है, राजस्व में बड़ी वृद्धि हुई है. उन्होंने बिना टिकट यात्रा करने वाले बहुत से मुसाफिर पकड़े हैं."

संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन में लैंगिक विशेषज्ञ आया मातसुरा का कहना है कि इस तरह की पहलें महिलाओं के बारे में दकयानूसी विचारों से लड़ने में मदद करती हैं और इससे महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ता है और वे उन क्षेत्रों में जाकर काम करने का हौसला दिखाती हैं जहां आम तौर पर पुरुषों का दबदबा माना जाता है. वह कहती हैं, "इससे युवा पीढ़ी में भी सकारात्मक संदेश जाता है."

जयपुर के गांधी नगर स्टेशन से हर दिन 25 ट्रेन गुजरती हैं जिनमें सात हजार से ज्यादा लोग सफर कर रहे होते हैं. इनमें बहुत से लोग ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले भी होते हैं जो महिलाओं को सब काम करते देख हैरान होते हैं.

रिजर्वेशन सुपरवाइजर नीलम शर्मा कहती हैं कि कई लोग नाराज भी हो जाते हैं, लेकिन यहां से रोजाना सफर करने वाले लोग इस बात से खुश भी होते हैं कि स्टेशन महिलाओं के हाथ में आने से काम कितना बेहतर हुआ है. वह कहती हैं, "यात्री अब काफी खुश हैं."

61 साल के सत्यनारायण का बचपन से इस स्टेशन पर आना जाना रहा है. वह कहते हैं, "बहुत बदलाव आया है. जब आदमी यहां काम करते थे तो वे बहुत गुंडागर्दी करते थे. लेकिन अब महिलाएं सब चीजों का ख्याल रख रही हैं."

एके/आईबी (रॉयटर्स)

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