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महामारी के दौरान बुजुर्गों को तकलीफ देता अकेलापन

२२ नवम्बर २०२०

कोरोना महामारी के दौरान बुजुर्गों के बीच अकेलापन बढ़ रहा है. यह उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है. यूरोपीय देशों में दोबारा लॉकडाउन होते ही, बुजुर्ग फिर से अकेले होने लगे हैं.

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तस्वीर: Yui Mok/picture alliance /empics

पिछले तीन वर्षों से 82 वर्षीया हन्नी मायर जर्मन शहर कोलोन में अपने कुत्ते यिप्सी के साथ अकेले रहती हैं. उनके ड्राइंग रूम की दीवारें प्रियजनों की तस्वीरों से सजी हैं, जो अब उनके साथ नहीं हैं. उन्हें अपने पति को डिमेंशिया होने के कारण एक नर्सिंग होम में डालना पड़ा. उनके लिए अपने पति की देखभाल करना बहुत मुश्किल हो गया था.

अक्तूबर में नर्सिंग होम ने कोरोना संक्रमण के एक मामले की पुष्टि करते हुए मायर को बताया कि वह अब अपने पति से मिलने नहीं आ सकती. यह खबर उनके लिए खास तौर पर मुश्किल थी, क्योंकि उनका कोई परिजन या दोस्त उनके पास नहीं रहता. मायर के इकलौते बेटे की दो साल पहले दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. वह कहती हैं, "यह महामारी बेहद मुश्किल समय था और है क्योंकि मैं बिलकुल अकेली हूं." 

बुजुर्गों के बीच बढ़ता अकेलापन

महामारी की शुरुआत में ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड में हुए अध्ययनों से पता चला है कि बुजुर्ग लोग ऊंचे स्तर के अकेलेपन के शिकार होते हैं. डॉक्टरों को इस बात से चिंता है कि अकेलेपन के कारण लोगों की मौत जल्दी हो जाती है. ज्यादा समय तक समाज से अलग-थलग रहने की वजह से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं. इसमें डिप्रेशन और चिंता, बहुत शराब पीना या मस्तिष्क क्रिया बिगड़ना और डिमेंशिया शामिल है. यह रोगियों के के इम्यून और हृदय प्रणाली को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

यूरोपीय कमीशन के अनुसार यूरोप के लगभग 3 करोड़ वयस्क लॉकडाउन से पहले अकसर अकेलापन महसूस करते थे और 7.5 करोड़ लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को महीने में सिर्फ एक बार देख पाते थे. जनसंख्या संबंधी आकड़ों के अनुसार बुजुर्गों को अकसर अकेलेपन का शिकार माना जाता है, जबकि यूरोपीय कमीशन के द्वारा किया गया शोध यह बताता है कि वास्तविकता ये है कि अन्य आयु वर्ग की तुलना में वह ज्यादा अकेले नहीं हैं.

Maria Jühe in ihrer Wohnung in Köln
पचीस साल पहले पति की मौत के बाद से मारिया अकेले रहती हैंतस्वीर: Louisa Wright/DW

लेकिन अन्य लोगों से जुड़ने के लिए वे गाना बजाना जैसी सामूहिक गतिविधियों और ग्रुप वॉकिंग का सहारा लेते हैं. आयरलैंड के ट्रिनिटी कॉलेज में मेडिकल जेरोन्टोलॉजी की प्रोफेसर केन्नी कहती हैं कि ऐसी कई गतिविधियां लॉकडाउन के वजह से बंद हो गई हैं. केन्नी ने कहा, "घर तक सीमित हो जाने के कारण, खासकर यदि आप अकेले रह रहे हों और आपकी न तो कोई नियमित दिनचर्या है और न हीं लोगों से संपर्क है, तो आपके भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है."

संवेदना को चुनाव

इंग्लैंड के समरसेट काउंटी के 30,000 आबादी वाले शहर फ्रोम में डॉक्टरों ने अकेलेपन को ठीक करने के लिए एक वेबसाइट के जरिए पूरे समुदाय को इससे जुड़े ग्रुप और सेवाओं के बारे में जानकारी दी. इसकी वजह से सैकड़ों " कम्युनिटी कनेक्टर्स" परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों से बात कर पाए. परियोजना शुरू होने के तीन साल बाद, अप्रैल 2013 से दिसंबर 2017 के बीच अस्पताल में अनियोजित दाखिलों में 14 प्रतिशत  की कमी देखी गई. इस बीच, आसपास के क्षेत्रों में 28.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.

"इंसानों के पास दो अनोखी चीजें हैं: सबसे सामाजिक प्राणी होने का मतलब कि वह सबसे दयालु हैं, और दूसरी बात यह है कि हमारे पास विकल्प है," यह कहना है डॉक्टर जूलियन एबेल का जो कि 'कम्पैशनेट फ्रोम' प्रोजेक्ट को समरसेट इलाके में बढ़ाने के लिए रहे काम कर रही हैं. "हम ना केवल सहज हैं, हम अधिक दयालु हो सकते हैं."

कोस्टा रिका के मस्त मौला बुजुर्ग

ब्रिटेन ने 2018 में अकेलेपन के लिए अपना पहला मंत्री नियुक्त किया था. उसके बाद जर्मनी में सोशल डेमोक्रेट सांसद और चिकित्सक कार्ल लाउटरबाख सहित कुछ दूसरे लोगों ने अकेलेपन के लिए कमिश्नर नियुक्त करने की मांग की. लाउटरबाख कहते हैं, "बुजुर्गों ने महामारी को नियंत्रित करने के लिए सबसे अधिक समझौता किया है.यह स्पष्ट है कि बुजुर्गों के लिए कोरोना महामारी जीवन में बड़े नुकसान का कारण बनती है, क्योंकि वह अलग-थलग, जोखिम में, चिंतित और अकेले रहते हैं. और वह अकसर ऐसी स्थिति में महामारी का स्पष्ट अंत नहीं देख पाते है."

क्या विकल्प है अकेलेपन से बचने का

96 वर्षीया मारिया यूहे के पति की मृत्यु 25 साल पहले हो गई थी. कोरोना महामारी का मतलब उनके लिए ये हुआ कि कोलोन में उनके घर  काफी कम लोग उनसे मिलने आते हैं. महामारी से पहले वह अपने मेहमानों के साथ राजनीति पर गरमागरम चर्चा करने का आनंद लेती थी और मेहमानों को कभी छुट्टियों की तस्वीरें दिखाती तो कभी अपना क्रिस्टल कलेक्शन, जिसे वह ध्यान से एक ग्लास डिस्प्ले कैबिनेट में रखती हैं. यूहे कहती हैं, "शुरुआत में सब कुछ धीमा हो गया. आप कहीं भी नहीं जा सकते और आपके सभी दोस्त आपसे दूरी बना रहे थे, वह सभी डर रहे थे."

Junge Hände halten alte Hände
युवा लोग बुजुर्गों की मदद कर सकते हैंतस्वीर: picture-alliance/Zoonar

मारिया यूहे और हन्नी मायर फ्रांस में शुरू किए गए एनजीओ, फ्रेंड्स ऑफ द एल्डरली के माध्यम से एक साथ आए. यह एनजीओ वृद्धाओं को युवा पीढ़ी से जोड़ता है. उनका आदर्श है, "पुराने दोस्त सबसे अच्छे दोस्त होते हैं." सप्ताह में एक या दो बार वालंटियर बुजुर्गों के घरों पर कॉफी पीने और बातचीत के लिए आते हैं, पड़ोस में टहलते हैं या ताश खेलते हैं. लेकिन मार्च में महामारी की शुरुआत से, फ्रेंड्स ऑफ द  एल्डरली को तीन महीने तक अपना मेल-मिलाप का कार्यक्रम रोकना पड़ा.

बुजुर्गों की मदद के नुस्खे

उनके फंडरेजिंग प्रबंधक सिमोन सुकस्टॉर्फ का कहना है कि लोग अभी भी अकेलापन स्वीकार करने में घबराते हैं और संगठन को आमतौर पर तभी पता चलता है जब किसी अकेले व्यक्ति और उनकी जरूरतों के बारे में पड़ोसी उन्हें सचेत करते हैं. क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, जाँ-फिलिप गुयां का कहना कि यदि किसी इंसान से लंबे समय तक किसी व्यक्ति से बात नहीं की हो तो शुरुआत में उनसे संपर्क करने में बहुत अजीब लग सकता है. लेकिन कुछ समय बाद ये भावना खत्म हो जाती है.

गुयां कहते हैं, बुजुर्ग लोगों के लिए, जिनका सामाजिक संपर्क बहुत कम है और जिनके रोजमर्रा के जीवन में बात करने को बहुत कुछ नहीं है, उनसे उनके जीवन के अनुभवों के बारे में पूछना मददगार हो सकता है. "अपना समय उनके जीवन के अनुभवों को अच्छे से जानने में लगाना चाहिए. मुझे लगता है कि, यह दोनों लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है."

लॉकडाउन के दौरान बहुत से लोग नए तकनीक का उपयोग करने में या दूसरों के साथ संबंध बढ़ाने जैसी गतिविधियों में बुजुर्गों की मदद कर सकते हैं. लाउटरबाख ने डीडब्ल्यू से कहा कि जहां यह समाधान जर्मनी में अकेलेपन से निपटने के लिए कुछ समय तक मददगार हो सकते हैं, सरकार को अकेलेपन से निपटने के लिए किसी को जिम्मेदार पद पर नियुक्त करना चाहिए. उन्होंने कहा, "महामारी ने हमें सिखाया है कि अकेलापन कितना महत्वपूर्ण है, इसलिए हमें तैयार रहने की आवश्यकता है."  वे कहते हैं, "यह हमारे लिए आखिरी महामारी नहीं होगी."

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