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मध्यपूर्व चौकड़ी की बैठक अब रूस में

१० नवम्बर २००८

हाल ही में बुश प्रशासन ने संकेत दिये कि बुश के राष्ट्रपति रहते इस साल के अंत तक मध्यपूर्व शांति समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो पाएंगे. अब इस विषय पर अगले साल मॉस्को में शांति वार्ताएं जारी रहेंगी.

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मध्यपूर्व चौकड़ी के मुख्य वार्ताकार टोनी ब्लेयर के साथ बान की मूनतस्वीर: AP

पिछले साल अमेरिका के अनैपोलिस शहर में इजडराइली और फिलस्तीनी नेताओं ने घोषणा की थी कि जॉर्ज बुश के कार्यकाल की समाप्ति से पहले शांति समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएंगे, लेकिन फिलहाल इसके कोई आसार नज़र नहीं आते.

मिस्र के शर्म अल शेख़ में मध्यपूर्व संकट पर मध्यस्थता कर रही चोकड़ी, यानि अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र ने फैसला लिया है कि अगले साल की शुरुआत में इस मुद्दे पर मॉस्को में बैठक होगी.

मिस्र में हुई बैठक के दौरान इज़राइली और फिलस्तीनी नेताओं ने चौकड़ी को शांति प्रक्रिया पर चल रही बातचीत का विवरण दिया. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने बैठक के बाद कहा कि दोनों पक्षों ने साफ कर दिया है कि जब तक सभी विषयों पर सहमति नहीं बन जाती, शांति समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होंगे.

दोनों पक्षों के बीच यरूशलम के भावी दर्जे, फिलस्तीनी राष्ट्र की सीमाओं और फिलस्तीनी शरणार्थियों के मुद्दों पर मतभेद बर्करार हैं.

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यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और रूस हैं मध्यपूर्व चौकड़ी के सदस्यतस्वीर: AP

अमेरिकी विदेश मंत्री के तौर पर शायद अपनी आखरी मध्यपूर्व यात्रा के दौरान कॉन्डोलिसा राइस ने कहा कि वे इस विषय के बारे में अपने उत्तराधिकारी को समझा देंगी. मध्यपूर्व चौकड़ी के विशेष दूत, टोनी ब्लेयर ने आशा जताई कि बराक ओबामा के नेतृत्व में नई सरकार इस विशय को पहले दीन से ही गंभीरता से लेगी जिसकी नींव पहले से ही रख दी गई है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश चाहते थे कि किसी न किसी तरह उनके राष्ट्रपति रहते मध्यपूर्व शांति समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएंगे लेकिन अब ऐसा होना नामुमकिन ही है. अब इंतज़ार इस बात का है कि अगला अमेरिकी प्रशासन 60 साल पुरानी समस्या को सुलझाने में सफल हो पाता है या नहीं.