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मजाक के बाद फूटा शाहरुख का दर्द

१८ मार्च २०११

अदाकारी के साथ बेबाकी और मजाकिया अंदाज के लिए मशहूर बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान ने सबके सामने कमीज के बटन खोले और कहा, देखो अब भी एब्स हैं. इंडिया टुडे कांक्लेव में शाहरुख धर्म के मर्म पर बोले, नेताओं को सुना भी दी.

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तस्वीर: UNI

आयोजन का उद्घाटन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया. माहौल गंभीरता के साथ शुरू हुआ. लेकिन किंग खान ने आते ही सबसे पहले अपने मजाकिया अंदाज से गंभीरता की हवा निकाली. शाहरुख 'मूवीज, मैजिक एंड लाइफ' के विषय बोलने आए तो उनसे लोगों ने पूछा कि क्या उनके सिक्स पैक्स एब्स अब भी हैं. उन्होंने हंसते हुए शर्ट उतारी और कहा, ''मुझे नहीं पता कि ये सिक्स पैक है या नहीं, लेकिन हां चार तो जरूर हैं.''

इसके बाद उन्होंने कहा, ''मेरी पत्नी ने मुझसे कहती है कि गंभीर आयोजनों में मस्ती न किया करो और बहुत ज्यादा मत बोला करो. मुझे भी यह भी कहा गया कि ये एक गंभीर किस्म का आयोजन है.''

Indien VHP Aktivisten
तस्वीर: UNI

शुरुआती हंसी मजाक के बाद शाहरुख ने गंभीर विषयों को बेहद संजीदगी और मर्म के साथ उठाया. वो गंभीर तल्ख दिखाई पड़े. राजनीति और नेताओं पर व्यंग कसते हुए उन्होंने कहा, ''भारतीय सिनेमा मुंबई से मेलरोज की तरफ जा रहा है. मैं चाहता था कि इसे बॉम्बे से बेवेर्ली हिल्स कहा जाए. लेकिन मुस्लिम अभिनेताओं को ऐसे अलंकार कहने की इजाजत नहीं है.''

45 साल के शाहरुख ने कहा कि राजनीति और धर्म को मिलाया नहीं जाना चाहिए. सांप्रदायिकता को ''घटिया और दुखद'' बताते हुए उन्होंने कहा, ''मैं सच्चे दिल से मानता हूं कि नेताओं को धर्म को मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. यह स्वीकार करने लायक नहीं है. शिक्षा, विकास और महिलाओं के उत्थान के जैसे किनारे पर रखे गए विषय ही असली राजनीतिक मुद्दे हैं. इनकी तरफ ध्यान देना चाहिए.''

खुद का उदाहरण देते हुए शाहरुख ने कहा, ''मैं एक मुसलमान हूं और मैंने हिंदू महिला से शादी की. मेरे बच्चे सभी धर्मों के बारे में जानते हैं और ये फैसला था कि मेरे बच्चों को धर्मों के बारे में जानकारी रहे. धर्म एक निजी मामला है. दुनिया में किसी को ये अधिकार नहीं कि वो मेरे और भगवान के बीच में आए.''

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एमजी