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मज़ाक नहीं लेवरकूज़ेन

२१ अगस्त २००९

बुंडेसलीगा में कम से कम दो क्लब ऐसे हैं, जो सीधे-सीधे बड़ी कंपनियों से जुड़े हैं. इनमें से एक है फ़ोल्क्सवागेन का क्लब वोल्फ़्सबुर्ग और दूसरा रासायनिक उत्पादों की बायर कंपनी का क्लब बायर लेवरकूज़ेन.

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नीली वर्दी का कमालतस्वीर: picture-alliance/ dpa

कैमिकल उत्पादों की कंपनी का क्लब है लिहाज़ा दूसरे क्लब के फ़ैन्स मज़ाक में लिवेरकूज़ेन को प्लास्टिक क्लब कहते हैं. लेवरकूज़ेन कोलोन के नज़दीक स्थित है, और दोनों शहरों के फ़ुटबॉल क्लबों के बीच कड़ी प्रतिद्वंद्विता है.

1904 में स्थापित इस क्लब के इस समय 11 हज़ार से अधिक सदस्य हैं. बाय-आरेना के रूप में क्लब का एक ढका हुआ आधुनिक स्टेडियम है, जहां 30 हज़ार दर्शकों के बैठने की जगह है.

1995 के बाद क्रिस्टोफ़ डाउम को क्लब का कोच बनाया गया था, जो उससे पहले कोलोन, श्टुटगार्ट और तुर्की के इस्तांबुल में काफ़ी कामयाबी हासिल कर चुके थे. डाउम ने क्लब के खेल का तरीक़ा बदल दिया, और आने वाले सालों में लेवरकूज़ेन को काफ़ी सफलता मिली.

लेकिन इस क्लब के साथ हमेशा नंबर दो बने रहने की बदकिस्मती जुड़ी हुई है. सन 1997 के बाद से वह चार बार बुंडेसलीगा वाइस चैंपियन बन चुका है, दो बार यूरोप कप में और एक बार चैंपियन्स लीग में उसे दूसरा स्थान मिल चुका है, लेकिन वह आज तक बुंडेसलीगा चैंपियन नहीं बन पाया.

सन 2008/09 के सत्र में लेवरकूज़ेन के पाट्रिक हेल्मेस 21 गोल के साथ गोल दागने वालों की तालिका में चौथे स्थान पर रहे, लेकिन सिर्फ़ 14 जीत, 7 ड्रॉ और 13 हार के साथ लेवरकूज़ेन को 12वें स्थान से संतोष करना पड़ा. इस सत्र के अब तक के दो मैचों में एक ड्रॉ और एक जीत के बदौलत वह इस वक्त छठे स्थान पर है.

लेखक: उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: एस जोशी