'मंगल' में जीवन मंगल
दुनिया भर में लाल ग्रह के बारे में जानने और वहां पर जीवन की संभावनाएं तलाशने के लिए खूब काम हो रहा है. कई देश अरबों रूपए खर्च कर वैज्ञानिकों और बेहतरीन तकनीक की मदद से मंगल पर इंसान के लिए बस्तियां बनाना चाहते हैं.
मंगल उड़ान
भारत का मंगलयान 24 सितंबर, 2014 को लाल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करेगा. पिछले साल मंगलयान भेज कर भारत उन गिने चुने देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने मंगल पर यान भेजा है.
मंगल थल
2012 में मंगल ग्रह पर इंसान के सबसे बड़े प्रयोग का पहला चरण सफल हुआ. 5.7 करोड़ किलोमीटर के सफर के बाद अमेरिका का रोबोटिक वाहन क्यूरियोसिटी रोवर सफलता से लाल ग्रह की सतह पर उतरा. मंगल की सतह पर चट्टानें ही चट्टानें है.
मंगल जल
हालांकि मार्स यानि मंगल एक सूखा ग्रह है. लेकिन वैज्ञानिकों को वहां की चट्टानों में पानी के संकेत मिले हैं जिसके कारण मंगल पर जीवन की उम्मीद भी जगी है. पानी जीवन के लिए एक बुनियादी जरूरत है.
मंगल वायु
तूफान, बर्फ और धूल वहां जीवन को किसी भी तरह पनपने नहीं देते. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपना एक रोबोटिक मिशन भेजकर 2020 तक मंगल पर ही ऑक्सीजन बनाने की योजना भी बना रही है.
मंगल बस्ती
वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर इंसान लुप्त होने के प्राकृतिक चक्र से बचना चाहता है तो उसे दूसरे ग्रहों पर जिंदा रहने के तरीके ढूंढने होंगे. हॉलैंड की कंपनी मार्स वन तो अगले 10 साल में मंगल ग्रह पर बस्ती बना कर, लोगों को वहां रहने भेजने वाली है.
जीवन मंगल
मार्स वन मंगल की यात्रा के लिए 200 लोगों को टिकट दे रही है. लेकिन अभी नहीं पता कि मंगल पर रहने की स्थिति है भी या नहीं. क्या वहां ऑक्सीजन या जीवन की दूसरी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा. पानी होगा या नहीं, अगर होगा भी तो कैसा.
कुछ और सौर मंडल
वैज्ञानिकों को 2,500 प्रकाश वर्ष दूर केओआई 351 नाम का एक और सौर मंडल मिला है. शायद एक दिन इंसान दूसरे ग्रहों पर ही नहीं, दूसरे सौर मंडलों में भी बस सकेंगे.