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भारत और अमेरिका के मंत्रियों के बीच होगी महत्वपूर्ण बैठक

१८ दिसम्बर २०१९

अमेरिका को कई क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग के बढ़ने की उम्मीद है. अमेरिका ने हाल में भारत सरकार के कई कदमों की आलोचना की है. कहीं यह द्विपक्षीय रिश्तों पर भारी तो नहीं पड़ेगी?

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Symbolbild: Handel USA Türkei Indien
तस्वीर: Getty Images/AFP/R. Schmidt

बुधवार को वॉशिंगटन में भारत और अमेरिका के शीर्ष मंत्रियों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है. इसके लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका पहुंचे हुए हैं.

उन दोनों की मुलाकात अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पेओ और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर से होगी और चारों नेताओं के बीच "टू प्लस टू" फॉर्मेट के तहत बातचीत होगी. भारत सिर्फ उन तीन देशों में से एक है जिनके साथ अमेरिका इस फॉर्मेट में गहरे, सामरिक रिश्तों पर बात-चीत करता है. इसका पहला संस्करण पिछले साल नई दिल्ली में हुआ था.

अमेरिका को उम्मीद है कि इस बातचीत के जरिये भारत के साथ दुनिया भर में शांति बनाए रखने के प्रयासों में, न्यायिक प्रशिक्षण में, अंतरिक्ष कार्यक्रमों में और विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के रास्ते खुलेंगे. 

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तस्वीर: Reuters/A. Abidi

ऐसी भी अटकलें लग रही हैं कि इस बैठक में भारत की अमेरिका से बढ़ती रक्षा खरीदारी का भी प्रदर्शन किया जाएगा. दोनों पक्षों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं. इसके तहत भारत जहाजों और पनडुब्बियों पर हमला करने की क्षमता रखने वाले 24 रोमियो हेलीकाप्टर खरीदने के लिए दो अरब डॉलर से ज्यादा रकम खर्च करेगा. 

दोनों पक्षों के बीच अफगानिस्तान को ले कर भी बातचीत हो सकती है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अफगानिस्तान में मौजूद हजारों अमेरिकी सैनिकों को वहां से निकालना चाह रहे हैं. ट्रंप की मंशा तालिबान के साथ बातचीत के जरिये अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करने की भी है. भारत अफगानिस्तान की सरकार को समर्थन देने वाले अग्रणी देशों में से है और उसने अफगानिस्तान के लिए 2001 से ले कर अब तक तीन अरब डॉलर की धनराशि का योगदान किया है. भारत को यह मालूम है कि इससे पहले जब वहां तालिबान की सरकार थी तो उसके पाकिस्तान से अच्छे संबंध थे और तब वहां भारत विरोधी आतंकवादियों का स्वागत होता था. 

Indien Rajnath Singh in Srinagar
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Khan

बातचीत का ये दौर ऐसे समय में होने जा रहा है जब अमेरिका की तरफ से भारत के लिए कई मुद्दों पर आलोचनात्मक बयान आए हैं. मोदी सरकार विपक्ष के विरोध के बावजूद नागरिकता का एक नया कानून ले कर आई है जिसे मुस्लिम-विरोधी बताया जा रहा है और उसके खिलाफ देश भर में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इन प्रदर्शनों में कम से कम छह लोगों की जान भी गई है. ट्रंप सरकार के विदेश विभाग ने नई दिल्ली से कहा है कि वो "भारत के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुसार अपने धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करे". अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने और कड़े शब्दों में भारत की आलोचना की है और भारत के गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है. 

अमेरिकी संसद एक विधेयक पर भी विचार कर रही है जिसका उद्देश्य है भारत पर कश्मीर में लागू सभी प्रतिबंध हटाने के लिए दबाव बनाना. 

हालांकि यह भी संभावना है कि इस वक्त इस बातचीत की तरफ अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान ना जाए क्योंकि जब चारों नेता मिल रहे होंगे तब अमेरिकी संसद के निचले सदन में ट्रंप के खिलाफ महाभियोग पर मतदान चल रहा होगा.

सीके/एनआर(एएफपी) 

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