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टेक कंपनियों पर यूरोप में भी सख्ती बढ़ाने की तैयारी

२७ मई २०२१

यूरोपीय संघ ने इंटरनेट पर फर्जी सूचनाओं से लड़ने के लिए अपने नियम-कानूनों को और सख्त बनाने का ऐलान किया है. नए बदलावों के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि फेक न्यूज से डिजिटल विज्ञापन कंपनियां मुनाफा न कमा सकें.

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Symbolbild Fake News
तस्वीर: McPHOTO/C. Ohde/picture alliance

यूरोपीय आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि फर्जी खबरों की समस्या से निपटने के लिए कड़े दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं. यह प्रस्ताव उस दौरान और अहम हो जाता है जबकि कोरोनावायरस महामारी के दौरान फर्जी सूचनाओं के प्रसार को लेकर पूरी दुनिया में चिंता जताई गई है. यूरोपीय संघ के उद्योग प्रमुख थिअरी ब्रेटन ने कहा, "फर्जी सूचनाएं धन कमाने का जरिया नहीं हो सकतीं. हमें ऑनलाइ माध्यम चलाने वालों, विज्ञापन देने और प्रसारित करने वालों और तथ्यों की जांच करने वालों से ज्यादा मजबूत प्रतिबद्धता चाहिए.”

2018 में ऐसे दिशा निर्देश जारी किए गए थे लेकिन उनका पालन ऐच्छिक और अबाध्यकारी था. गूगल, फेसबुक, ट्विटर, माइक्रोसॉफ्ट, टिकटॉक और मोजिला जैसी इंटरनेट कंपनियों के अलावा बहुत सी विज्ञापन कंपनियों ने भी इन दिशा-निर्देशों पर दस्तखत किए थे. लेकिन नया प्रस्ताव इन भागीदारों पर प्रतिबद्धता बढ़ाने के लिए जोर देने की बात कहता है.

यूरोपीय आयोग चाहता है कि विज्ञापन कंपनियां, विज्ञापनों के लिए तकनीक देने वाली और इन विज्ञापनों से लाभान्वित होने वाली ब्रैंड्स के अलावा निजी संदेश प्रसारित करने वाली कंपनियां भी नए कोड पर दस्तखत करें. यूरोपीय आयोग की उपाध्यक्ष (नीति और पारदर्शिता) वेरा योरोवा  कहती हैं, "फर्जी सूचनाएं आज भी ऐसी चीज है जो खूब बिकती है. इसलिए हम चाहते हैं कि विज्ञापन उद्योग फर्जी सूचनाओं के साथ अपने विज्ञापन न दे.”

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यूरोपीय आयोग चाहता है कि इंटरनेट कंपनियों तथ्यों को जगह देने से पहले उनकी जांच करेंतस्वीर: Jakub Porzycki/NurPhoto/picture alliance

क्या हैं नए प्रस्ताव

नए प्रस्ताव के मुताबिक इंटरनेट कंपनियां पारदर्शिता लाएं और यह जानकारी साझा करें कि जिन कंपनियों के विज्ञापन लगाए गए हैं वे क्यों लगाए गए हैं जबकि गलत सूचनाएं फैलाने वाले कौन से विज्ञापनों को खारिज कर दिया गया है. योरोवा कहती हैं, "यह सेंसरशिप नहीं है. लेकिन हम चाहते हैं कि प्लैटफॉर्म तथ्यों की ज्यादा जांच करें. अब वक्त आ गया है कि बिना अभियव्यक्ति की आजादी को प्रभावित किए, बड़ी टेक कंपनियों का आत्मनियंत्रण की नीति पर चलना बंद हो और फर्जी सूचनाओं से धन कमाना थमे.”

नए प्रस्ताव पर ट्विटर ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. कंपनी ने एक बयान में कहा है कि वह एक समावेशी व्यवस्था का समर्थन करता है जिसमें फर्जी सूचनाओं से लड़ने के लिए सूचना तंत्र के पूरे परिदृश्य को देखा जाए. फेसबुक ने कहा, "हम आयोग की इस बात का समर्थन करते हैं कि ग्राहकों के लिए अधिक पारदर्शिता हो और प्लैटफॉर्म्स व विज्ञापन जगत के बीच ज्यादा बेहतर तालमेल हो.” यूरोपीय संघ अगले साल से नए नियम लागू करने की तैयारी कर रहा है.

भारत में नए नियम

यूरोपीय आयोग का यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जबकि भारत में सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नए नियम बनाए गए हैं और इन्हें मानने के लिए दबाव बढ़ाया जा रहा है. सोशल मीडिया कंपनियों को नए नियमों पर सहमति जताने के लिए तीन महीने दिए गए थे. इनके तहत सोशल मीडिया कंपनियों को एक अनुकूलन अफसर तैनात करना होगा, शिकायतों से निपटने के लिए एक प्रक्रिया बनानी होगी और कानूनी आदेश मिलने के 36 घंटे के भीतर कोई भी सामग्री हटा लेनी होगी.

इसके अलावा अगर कोई सूचना भारत की संप्रभुता, सुरक्षा या शांति-व्यवस्ता को प्रभावित करती है तो सबसे पहले उसे जारी करने वाले का नाम बताना होगा. वॉट्सऐप ने इन नियमों के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटा दिया है. उसका कहना है कि ये नियम निजता का उल्लंघन होंगे. फेसबुक का कहना है कि वह कुछ मामलों पर विमर्श करना चाहती है. ट्विटर ने अभी कोई टिप्पणी नहीं की है.

वीके/सीके (रॉयटर्स, डीपीए)

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