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भारत बना रहा है 5000 किलोमीटर रेंज की मिसाइल

१५ मई २०११

भारत ऐसा एयर डिफेंस सिस्टम तैयार कर रहा है जो दुश्मन देश की मिसाइल को भारत की वायुसीमा में दाखिल होने के 5000 किलोमीटर पहले ही रोक कर खत्म कर देगा. 2016 तक तैयार हो जाएगा नया एयर डिफेंस सिस्टम.

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A tableaux carrying a replica of the Brahmos Missile system is displayed during the Republic Day parade in New Delhi, India, Monday, Jan. 26, 2009. (AP Photo/Gurinder Osan)
तस्वीर: AP

भारत के रक्षा शोध और विकास संस्थान डीआरडीओ ने पहले ही ऐसी मिसाइल तैयार कर ली है जिसकी रेंज 2000 किलोमीटर है. बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस नाम के इस तंत्र के दूसरे चरण पर अब काम शुरू कर दिया गया है. दूसरे चरण में ऐसी मिसाइलें बनाइ जा रही हैं जो 5000 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद दुश्मन देश की मिसाइल का भी खात्मा कर सकेंगी.

** FILE ** Indian army soldiers watch the display of an Agni-II missile during an Army Day parade in New Delhi, India, in this Jan. 15, 2004 file photo. India test-launched the Agni II surface-to-surface missile capable of carrying nuclear weapons Sunday, Aug. 29, 2004, a defense ministry spokesman said. This was the third trial of the Agni II missile which has a range up to 2,500 (1,560 miles). (AP Photo/Gurinder Osan, File)
तस्वीर: AP

बीएमडी सिस्टम का दूसरा चरण

डीआरडीओ प्रमुख वीके सारस्वत ने दिल्ली में पत्रकारों को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, "हमारा कार्यक्रम तयशुदा वक्त के हिसाब से चल रहा है और हम शुरुआती डिजाइन का परीक्षण कर रहे हैं. फिलहाल हमारे मिसाइल 2000 किलोमीटर दूर लक्ष्य पर वार करने वाले हैं. इसके बाद हम 5000 किलोमीटर के रेंज वाली इंटरसेप्टर मिसाइल बनाएंगे. यह हमारे बीएमडी सिस्टम का दूसरा चरण होगा."

पिछले साल जुलाई में डीआरडीओ ने पहले चरण में तैयार इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण उड़ीसा के व्हीलर द्वीप से किया था. बीएमडी सिस्टम तैयार करने के लिए अमेरिका या किसी दूसरे देश के साथ सहयोग की संभावनाओं के बारे में पूछने पर सारस्वत ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय सहयोग केवल हमारी विकास प्रक्रिया को तेज करने के लिए है. जब भी हमें नई तकनीक की जरूरत होगी हम दूसरे देशों से सहयोग हासिल करेंगे."

अमेरिकी मिसाइलों का क्या करें

अमेरिका ने भारत को अपना एइजिस मिसाइल डिफेंस सिस्टम देने का प्रस्ताव दिया है. इसके बारे में पूछने पर डीआरडीओ प्रमुख ने कहा, "ये सब बाजार की ताकतें हैं और हमेशा रहेंगी. बाजार हमेशा अपने उपकरण दूसरों को बेचने की कोशिश करता है. भारत में केवल शोध और विकास की ही कोशिश नहीं हो रही बल्कि हम उपकरण बनाने के लिए असल कार्यक्रम चला रहे हैं. मुझे नहीं लगता कि हमें इस बारे में ज्यादा चिंता करने की जरूरत है."

भारत बीएमडी के लिए लंबी रेंज का ट्रैकिंग रडार भी विकसित कर रहा है. पहले चरण के बीएमडी में जो रडार इस्तेमाल किया गया वह इस्राएल से बराबर की भागीदारी पर तैयार किया गया था. अब दूसरे चरण में जो रडार इस्तेमाल होगा उसका 80 फीसदी हिस्सा भारतीय है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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