भारत को कोहिनूर नहीं लौटाएगा ब्रिटेन
५ जून २०१०ब्रिटेन के फॉरन एंड कॉमनवेल्थ ऑफिस की ओर से जारी बयान में कहा गया, " 1963 में बने ब्रिटिश म्यूजियम एक्ट के तहत राष्ट्रीय संग्रहालयों से वस्तुओं को हटाने की मनाही है. इस कानून को बदलने का सरकार का कोई विचार नहीं है." भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक गौतम सेनगुप्ता कुछ दिन पहले ब्रिटेन से कोहिनूर हीरा लौटाने की अपील कर चुके हैं.
भारत में ब्रिटिश राज के दौरान कोहिनूर और कई अन्य महान कलाकृतियों को ब्रिटेन भेज दिया गया था. यूनेस्को और अन्य देशों के साथ मिलकर एएसआई अब एक मुहिम चलाने पर विचार कर रहा है जिसके अन्तर्गत प्राचीन कलाकृतियों को वापस लाने की कोशिश की जाएगी. ब्रिटेन के एक अखबार 'द इंडिपेंडट' को दिए इंटरव्यू में सेनगुप्ता ने इस मुहिम की योजना के बारे में बताया.
वह कहते हैं, "चुराई गईं बहुमूल्य वस्तुओं और कलाकृतियों को वापस पाने की कोशिशें अब तक व्यर्थ ही साबित हुई हैं. ऐसे में यूनेस्को के समर्थन से एक अंतरराष्ट्रीय मुहिम के जरिए ही उन्हें पाया जा सकता है." सेनगुप्ता के मुताबिक इसके लिए कूटनीतिक और कानूनी स्तर पर भी प्रयास किए जाने की जरूरत है.
ब्रिटेन के फॉरन एंड कॉमनवेल्थ ऑफिस के प्रवक्ता ने कहा है कि कलाकृतियों और बहुमूल्य वस्तुओं को लौटाने के मुद्दे पर जारी बहस में आम जनता भी शामिल है. आमतौर पर इन मामलों में फैसला म्यूजियम के ट्रस्टी करते हैं और नेताओं का उसमें दखल नहीं होता. ब्रिटेन में इस परंपरा को अब तक सभी सरकारों ने निभाया है. ब्रिटेन के कानून के तहत सिर्फ मानवीय अवशेषों और नाजी दौर में खोई वस्तुओं को ही लौटाने की अनुमति है.
मुगल काल का कोहिनूर हीरा, सुल्तानगंज बुद्ध मूर्ति, अमरावती रेलिंग्स, सरस्वती की मूर्ति सहित कई ऐसी कलाकृतियां हैं जिन्हें वापस पाने की एएसआई कोशिश कर रहा है. गौतम सेनगुप्ता का कहना है कि पूर्व औपनिवेशिक देशों पर दबाव बढ़ रहा है कि वे अन्य देशों से लाई गई वस्तुओं को लौटाएं. इस मामले में मैक्सिको, पेरू, भारत, चीन, बोलिविया, साइप्रस, ग्वाटेमाला जैसे देश भी दबाव बना रहे हैं और यूनेस्को की मुहिम में शामिल होने का मन बना रहे हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार