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भारत के बाद बांग्लादेश में फुटबॉल का तूफान

६ सितम्बर २०११

राजधानी ढाका के मुख्य एयरपोर्ट पर सोमवार को हजारों फुटबॉलप्रेमी मेसी और उनके साथ आई अर्जेंटीना की टीम का स्वागत करने पहुंच गए. अर्जेंटीना की टीम यहां नाईजीरिया के साथ एक दोस्ताना मैच खेलने आई है.

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तस्वीर: dapd

शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर फूल माला और उमंगों का तूफान लिए बांग्लादेश की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम भी इन खिलाड़ियों का स्वागत करने पहुंची. कप्तान पिंटू भट्टाचार्य ने खुशी से उछलते हुए कहा, "मेरे लिए तो ये किसी सपने के सच होने जैसा है. मैं कितना भाग्यशाली हूं कि मुझे एयरपोर्ट पर मेसी जैसे सुपरस्टार का स्वागत करने का मौका मिला."

अर्जेंटीना फुटबॉल टीम जैसी जर्सी पहने और अर्जेंटीना के झंडे लहराते हजारों लोग एयरपोर्ट के बाहर मेसी और टीम के बाकी सदस्यों को देखने के लिए मौजूद थे. शुक्रवार को कोलकाता में वेनेजुएला की टीम को 1-0 से हराने के बाद अर्जेंटीना की टीम सोमवार को यहां पहुंची. इसके बाद टीम को गाड़ी में बिठा कर रूपोसी बांग्ला होटल ले जाया गया, जहां उनका स्वागत करने बांग्लादेश फुटबॉल फेडरेशन के अधिकारी पहले से मौजूद थे. ढाका के बंगबंधु नेशनल स्टेडियम में ये मैच बांग्लादेश में खेल का स्तर सुधारने की गरज से आयोजित किया गया है. फीफा की रैंकिंग में बांग्लादेश का नंबर 143वां है.

Fußball Lionel Messi Argentinier Flash-Galerie
तस्वीर: picture alliance/dpa

मैच का इंतजार

बांग्लादेशी फुटबॉल के पुराने खिलाड़ी मंगलवार को मैच के रोमांचक होने और मेसी का जादू देखने की उम्मीद लगए बैठे हैं. राष्ट्रीय टीम के पूर्व कप्तान अशरफुद्दीन अहमद कहते हैं, "मंगलवार का मुकाबला निश्चित रूप से काफी जोरदार होगा और नाइजीरिया की टीम को किसी भी तरह से कम करके नहीं देखा जा सकता."  2014 के फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाइंग मुकाबले अगले महीने से शुरू होने जा रहे हैं. इससे पहले अर्जेंटीना की टीम दक्षिण एशिया में दो मैच खेलने के लिए आई है. मकसद है यहां खेल के प्रति लोगों में उत्साह जगाना.

मैच के लिए टिकटों की ऊंची कीमत ने बांग्लादेशी फुटबॉल प्रेमियों को गुस्सा जरूर दिलाया है. बांग्लादेश के इतिहास में यह फुटबॉल का सबसे बड़ा मैच है और इसके लिए टीकट की कीमत रखी गई है करीब 5,000 रुपये. अब तक आधे टिकट ही बिक पाए हैं और ऐसी हालत देख कर लग रहा है कि 24,000 दर्शकों की क्षमता वाले स्टेडियम की काफी सीटें खाली रह जाएंगी. फुटबॉल के लिए मन में प्रेम तो असीम है लेकिन जेब भी तो देखनी है. एक निजी कंपनी में केमिकल टेस्टर के रूप में काम करे वाली राजिब अहमद कहते हैं, "टिकट बहुत महंगी है, ये लोग नहीं चाहते कि असली फुटबॉल प्रेमी मैच देख सके. मैं हर महीने करीब 5,200 रुपये कमाता हूं ऐसे में 5,000 रुपये की टिकट कैसे खरीद पाऊंगा. मैंने किसी तरह से पैसे बचा कर करीब 625 रुपये में सोमवार को होने वाले अभ्यास सत्र का टिकट खरीदा. मेसी दुनिया के सबसे महान खिलाड़ी हैं और मैं उन्हें खेलते देखना चाहता हूं.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

मैराडोना से मेसी तक

बांग्लादेश के लोगो के लिए अर्जेंटीना के फुटबॉल के लिए मोह मैराडोना के जमाने से ही है. ये लोग उसके सुनहरे अतीत के कायल हैं. राजिब कहते हैं, "मेरा परिवार अर्जेंटीना की टीम को बहुत सालों से पसंद  करता आ रहा है. अगर टिकटों की कीमत 1200-1300 रुपये होती तो मैं पूरे परिवार के साथ मैच देखने जाता." बांग्लादेश फुटबॉल फेडरेशन के अधिकारियों ने बताया, "हम लोगों ने 2300 टिकट स्कूली बच्चों को मुफ्त में बांटे हैं, जिससे उनके भीतर फुटबॉल खेलने की प्रेरणा जगे."

बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल के हिस्से में फुटबॉल के लिए बुखार काफी पुराना है. पिछले कुछ सालों में क्रिकेट ने लोगों के दिलों में जगह बना पाने में काफी कामयाबी पाई है. इसकी एक बड़ी वजह रही है कि बांग्लादेश के पास अब अपनी अंतरराष्ट्रीय टीम भी है. इस बार के वर्ल्ड कप में इसकी मिसाल भी देखने को मिली. हालांकि फुटबॉल का मोह इससे भी पुराना है. लंबे समय से बंगाली समुदाय फुटबॉल के प्रति सम्मोहित रहा है. हां देश में फुटबॉल के लिए बुनियादी सुविधाओं की कमी का असर खेल पर भी दिखता है. बढ़ती आबादी और आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे इस देश में फुटबॉल की हालत काफी खराब है पर लोगों में प्रेम असीम. पिछले साल वर्ल्ड कप के मैच के दौरान जब बिजली कट जाती तो दंगे भड़क उठते थे. बाद में सरकार ने बिजली विभाग को निर्देश दिया कि मैच के दौरान उद्योगों की बिजली काट कर लोगों के घर सप्लाई दी जाए.

बंगाल में खुमार

भारत में भी पश्चिम बंगाल के ही फुटबॉल क्लब बेहतर हैं और भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई पहचान न बन पाई हो लेकिन फुटबॉल मैच देखने का प्रेम उन्हें मैदान तक खींच लाता है. शुक्रवार को कोलकाता में हुए मैच के दौरान 80,000 दर्शक स्टेडियम में मौजूद थे. खिलाड़ियों को भीड़ से बचाने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. लोग मेसी को देखने और छूने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे. यहां तक कि मैदान में कई लोग उस जगह पर जा कर लोट गए, जहां मेसी ने कुछ देर पहले आराम किया था.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ए जमाल

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