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भारत की यूएन सीट को अफ्रीका का समर्थन

२५ मई २०११

अफ्रीका के देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट का समर्थन किया और महाद्वीप के लिए भारतीय सहयोग की सराहना की. मनमोहन सिंह के दौरे में भारत ने अफ्रीका को पांच अरब डॉलर की मदद का एलान किया.

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तस्वीर: UNI

भारत और अफ्रीकी देशों की शिखर बैठक के हाशिए पर इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अफ्रीका के कई राष्ट्राध्यक्षों के साथ बातचीत की और इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया.

करीब दो घंटे तक चली बातचीत के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के सचिव विवेक काटजू ने पत्रकारों को बताया कि वार्ता में अफ्रीकी आयोग की अध्यक्ष जीन पिंग भी शामिल हुईं. उन्होंने इथियोपिया, इक्विटोरियल गिनी और बुरुंडी के राष्ट्राध्यक्षों से भी बातचीत की.

भारत लंबे वक्त से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी दावेदारी की मांग करता रहा है. अमेरिका सहित विश्व के ज्यादातर मुल्कों ने इसकी हामी भी भर दी है. फिलहाल भारत और जर्मनी दो साल के लिए सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य हैं और इस दौरान भारत अपने प्रयास तेज करना चाहता है.

पांच अरब की सहायता

उधर, अफ्रीका में अपने प्रभाव को बढ़ाने की दिशा में उठाए गए कदम के तहत भारत ने महाद्वीप को पांच अरब डॉलर की सहायता का वादा किया है. अफ्रीकी राष्ट्र प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर हैं. चीन पहले ही वहां अपने पैर जमा चुका है और भारत अब उसी रास्ते पर चल रहा है. दोनों ही देश अफ्रीकी राष्ट्रों को सिर्फ व्यापारिक साझीदार नहीं, बल्कि इससे कहीं ऊपर बताते हैं.

अदीस अबाबा में अपने भाषण में प्रधानमंत्री सिंह ने कहा, "अफ्रीका से आर्थिक विकास की नई कहानी शुरू हुई है. अफ्रीका विश्व में विकास का नया ध्रुव बनने जा रहा है. भारत और अफ्रीका की साझीदारी अनोखी है और इतिहास इसका गवाह है. साम्राज्यवाद, रंगभेद, गरीबी, निरक्षरता और भूख ऐसे क्षेत्र हैं, जिसके खिलाफ हम दोनों संघर्ष करते रहे हैं."

कारोबार के बदले विकास

छह दिनों की अफ्रीका यात्रा पर गए मनमोहन सिंह का दौरा सोमवार को शुरू हुआ. उन्होंने कारोबारी साझीदारी के बदले विकास में मदद का वादा किया है. उन्होंने कहा, "अफ्रीका के विकास के लिए हम आने वाले तीन सालों में उसे पांच अरब डॉलर की सहायता का एलान करते हैं."

सिंह ने कहा कि उनका देश ढांचागत विकास, क्षेत्रीय एकता, ट्रेनिंग और मानव संसाधन विकास के क्षेत्रों में सहयोग के लिए तैयार है. भारत ने सोमालिया को अलग से 20 लाख डॉलर की मदद का वादा किया. वहां के समुद्री डाकुओं ने हाल के दिनों में भारत के कई जहाजों का अपहरण किया है और बंधकों को छुड़ाने के लिए भारत ने काफी पैसा खर्च किया है.

चीन की कंपनियां अफ्रीका में सड़कें बनाने के अलावा बिजली और तकनीकी क्षेत्रों में काम शुरू कर चुकी हैं. दोनों देश अफ्रीका में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती हैं. चीन और अफ्रीकी देशों का कारोबार 100 अरब डॉलर के पार पहुंच चुका है, जबकि भारत इससे लगभग आधे का कारोबार कर रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह

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