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भारत अफगान संधि पर पाकिस्तान की चेतावनी

६ अक्टूबर २०११

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को चेतावनी दी है कि वह जिम्मेदारी से व्यवहार करे. यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के धुर दुश्मन भारत के साथ सामरिक संधि करने का फैसला किया है.

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करजई और मनमोहनतस्वीर: dapd

अफगानिस्तान के गृह मंत्री ने हाल में पाकिस्तानी की ताकतवर खुफिया एजेंसी आईएसआई पर पिछले महीने काबुल में हुए आत्मघाती हमले में शामिल होने का आरोप लगाया था जिसमें पूर्व राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी की मौत हो गई थी. पाकिस्तान ने इस आरोप से इनकार किया है. बुरहानुद्दीन तालिबान के साथ शांति वार्ता में मुख्य दूत थे.

पाकिस्तान की चेतावनी

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता तहमीना जनजुआ ने पत्रकारों से कहा, "इस निर्णायक चरण में जब मौकों की तरह चुनौतियां भी बढ़ गई हैं, हमारी सब लोगों से, खासकर अफगानिस्तान में ओहदों पर बैठे लोगों से अपेक्षा है कि वे जरूरी परिपक्वता और जिम्मेदारी का परिचय देंगे." अपनी साप्ताहिक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा, "यह प्वाइंट स्कोर करने, राजनीति करने या दूसरे को नीचा दिखाने का समय नहीं है."

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के शब्द देश के प्रधानमंत्री की टिप्पणी से ज्यादा टकराव वाले लगते हैं. प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी ने बुधवार को कहा था कि अफगानिस्तान और भारत को सार्वभौम देश होने के नाते पारस्परिक संबंध बनाने का अधिकार है. उनकी टिप्पणियां सरकारी समाचार एजेंसी एपीपी ने जारी की थीं.

भारत और अफगानिस्तान के बीच मंगलवार को तय संधि में व्यापार, आर्थिक प्रसार, शिक्षा, सुरक्षा और राजनीति सहित साझा चिंता के क्षेत्रों की व्याख्या की गई है. यह अफगानिस्तान द्वारा किसी देश के साथ की गई अपने तरह की पहली संधि है.

चिंता कम करने की कोशिश

अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने भारत के साथ संधि पर चिंताओं को दूर करते हुए बुधवार को कहा था कि वह पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक कदम नहीं है. उन्होंने कहा कि संधि ने भारत और अफगान सरकार के वर्षों के निकट संबंधों को आधिकारिक कर दिया है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार नई दिल्ली के दौरे पर उन्होंने कहा, "पाकिस्तान जुड़वां भाई है, भारत एक अच्छा दोस्त है. जो समझौता हमने दोस्त के साथ किया है उसका भाई पर असर नहीं होगा."

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करजई और गिलानीतस्वीर: AP

लेकिन करजई के शब्दों का अफगानिस्तान और भारत की दोस्ती से परेशान पाकिस्तान पर कोई असर नहीं हुआ है. पाकिस्तानी अधिकारियों ने, खासकर देश की ताकतवर सेना ने अफगानिस्तान नीति को सिर्फ एक चश्मे से देखा है, अफगानिस्तान में भारतीय प्रभाव के खतरे को कम करने के नजरिए से. राजनीतिक विश्लेषक और पाकिस्तानी सेना के पूर्व जनरल तलत मसूद कहते हैं, "यह संधि पाकिस्तान की असुरक्षा बढ़ा देगी. पाकिस्तान को हमेशा लगा है कि भारत उसे पूरब और पश्चिम दोनों ओर से घेर रहा है."

पाकिस्तान और भारत में तीन बड़ी लड़ाइयां हुई हैं और वे 1947 में विभाजन के बाद से एक दूसरे के जानी दुश्मन हैं. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध भी चट्टानी रहे हैं. बहुत से पाकिस्तानी अधिकारी भारत में पढ़ाई करने वाले हामिद करजई को भारत का बहुत करीबी मानते हैं.

इस्लामी कट्टरपंथियों का समर्थन

अफगानिस्तान में भारत का प्रभाव कम करने के लिए पाकिस्तान ने तालिबान जैसे भारत विरोधी इस्लामी कट्टरपंथियों का समर्थन किया है. इस्लामाबाद ने संदिग्ध रूप से कश्मीर पर हमला करने वाले उग्रवादियों का समर्थन किया है. कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपना दावा करते हैं. पाकिस्तान कहता है कि वह कश्मीर के आंदोलनकारियों को नैतिक, राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन देना जारी रखेगा.

पाकिस्तान का कहना है कि उसने 2001 में अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले के बाद तालिबान और दूसरे कट्टरपंथियों से संबंध तोड़ लिए, लेकिन वॉशिंग्टन और काबुल की सरकारें इसे नहीं मानतीं. अमेरिका ने भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर तालिबान की सहयोगी हक्कानी नेटवर्क को समर्थन देने का आरोप लगाया है जिस पर काबुल में अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले में हाथ होने का संदेह है. समझा जाता है कि यह नेटवर्क अफगानिस्तान सीमा पर स्थित पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में स्थित है.

रिपोर्ट: एपी/महेश झा

संपादन: ए कुमार

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