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बुंडेसलीगा में आंकड़ों का नया सिस्टम शुरू

१० अगस्त २०११

फुटबॉल प्रेमियों को एक नया खिलौना मिल गया है. पिछले सप्ताहांत जर्मन फुटबॉल लीग बुंडेसलीगा ने प्रीमियर लीग में आंकड़ों की नई तकनीकी लागू कर दी है, जिसके बाद मनचाही सूचना पाई जा सकती है.

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तस्वीर: IMPIRE

ऐसे करोड़पतियों के लिए बहुत सहानुभूति रखना मुश्किल है जिनका काम मैदान पर दौड़ना और बॉल को ठोकर मारना होता है, लेकिन जर्मनी में यह काम अब सूक्ष्म जांच के घेरे में आ गया है. नए बुंडेसलीगा सीजन से जर्मन लीग एसोसिएशन (डीएफएल) फर्स्ट और सेकंड डिवीजन के हर मैच के दौरान खिलाड़ियों के बारे में छोटी से छोटी सूचना इकट्ठा करने लगा है.

अब अत्याधुनिक ट्रैकिंग तकनीकी का इस्तेमाल यह जानने के लिए किया जा रहा है कि खिलाड़ी गेंद के साथ या गेंद के बिना कितनी दूर दौड़ते हैं, कितनी तेजी से दौड़ते हैं, तेज दौड़ के बाद सांस को सामान्य बनाने में कितना समय लेते हैं. इसके अलावा यह जानकारी भी जुटाई जा रही है कि खिलाड़ी कितने पासों को पूरा करते हैं, कितनों को बीच में छोड़ देते हैं, मैदान के किन इलाकों में वे खेलते हैं और कितनी देर तक खेलते हैं, कितनी चुनौतियों में उन्हें जीत मिलती है और कितनी में हार.

नई तकनीक के लागू होने के बाद खिलाड़ी के हर कदम पर नजर रखी जा रही है और उनका विश्लेषण किया जा रहा है, भावी पीढ़ी के लिए या फिर मैदान में बैठे पत्रकारों के लिए जो मैच पर रिपोर्ट करेंगे और जानना चाहते हैं कि बायर्न म्यूनिख पिछले सप्ताह मौएंचेनग्लादबाख के खिलाफ इतना खराब क्यों खेला. खिलाड़ियों पर नजर रखने की यह तकनीक म्यूनिख की कंपनी इम्पायर ने दी है और यह खेल के मैदान से कुछ मजेदार जानकारियां देती है. मसलन, पिछले सीजन में इम्पायर ने हिसाब लगाया था कि डॉर्टमुंड की टीम हर मैच में बुंडेसलीगा के औसत से 6 किलोमीटर ज्यादा दौड़ी. इसी तरह फ्रैंकफुर्ट की टीम औसत से 3 किलोमीटर कम दौड़ी.

David Abend
तस्वीर: DW

अच्छे काम वाला सप्ताहांत

इम्पायर के प्रवक्ता टिम शोबर का कहना है कि वह टॉप डिवीजन में कंपनी के पहले सप्ताह के काम से खुश हैं. उन्होंने कहा, "हमें अपने ग्राहकों से अब तक अत्यंत सकारात्मक फीडबैक मिला है." पिच को दो एचडी कैमरा कवर करते हैं और एक कंप्यूटर हर खिलाड़ी पर पूरे मैच के दौरान प्रति सेकंड 25 बार नजर रखता है. तीन टेक्नीशियन मैच के दौरान कंप्यूटर पर निगाह रखते हैं. उनका काम खेल शुरू होने से पहले कंप्यूटर को मैदान और दोनों टीम के रंगों के बारे में सूचना देना भी है.

जब खिलाड़ी मैदान पर आते हैं तो टेक्नीशियन उनकी शिनाख्त कर मार्क करता है और उसके बाद कंप्यूटर उन पर नजर रखता है. समस्या सिर्फ पैदा होती है जब दो खिलाड़ी एक दूसरे के अत्यंत करीब होते हैं या गोल करने के बाद एक दूसरे पर चढ़ जाते हैं. शोबर कहते हैं "इसीलिए टेक्नीशियन वहां होते हैं ताकि वे खिलाड़ी को फिर से मार्क कर सकें."

लाइव आलोचना

नई तकनीक से मिलने वाली सूचनाएं मैच के दौरान टीमों को भी उपलब्ध कराई जाती है. अब कोच अपने खिलाड़ियों को ब्रेक के दौरान बोल सकता है कि वह कोई खास बात क्यों नहीं कर रहा है और बॉल को अपने कब्जे में क्यों नहीं ले रहा है. नई तकनीक कोच को इस बात का सबूत भी देती है कि कोई जोशीला खिलाड़ी गेमप्लान को लागू नहीं कर रहा है. शोबर कहते हैं, "साफ है कि फुटबॉल में अधिक से अधिक आंकड़ों के इस्तेमाल का रुझान है."

खिलाड़ियों पर नजर रखने की नई तकनीक नई नहीं है. फुटबॉल का लाइव डिजीटलाइजेशन इंग्लैंड और स्पेन के प्रीमियर लीग में सालों से होता रहा है और जर्मनी के कई क्लब भी पिछले कुछ सीजन से इसी तरह के एक सिस्टम का इस्तेमाल करते रहे हैं. अब सभी टीमों को एक जैसी सूचनाएं उपलब्ध होंगी. डाटा इकट्ठा करने का खर्च हर मैच पर 3000 यूरो होता है.

रिपोर्ट: बेन नाइट/मझा

संपादन: ए कुमार

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