बीमारी में दिखाए आंखें
२० मई २०१३जिसकी आंखों में समस्या है वह आंखों के डॉक्टर के पास जाता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि हमेशा आंख की परेशानी आंख से ही जुड़ी हो. कोलोन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वाल्टर कोनेन बताते हैं, "मैं सबका ब्रेस्ट कैंसर नहीं देखता. लेकिन एक ऐसी महिला जिसकी जल्दी ही मौत हो सकती है उसकी आंखों के पीछे मैं कैंसर सेल देखता हूं और फिर मुझे पता चल जाता है कि वह ज्यादा से ज्यादा छह महीने जी पाएगी." लेकिन इतनी बुरी स्थिति हमेशा हो जरूरी नहीं. पर आंखों के डॉक्टर को कई बीमारियां पता लग जाती हैं, दूसरे स्पेशलिस्ट से इनकी पुष्टि होने से पहले.
मधुमेह, बीपी, मल्टीपल स्केरोस, ये सब आंखों में परेशानी पैदा करते हैं. सामान्य तौर पर नियमित जांच में ही ऐसी बीमारियां सामने आ जाती हैं जिनका सीधे आंख से कोई लेना देना नहीं होता. इनमें रॉइमा या लीवर की समस्याएं शामिल हैं. कोनेन के मुताबिक, "आंख का पीना होना दिखता है कि शरीर में कोई बीमारी है, जिसका पता लगना जरूरी है." इस अनियमितता का कारण हिपेटाइटिस भी हो सकता है, जिसका जितना जल्दी पता चल जाए उसका इलाज उतनी जल्दी हो जाएगा.
आंखों से मधुमेह का पता
कोई पढ़ने के चश्मा लेने डॉक्टर के पास जाता है लेकिन फिर पता चलता है कि उसे मधुमेह है. ऐसी स्थिति में मरीज एकदम हतप्रभ रह जाता है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ स्पेशलिस्ट को ही इसका पता चल सकता है. मधुमेह के निशान आंखों में बहुत जल्द दिखाई देते हैं. जर्मन ऑप्थेल्मोलॉजी सोसाइटी के अध्यक्ष बैर्टोल्ड साइट्ज कहते हैं, "मधुमेह के कारण शिराओं का रूप बदल जाता है या फिर आंखों की त्वचा में खून के थक्के दिखाई देते हैं."
जांच के दौरान आंखों की पुतलियां चौड़ी की जाती हैं और इसके बाद डॉक्टर खास आइने के जरिए आंखों में झांकता हैं, इससे आंख की 60 गुना बड़ी तस्वीर दिखती है और आंखों की रक्त शिराएं काफी कुछ कहती हैं.
गंभीर बीमारियां
जर्मनी में हर साल 30 हजार मरीज ऐसे होते हैं जो आते तो आंखे दिखाने के लिए हैं लेकिन उनके शरीर में कुछ और बीमारी निकलती है. करीब 2,000 मरीज ऐसे हैं जिनकी आंखे मधुमेह के कारण खराब हो जाती हैं. सिर्फ मधुमेह ही नहीं बल्कि आंखों के डॉक्टरों को मल्टीपल स्केरोस जैसी बीमारियों के बारे में भी पता लग जाता है.
रॉयमा के बारे में भी आंखों के डॉक्टर को पता चल जाता है क्योंकि इसके कारण आंखों में एक खास तरह की सूजन आ जाती है. थायरॉयड को प्रभावित करने वाली ग्रेव्स डीसीज के बारे में भी उन्हें पता चल जाता है.
रिपोर्टः गुडरुन हाइसे/आभा मोंढे
संपादनः ईशा भाटिया