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बीएसएफ के आठ जवानों का होगा कोर्ट मार्शल

२४ फ़रवरी २०१२

भारतीय सीमा सुरक्षा बल बीएसएफ ने अपने आठ सैनिकों के कोर्ट मार्शल का आदेश दिया है. एक वीडियो में देखा जा सकता था कि ये जवान भारत बांग्लादेश की सीमा पर एक बांग्लादेशी को बुरी तरह से पीट रहे थे.

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बीएसएफ के जवान भारत बांग्लादेश सीमा परतस्वीर: AP

बीएसएफ के प्रमुख उत्थान के बंसल ने कहा कि इन्हें मामले की अदालती जांच शुरू होने पर पहली नजर में दोषी पाया गया. "अब कोर्ट मार्शल के दौरान वह अपनी बात रख सकते हैं. स्टाफ कोर्ट में मामले की जांच हो गई है. अब हमने कोर्ट मार्शल का आदेश दिया है जिसमें सबूत पेश किए जाएंगे." यह प्रक्रिया बीएसएफ एक्ट के तहत आती है. इसके बाद सजा तय की जाएगी. बीएसएफ प्रमुख ने कहा कि कोर्ट मार्शल के दौरान उनके अपराध की गंभीरता आंकी जाएगी और आठ जवानों का पक्ष सुना जाएगा. इसके बाद आगे की कार्रवाई की होगी.

पिछले महीने एक वीडियो सार्वजनिक हुआ जिसमें देखा जा सकता है कि बॉर्डर सिक्यूरिटी फोर्स के जवान 32 साल के एक बांग्लादेशी नागरिक के साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं. इस व्यक्ति की पहचान अब्दुल शेख के तौर पर की गई है. उस पर आरोप लगाया गया था कि वह गैरकानूनी तरीके से पालतू पशु सीमा पार ले जा रहा था. ये जवान बीएसएफ की 150वीं बटालियन के हैं.

Bangladesch, Indien löst Grenzproblem - Ein Fluss welcher in Teilen sowohl zu Indien als auch zu Bangladesch gehört
तस्वीर: Centre for Human Rights, Development and Human Security

बीएसएफ के महानिदेशक ने कहा कि तस्करी और लोगों के अवैध आवागमन को रोकने के लिए कुछ चौकियों पर जवानों की संख्या बढ़ाई गई है. "हमने पाया है कि 107 किलोमीटर के इलाके में 23 चौकियां सीमाई अपराधों, तस्करी और हमलों के मामले में बहुत संवेदनशील है. कुल सीमाई इलाके का यह एक बहुत ही छोटा हिस्सा है. हम चाहते हैं कि इन इलाकों में जवान बढ़ाए जाएं और उन्हें ऐसे हथियार दिए जाएं जो जानलेवा नहीं हों. हमने बांग्लादेश को इन 23 चौकियों की सूची दी है और वहां निगरानी बढ़ाने का अनुरोध किया है."

बंसल का कहना है कि हम लोगों के साथ व्यवहार में बहुत सावधानी बरत रहे हैं. "वह बड़ी संख्या में आते हैं कई बार तो 300-400 लोग एक साथ. वे पूरे विश्वास के साथ बाड़ तोड़ते हैं. पशुओं को अवैध तरीके से लाना खुलेआम चलता है." बंसल मानते हैं कि एक बार चौकियों पर निगरानी कड़ी हो जाए फिर तस्करी, हिंसा जैसी घटनाएं कम होने की संभावना ज्यादा है.

रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम

संपादनः महेश झा

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