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बिनायक सेन को मिली जमानत

१५ अप्रैल २०११

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने बिनायक सेन की जमानत को मंजूरी दे दी है. शुक्रवार शाम तक उनके रिहा होने की संभावना है. माओवादियों के मदद का दोषी करार देते हुए बिनायक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

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तस्वीर: AP

बिनायक सेन ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से मिली आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट ने बिनायक सेन की जमानत की याचिका को मंजूर करते हुए कहा कि जमानत के बारे में बाकी शर्तें निचली अदालत तय करेगी.

दिसंबर में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा था कि बिनायक सेन ने जेल में बंद माओवादियों और बाकी माओवादी कार्यकर्ताओं के बीच संवाद में मदद की.

बिनायक सेन को हुई सजा का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध हुआ. सेन ने पहले निचली अदालत में जमानत के लिए याचिका दायर की थी लेकिन इसे मंजूर नहीं किया गया. जस्टिस एचएस बेदी ने कहा, "वह नक्सलवादियों से सहानुभूति रखने वाले हो सकते हैं लेकिन इस कारण वह राजद्रोह के दोषी नहीं हैं." बिनायक सेन के वकील एसके फरहान ने कहा, "ऐसा कोई सबूत नहीं है कि वह किसी माओवादी संगठन के सदस्य हैं." एनडीटीवी चैनल से सेन की पत्नी लीना सेन ने कहा, "यह बहुत ही भावनात्मक क्षण है. मैं बहुत खुश हूं."

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ईशा भाटिया

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