बायर्न म्युनिख की कमान होएनस को
२७ नवम्बर २००९होएनस जर्मनी के सबसे सफल खिलाडियों में से एक हैं. 1972 में इस स्ट्राईकर के साथ जर्मनी यूरो चैंपियन बना और 1974 में वर्ल्ड चैंपियन. बायर्न म्यूनिख को तीन बार जर्मन चैंपियन और तीन बार यूरोपीय क्लबों के लीग का चैंपियन बनाने में भी उनका खास योगदान रहा. होएनस उस ज़माने की गोल्डन जेनेरेशन में गिने जाते हैं जिसमें फ्रांस बैकनबाउर और गुएंटर नैत्सर भी शामिल हैं. लेकिन अफसोस, 1952 में जन्मे होएनेस को 1979 में 27 साल की उम्र में घुटने की चोट की वजह से खेल को अलविदा कहना पड़ा. वह फिर बाय़र्न म्यूनिख के मैनेजर बने और उन्होंने वह कर दिखाया जिसके बारे में कोई सोच ही नहीं सकता था. रियाल मैड्रिड या मैनचेस्टर यूनाइटेड जैसी बेहतरीन यूरोपीय टीमों के बीच आज बायर्न म्यूनिख का नाम भी लिया जाता है. बायर्न म्यूनिक का हर साल तीस करोड का कारोबार है. होएनस कहते हैं:
"मैंने हमेशा इस क्लब के लिए कुछ न कुछ करने की कोशिश की. मेरी हमेशा ख्वाहिश रही है कि यह क्लब आगे बढे. और जब मैं आज बायर्न म्यूनिख को देखता हूं तो मुझे लगता है कि मैं किसी हद तक इस लक्ष्य को पूरा करने में सफल भी रहा हूं."
होएनस अपनी बात सीधे सीधे कहने के लिए जाने माने जाते हैं- चाहे यह दूसरों को पसंद आए या नहीं. दूसरी ओर वे एक बहुत सिंपल ज़िंदगी जी रहे हैं, कोई बड़ा घर या शानदार गाड़ी नहीं. उनका परिवार मांस बेचने के कारोबार से जुड़ा है. उनकी खुद की सौसज़ बनाने वाली एक फ़ैक्ट्री है. होएनस बहुत ही मेहनती हैं, आज भी वह कई घंटे काम करते हैं. वे इस बात पर ज़ोर देते हैं कि आख़िरकार वही कामयाब हो सकता है जो मेहनत करता हो और अपने बलबूते आगे बढ़ता है क्योंकि उसके अंदर टैलंट है. होएनस का कहना है कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी फ़ुटबॉल के नाम की है. यही उनका जुनून है.
उनकी ज़िंदगी में कई ऐसे मोड़ भी आए जब उनको नए सिरे से शुरुआत करनी पड़ी. अपने करियर के अचानक और छोटी उम्र में ख़त्म होने के बाद, 1982 में होएनस एक विमान दुर्घटना में बचने वाले इकलौते व्यक्ति थे. तीन यात्रियों की इस छोटे से विमान में मौत हुई जो होएनस के लिए बड़ा सदमा था. इसके बाद वे कहते हैं उनको एक नई ज़िंदगी मिली. शायद यही होएनस की सबसे बड़ी ख़ूबी है कि वह कठिन पलों में कभी हार नहीं मानते हैं और उनसे उबरने की हमेशा कोशिश करते हैं.
वैसे पिछले तीस साल में बायर्न म्यूनिख के मैनेजर के तौर पर दूसरे जर्मन क्लबों ने भी होएनस की रणनीति और नेतृत्व क्षमता का लोहा माना है. बायर्न म्यूनिख 15 बार बुंडेसलीगा चैंपियन बना. एक बार उसने चैंपियंस लीग जीता और 8 बार यूरो कप. इसलिए जर्मनी के मशहूर पूर्व गोल कीपर ज़ेप मायर भी कहते हैं:
"मेरा मानना है कि एफ़ सी बायर्न म्यूनिख का असली नाम एफ़ सी उली होएनस होना चाहिए. उन्होंने इस क्लब को एक चमत्कार बनाया है. यही सच्चाई है."
रिपोर्ट- प्रिया एसेलबॉर्न
संपादन- अशोक कुमार