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बांग्लादेश में संसदीय चुनाव के लिए मतदान

२९ दिसम्बर २००८

बांग्लादेश में आज भारी सुरक्षा के बीच निर्धारित समय के दो साल बाद संसदीय चुनाव हो रहे हैं. 300 सदस्यों वाली संसद का चुनाव आठ करोड़ मतदाताओं के हाथों है.

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प्रधानमंत्री पद पर कांटे की टक्करतस्वीर: AP/DW

बांग्लादेश में चुनाव अंतरिम सरकार द्वारा कराए जाते हैं लेकिन विश्व बैंक के पूर्व अधिकारी फख़रुद्दीन अहमद की सरकार ने इसके लिए दो साल का समय लिया और देश की प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ़्तार कर नई राजनीतिक पीढ़ी को बढ़ावा देने की कोशिश की.

पिछले दो सालों में सेना समर्थित अंतरिम सरकार ने देश में भ्रष्टाचार पर काबू पाने और चुनाव व्यवस्था को स्वच्छ बनाने की कोशिश की है. अंतरिम सरकार को मतदाता सूची से सवा करोड़ जाली नामों को निकालने में भले ही सफलता मिली हो दो पूर्व प्रधानमंत्रियों के प्रभाव को कम करने में कोई सफलता नहीं मिली.

Bangladesch Wahlen Wahlwerbung
तस्वीर: AP

देश के 8 करोड़ मतदाता 35 हज़ार मतदान केंद्रों पर मतदान करेंगे और शाम चार बजे मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद मतगणना शुरू हो जाएगी. 300 सीटों वाली संसद के लिए इस बार भी मुक़ाबला दोनों बेग़मों में है. रिटायर्ड मेजर जनरल मुनीरुज़्ज़मा चुनाव को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं और कहते हैं कि देश इससे कितना बदलता है वह न सिर्फ़ बांग्लादेश बल्कि सारे इलाक़े के स्थायित्व के लिए निर्णायक होगा.

मुनीरुज़्ज़मा सेना की सक्रिय सेवा में नहीं है बल्कि शांति व सुरक्षा संस्थान चलाते हैं. बांग्लादेश को दोनों ही की ज़रूरत है. देश का राजनीतिक परिदृश्य दो महिला नेताओं के गठबंधनों की लड़ाई का शिकार है. एक बार प्रधानमंत्री रही शेख हसीना और दो बार प्रधानमंत्री रही खालिदा ज़िया. दोनों एक दूसरे को देखने को तैयार नहीं. राजनीतिक प्रेक्षक इशराक़ अहमद सेना समर्थित सरकार की दो साल की नीतियों को विफल बताते हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र के चुनाव पर्यवेक्षक दल के प्रमुख फ़्रांसेस्क वेन्ड्रेल का कहना है कि इस चुनाव की परिस्थितियां पिछले कई सालों से बेहतर हैं

शेख हसीना की अवामी पार्टी का चौदह पार्टियों वाले गठबंधन में जनरल इरशाद की जातीय पार्टी भी शामिल है और वे बाज़ार अर्थव्यवस्था में फलते फूलते तथा पड़ोसियों से सहयोग में आगे बढ़ते बांग्लादेश की हिमायती हैं. ख़ालिदा ज़िया की चार पार्टियों के गठबंधन में जमाते इस्लामी भी शामिल है जो देश में शरिया लागू करने का समर्थन करती है.