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समाज

बहिष्कार के बाद अब डॉक्टरों पर हमले

चारु कार्तिकेय
२ अप्रैल २०२०

पहले सुरक्षा किट की कमी और फिर बहिष्कार से जूझते डॉक्टरों के सामने एक नया संकट सिर उठा रहा है. कुछ जगहों से कोविड-19 से लड़ने वाले डॉक्टरों पर हमले और उनके साथ मारपीट की खबरें आ रही हैं.

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Indien Neu Delhi Coronavirus
तस्वीर: DW/A. Sharma

भारत में कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के बीच संकट की घड़ी में जिन लोगों का काम सबसे बाधारहित चलना चाहिए उनकी समस्याओं का अंत ही नहीं हो रहा है. लगभग पूरे देश में डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षा किट की कमी है. जगह जगह बिना सुरक्षा किट के मरीजों को देखते रहने की वजह से खुद डॉक्टरों के कोविड-19 की चपेट में आने की खबरें आ रही हैं.

डॉक्टर अभी इस कमी से जूझ ही रहे थे कि देश भर में किराये के मकानों में रहने वाले डॉक्टरों, नर्सों और दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों के साथ एक तरह के बहिष्कार की खबरें आने लगीं. उन्हें वायरस का संवाहक होने के डर से किराये के घरों से निकाला जाने लगा. सुरक्षा किट की कमी तो अभी भी चल ही रही है और इसी बीच डॉक्टरों के लिए एक नए संकट ने सिर उठा लिया.

कुछ जगहों से डॉक्टरों पर हमले और उनके साथ मारपीट की खबरें आ रही हैं. सोशल मीडिया पर इंदौर का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें डॉक्टर भागते हुए एक बस्ती से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं और उनके पीछे लोग पथराव कर रहे हैं.

यह प्रकरण तब हुआ जब इंदौर के टाट पट्टी भाखल इलाके से संक्रमण के दो मामले निकलने के बाद स्वास्थ्यकर्मी और नगरपालिका के कर्मचारी वहां रहने वालों की जांच करने गए हुए थे. बताया जा रहा है स्थानीय लोगों ने जांच की अनुमति नहीं दी और जोर देने पर स्वास्थ्यकर्मियों पर ही हमला कर दिया. पुलिस ने किसी तरह से उन लोगों को वहां से बचा कर निकाल लिया. बाद में पुलिस की कार्रवाई में चार लोगों को हिरासत में लिया गया.

दूसरा प्रकरण हैदराबाद का है, जहां शहर के गांधी अस्पताल में एक 49 साल के कोविड-19 के मरीज की मौत हो गई थी. उसकी मौत के बाद उसके परिवार वालों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगा कर उनके साथ मार पीट की. पुलिस से की गई शिकायत में अस्पताल के डॉक्टरों ने दावा किया कि ऐसे हमले अक्सर हो रहे हैं. डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री से उनकी  सुरक्षा की व्यवस्था करने के लिए पत्र लिखा है.

और बढ़ सकते हैं ऐसे मामले

डॉक्टरों पर हमले भारत में एक बड़ी समस्या है. लगभग एक साल पहले पूरे देश में इस तरह के हमलों के मामले काफी बढ़ गए थे जिसके बाद पूरे देश में डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी थी और आंदोलन भी किया था. डॉक्टरों ने सरकार से उनकी सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम करने की मांग की थी. सरकार के आश्वासन के बाद ही उन्होंने अपना आंदोलन खत्म किया था. लेकिन ऐसा लगता है की आज भी स्थिति ज्यों की त्यों ही है. 

लेकिन अभी जो हालात हैं वो असाधारण हैं और डॉक्टरों के लिए और ज्यादा कठिन. डॉक्टरों और दूसरे सरकारी कर्मचारियों पर हमले और बढ़ने का अंदेशा है.  सरकारी संस्थाएं अब सर्विलांस की मदद से बड़ी संख्या में उन लोगों का पता लगा रही हैं जो कोरोना वायरस से संभावित रूप से संक्रमित हो सकते हैं लेकिन या तो उन्होंने अपने बारे में सरकार को जानकारी नहीं दी है या खुद को अलग थलग करने के आदेश का पालन नहीं किया है. 

जहां जहां ऐसे लोग चिन्हित हुए हैं वहां उनकी जांच के लिए पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों की टीमें जा रही हैं. ऐसे में उन लोगों और सरकारी टीमों के बीच तनाव होने की संभावना हमेशा रहेगी. 

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