बर्लिन में मानवाधिकारों वाली फिल्मों का महोत्सव
बर्लिन में हो रहे मानवाधिकार फिल्म महोत्सव का नारा है “भविष्य अब“. फिल्मों का कथानक पर्यावरण संकट, टिकाऊ विकास और महिला सशक्तिकरण पर आधारित है.
सॉफ्टी
बर्लिन में तीसरे मानवाधिकार फिल्म महोत्सव की शुरुआत सैम सोको की दस्तावेजी फिल्म सॉफ्टी से हुई. इसमें केन्या के युद्ध फोटोग्राफर और एक्टिविस्ट वोनिफेस म्वांगी की कहानी है. वे राजनीतिक भ्रष्टाचार और कबीलाई सोच खत्म करने के लिए चुनाव लड़ते हैं.
हमारी तस्वीर लेना रोको
पश्चिमी देशों के फिल्मकार कॉन्गो की जटिल स्थिति के बारे में यथार्थवादी तरीके से बता सकते हैं या वे सिर्फ युद्ध, गरीबी और बीमारी की स्टीरियोटाइप तस्वीरें दिखा रहे हैं? ये सवाल जोरिस पोस्टेमा ने अपनी फिल्म स्टॉप फिल्मिंग अस में पूछा है.
मिसेज एफ
अफ्रीका की ही एक और कहानी क्रिस फान डेय फॉर्म की फिल्म मिसेज एफ भी सुनाती है. नाइजीरिया के सबसे बड़े स्लम माकोको में मिसेज एफ समुदाय की महिलाओं के साथ एक नाटक का मंचन करना चाहती है ताकि हिंसा से प्रभावित महिलाओं को आवाज मिले.
मेरे खून में है ये
माया नेवेल की फिल्म इन माय ब्लड इट रन्स दर्शकों को ऑस्ट्रेलिया ले जाती है. कहानी 10 साल के आदिवासी बच्चे दुजुआन की है जो तीन भाषआएं बोलता है और उसे प्राचीन दवाओं के बारे में बहुत कुछ पता है. लेकिन आधुनिक शिक्षा पद्धति में इसकी कोई पूछ नहीं है.
मक्सिमा
सदियों से मक्सिमा और उसका परिवार पेरू की पहाड़ियों में अपनी जमीन पर रहता है. ये उसका वतन भी है और आजीविका का साधन भी. लेकिन जमीन का अधिग्रहण होने वाला है क्योंकि उसके नीचे सोना होने की उम्मीद है. मक्सिमा अपनी जमीन बचाने के लिए लड़ती है.
यूथ अनस्टॉपेबल
स्लाटर जेवेल केमकर ने 15 साल की उम्र में युवा पर्यावरण आंदोलन पर वीडियो बनाना शुरू किया. 10 साल बाद ग्रेटा थुनबर्ग और जेवेल केमकर ने पोलैंड में यूएम जलवायु सम्मेलन को संबोधित किया. यह फिल्म उस पीढ़ी के बारे में है जो पर्यावरण संकट का हल करने के लिए प्रतिबद्ध है.
रेडियो साइलेंस
मेक्सिको में आलोचना करने वाले पत्रकारों को जान की कीमत चुकानी पड़ती है. कार्मेन आरिस्तेगुई फिर भी सच बोलने से कतराती नहीं. 2015 में उन्होंने एक भ्रष्टाचार कांड का पर्दाफाश किया जिसमें राष्ट्रपति काल्डेरोन भी फंसे थे. युलियाना फांजुल की फिल्म रेडियो साइलेंस उनकी कहानी है.
माई खोई और विद्रोही
पहले तो उन्हें वियतनाम की लेडी गागा कहा गया, कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा भी. उनके ताजा अलबम ने उन्हें राजनीतिक भगोड़ा बना दिया क्योंकि उसमें उन्होंने बोलने की आजादी और लोकतंत्र की मांग की. जोई पिस्काटेला ने अपनी फिल्म में गायिका का करियर दिखाया है.
टाइनी सोल्स
नौ साल की मारवा और उसके परिवार को भी देश छोड़कर भागना पड़ा. कई साल से वह लेबनान में सबसे बड़े सीरियाई रिफ्यूजी कैंप में रहती है. दीना नसर ने अपनी फिल्म में उसके संघर्ष और घर वापस लौट सकने की उसकी इच्छा को दिखाया है.
युद्धक्षेत्र में स्केटबोर्ड
अफगानिस्तान की ये लड़कियां पायलट, डॉक्टर या टीचर बनना चाहती है. कैरल डियसिंगर ने अपनी फिल्म में काबुल की इन स्केटरों की कहानी सुनाई है जिनका इस खेल की वजह से आत्मविश्वास बढ़ा है और वे अपनी जिंदगी खुदमुख्तारी के साथ जीना चाहती हैं. रिपोर्ट: बेटिना बाउमन